दमोह के गंगा जमना स्कूल विवाद,भाजपाइयों ने DEO के मुंह पर फेंकी स्याही,स्कूल शिक्षा मंत्री बोले- धर्मांतरण मामले में कलेक्टर की भूमिका भी संदिग्ध…

दमोह के गंगा जमना स्कूल विवाद,भाजपाइयों ने DEO के मुंह पर फेंकी स्याही,स्कूल शिक्षा मंत्री बोले- धर्मांतरण मामले में कलेक्टर की भूमिका भी संदिग्ध…

दमोह‎ के गंगा जमना स्कूल पर लग रहे धर्मांतरण के आरोपों की आंच जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) तक पहुंच गई है। मंगलवार को बीजेपी के कुछ कार्यकर्ताओं ने DEO एसके मिश्रा पर स्याही फेंक दी। DEO ने इसे बदले की कार्रवाई कहा है। उन्होंने रात करीब 8.30 बजे कोतवाली थाने में शिकायत दर्ज कराई।

वहीं, स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने मामले में कलेक्टर मयंक अग्रवाल की भूमिका को भी संदिग्ध बताया है। परमार ने कहा, ‘कलेक्टर मयंक अग्रवाल को जो कार्रवाई करनी चाहिए थी, उन्होंने नहीं की। यह सिर्फ स्कूल या नियम प्रक्रिया का मामला नहीं है। यह समाज में द्वेष फैलाने का विषय है। वहां कई अवैध गतिविधियां हो रही थीं। धर्मांतरण के साथ टेरर फंडिंग का विषय भी सामने आया है। स्कूल के बचाव में कलेक्टर का बार-बार बयान आ रहा है। मुझे लगता है कि कलेक्टर की भूमिका भी संदिग्ध है। वे स्कूल संचालक से मिलकर उसे बचाने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, जांच में पूरे तथ्य स्पष्ट हो जाएंगे। मैं समझता हूं कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे।’

कलेक्ट्रेट पहुंचीं तीनों शिक्षक, अफसरों को दिखाए दस्तावेज

स्कूल की जिन तीन महिला टीचर्स ने धर्म परिवर्तन किया है, वे दोपहर को कलेक्ट्रेट पहुंची। उन्होंने अपने मूल दस्तावेज अधिकारियों को दिखाए। उन्होंने दबाव या लालच में धर्मांतरण करने के आरोपों को पूरी तरह से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि वे बालिग थीं और अपनी मर्जी से प्रेम विवाह करते हुए धर्म परिवर्तन किया है।

कलेक्टर बोले- आवेदन के बिना जांच नहीं हो सकती

आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, मामले की जांच के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आदेश‎ पर गठित टीम ने स्कूल‎ संचालक को अभी तक केवल एक‎ नोटिस जारी किया है। न तो‎ उसके बयान लिए गए हैं और न ही‎ दस्तावेजों की जांच हुई है। आदेश जारी हुए 6 दिन बीत गए हैं।‎ इस बीच, कलेक्टर ने तीन‎ टीचर्स के धर्म परिवर्तन करने की जांच कराने को लेकर‎ कहा है कि जब तक कोई‎ पीड़िता आवेदन नहीं करती, तब तक‎ इस मामले की जांच नहीं हो सकती।

जिला शिक्षा अधिकारी

हिजाब-धर्मांतरण मामले से मेरा कोई लेना-देना नहीं

DEO एसके मिश्रा ने बताया कि मंगलवार दोपहर वे अपने दफ्तर से निकल रहे थे। इसी बीच कुछ लोग आए, गाड़ी रोकने के लिए कहा और अचानक स्याही फेंक दी। वे जय श्री राम के नारे लगा रहे थे। मिश्रा ने कहा, ‘मैं उनके नाम जानता हूं। वे दमोह के ही रहने वाले हैं। वे गंगा जमना स्कूल मामले में यह सब करने की बात कह रहे हैं, लेकिन इससे मेरा कोई लेना-देना नहीं है। न इस मामले में मुझे कोई जांच सौंपी गई है, न ही मैंने कोई रिपोर्ट सबमिट की है।’

पेमेंट नहीं हुआ इसलिए बदले की भावना से फेंकी स्याही

मिश्रा ने बताया, ‘पूरे मामले की जांच हाई पावर कमेटी को दी गई है। स्याही फेंकने वालों में से एक-दो चेहरों को मैंने देखा है। इनके कुछ बिल पेंडिग थे। इन्होंने बिल लेट जमा किए इसलिए पेमेंट लैप्स हो गया था। संभवत: बदले की भावना से ही यह किया गया होगा। ये बिल अनुरक्षण वाले थे। कुछ स्कूलों की मरम्मत करवाई गई थी। बजट आएगा तो पेमेंट कर दिया जाएगा। मामले में वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा करने के बाद कानूनी कार्रवाई के बारे में साेचूंगा।’

