खेल-खेल में पेड़ से गिरा लड़का, पेट से आरपार हुई नुकीली लकड़ी,इसके बाद जो हुआ….

खेल-खेल में पेड़ से गिरा लड़का, पेट से आरपार हुई नुकीली लकड़ी,इसके बाद जो हुआ….

बड़वानी। एक दर्दनाक घटना में ढाई फीट लंबी और 3 इंच मोटी नुकीली लकड़ी 12 साल के लड़के के पेट के आरपार हो गई। जिसके बाद परिजन उसे स्थानीय अस्पताल लेकर गए, जहां प्राथमिक इलाज के बाद डॉक्टरों ने उसे इंदौर के एमवाय अस्पताल रेफर कर दिया। यहां मंगलवार को ढाई घंटे चले ऑपरेशन के बाद डॉक्टरों ने लकड़ी को सफलतापूर्वक बाहर निकाल दिया। हादसा सोमवार शाम 4 बजे हुआ था।

ऐसे हुआ था हादसा

पानसेमल के जालियापानी गांव में रहने वाला दीपक पिता उमराव सिंह बकरियों के लिए चारा और पत्तियां लेने जंगल में गया था। वह एक पेड़ पर चढ़कर पत्तियां तोड़ रहा था। इसी दौरान कमजोर डाली टूट गई और वो सीधे जमीन पर आ गिरा। जमीन पर पहले से एक नुकीली लकड़ी पड़ी हुई थी जो सीधे दीपक के पेट में घुस गई। घटना को देख वहां मौजूद उसके अन्य दोस्त घबरा गए। वे दौड़कर दीपक के घर गए और इसकी सूचना उसके माता-पिता को दी। इसके बाद उसे तुरंत खेतिया के स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। यहां प्राथमिक उपचार देने के बाद डॉक्टरों ने उसे इंदौर रेफर कर दिया।

नुकीली लकड़ी दीपक के पेट में बाईं तरफ से घुसकर दाईं तरफ से आरपार हो गई थी। (फोटो में अस्पताल में इलाज के दौरान दीपक)

खून नहीं निकला, बच गई जान

खेतिया अस्पताल में प्राथमिक इलाज देने के बाद डॉक्टरों ने उसे इंदौर रेफर किया। रेफर करने दौरान दीपक की हालत गंभीर थी। लेकिन अच्छी बात यह रही कि ढाई फीट लंबी और 3 इंच मोटी लकड़ी आरपार होने के बावजूद खून की एक बूंद नहीं निकली। जिससे उसकी जान का खतरा टल गया। डॉ. अरविंद किराड़े के अनुसार ऐसे मामलों में इंटरनल ब्लीडिंग तो होती है लेकिन खून बाहर नहीं आता। इससे कम नुकसान होता है और खतरा कम हो जाता है। डॉक्टर के मुताबिक ग्रामीणों ने लकड़ी को नहीं निकालकर बहुत अच्छा किया। अगर लकड़ी खींचकर निकाल लेते तो नाड़ियां और नसें फट सकती थीं और लड़के की जान भी जा सकती थी। डॉक्टर ने बड़े चीरे लगाकर पहले नाड़ियों और नसों को साइड में किया फिर सुरक्षित तरीके से लकड़ी को बाहर निकाल लिया।

ढाई घंटे चला ऑपरेशन, ऐसे बाहर निकाली लकड़ी

इंदौर में एमवाय अस्पताल के अधीक्षक डॉ. पीएस ठाकुर ने बताया कि बच्चे की स्थिति काफी गंभीर थी। बच्चे को 11 अप्रैल को ऑपरेशन के लिए लाया गया। लकड़ी के कारण पेट की आंतों में बहुत ज्यादा चोट आई हुई थी और कुछ नाजुक नसें भी क्षतिग्रस्त हुई थीं। लकड़ी लीवर के पास से घुसते हुए उल्टे हाथ की तरफ से निकल रही थी। ढाई घंटे चले ऑपरेशन के बाद बच्चे की जान बचा ली गई। डॉक्टरों ने बड़ी सावधानी और सूझबूझ से लकड़ी निकाली और फटी हुई आंत को आपस में जोड़ दिया।

करीब ढाई घंटे चले ऑपरेशन के बाद डॉक्टर्स ने दीपक के पेट से लकड़ी को बाहर निकाल दिया।

इन डॉक्टरों ने किया सफल ऑपरेशन

ऑपरेशन डॉक्टर बृजेश लाहोटी, डॉ मनोज जोशी के मार्गदर्शन में डॉ. अशोक लड्ढा, डॉक्टर राम मोहन शुक्ला, डॉ. मनीष जोलिया, डॉ. विनोद राज की टीम ने किया। वहीं, एनेस्थीसिया टीम में डॉक्टर शालिनी जैन, डॉक्टर ऋतु पुराणिक, डॉक्टर असीम शर्मा, डॉक्टर दीपाली मंडलोई, डॉक्टर श्रृष्टि, डॉक्टर भारती, डॉक्टर अनुश्री, डॉक्टर शिव कुमार मौजूद रहे।

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