सनातन का अपमान हुआ, मुंह काला कर जवाब दिया

भाजपा की तरफ से पार्टी के जिला उपाध्यक्ष अमित गोलू बजाज ने मामले पर बयान दिया है। उन्होंने कहा, ‘गंगा जमना स्कूल वालों ने संपूर्ण सनातन का अपमान किया है। जिला शिक्षा अधिकारी ने पैसे लेकर मामले को रफा-दफा किया। उनका मुंह काला करके हमने उसी का जवाब दिया है।’

भाजपा जिला उपाध्यक्ष ने कहा – भ्रष्ट अधिकारी का मुंह काला किया गया है।

तेंदूपत्ता भंडारण‎ के लिए 4 शासकीय स्कूलों का‎ आवंटन किया

गंगा जमना स्कूल को पहली बार की गई जांच में क्लीन चिट देने वाले DEO एसके‎ मिश्रा का एक और कारनामा सामने‎ आया है। उन्होंने विवादित गंगा जमना स्कूल की‎ बीड़ी फर्म को तेंदूपत्ता का भंडारण‎ करने के लिए 4 शासकीय स्कूलों का‎ आवंटन कर दिया है। उनके द्वारा जारी आदेश‎ में हटा ब्लॉक में मिडिल‎ स्कूल सगौड़ीकला, मड़ियादो, रजपुरा‎ और शासकीय स्कूल जैतगढ़ माल का 9 मई को आवंटन किया गया है जबकि 5 जून से स्कूल खुल गए हैं।‎

धर्मांतरण के मामले में DEO एसके मिश्रा की भूमिका संदिग्ध बनी हुई है। स्कूल‎ में गड़बड़ी होने के बाद भी उन्होंने पहले निरीक्षण में उसे‎ क्लीन चिट दे दी थी। दबाव बना तो दोबारा जांच की और‎ गड़बड़ी बता दी।

स्कूल में स्कॉलरशिप और फंडिंग‎ की भी जांच

इस दौरान बाल‎ संरक्षण एवं अधिकार आयोग के‎ सदस्यों के दल ने जांच का दायरा बढ़ा दिया है। दल में शामिल‎ ओंकार सिंह ने बताया कि‎ स्कूल का संचालन एक एनजीओ‎ करता है, जिसकी स्वयं की 700‎ एकड़ जमीन है।कई फर्में हैं और‎ भोपाल में भी कारोबार है। उन्होंने‎ बताया कि स्कूल को मिल रही फंडिंग और बच्चों की‎ स्कॉलरशिप भी जांच का विषय है।‎

गडी रोको...

अभी तक किसी भी शिक्षक‎ ने शिकायत नहीं की : कलेक्टर

‎मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आदेश पर एसडीएम, सीएसपी सहित पांच सदस्यों‎ की टीम धर्मांतरण के आरोपों की जांच के लिए बनाई गई थी। इस टीम ने संचालक को‎ नोटिस जारी किया है। संचालक बयान देने के लिए भी नहीं‎ पहुंचे हैं। टीम के मुताबिक पूर्व में बनाए गए बिंदुओं पर ही जांच चलेगी। टीचर्स के धर्मांतरण को लेकर कलेक्टर मयंक अग्रवाल का‎ कहना है कि अभी तक किसी शिक्षिका ने इसकी शिकायत नहीं‎ की है। बिना शिकायत इसे जांच में नहीं लिया जा सकता है।‎ स्कूल के डायरेक्टर मोहम्मद इदरीश इस मामले में कुछ भी‎ बोलने के लिए तैयार नहीं है।

शिक्षा मंत्री बोले- DEO ने गलत जानकारी दी

स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने मंगलवार को भोपाल में कहा, ‘मामले में प्रथम दृष्टया DEO एसके मिश्रा की लापरवाही दिख रही है। उन्होंने गलत जानकारी दी है इसलिए DEO तो दोषी है ही। उनको स्कूल का लगातार दौरा करना चाहिए था। DEO के खिलाफ हम कार्रवाई कर रहे हैं। उन्हें पद से हटा रहे हैं। मामले की व्यापक जांच कराने के बाद सभी दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

मध्यप्रदेश के स्कूलों में एक समान यूनिफॉर्म लागू करने के सवाल पर परमार ने कहा, ‘हम इसके पक्ष में नहीं हैं। लेकिन स्कूल जो ड्रेस तय करें, सरकार से परमिशन लेकर करें। यदि आप धार्मिक शिक्षा दे रहे हैं तो आपकी ड्रेस ठीक है। आपको संविधान में छूट दी गई है। स्कूली शिक्षा देना है तो सरकार के नियंत्रण में रहकर ऐसी यूनिफॉर्म तय करनी पड़ेगी, जिससे समाज में द्वेष न फैले। इस प्रकार की एक नीति बननी चाहिए। अभी नीति नहीं है, इसलिए ऐसे लोग फायदा उठा रहे हैं। हमने पहल कर दी है। विभाग को निर्देश दिए हैं कि यूनिफॉर्म पर एक व्यापक नीति बनाई जाए, जिससे भविष्य में ऐसे विषय न उठें।’

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