मां के अपराध की सजा काट रहे 11 मासूम बच्चे,जिन की उम्र 10 महीने से 5 साल, जानिए पुरा मामला…

मां के अपराध की सजा काट रहे 11 मासूम बच्चे,जिन की उम्र 10 महीने से 5 साल, जानिए पुरा मामला…

भोपाल। समन 3 महीने की प्रेग्नेंट थी, जब उनकी भाभी की जलकर मौत हो गई। भाभी की हत्या के आरोप में उन्हें, उनकी मां, भाई और छोटी बहन को जेल हो गई। बेटा तस्लीम यहीं जेल में पैदा हुआ। यहीं से वो अस्पताल गईं और तीन दिन बाद बच्चे को लेकर वापस जेल आ गई। तस्लीम अब साढ़े चार साल का हो गया है। तस्लीम की तरह 11 बच्चे अभी अपनी माओं के साथ भोपाल के केंद्रीय जेल में रह रहे हैं।

मां किसी अपराध की सजा काट रही है और बच्चा मां के अपराध की। इन 11 बच्चों की उम्र 10 महीने से लेकर 5 साल तक है। इनमें से 3 यहीं जेल में पैदा हुए हैं। 3 महिला कैदी ऐसी भी हैं, जो प्रेग्नेंट हैं। मां की सजा है पर बच्चों के लिए भरपूर परवरिश जुटाने की कोशिश है। उन्हें बाकायदा सुबह दूध मिलता है, बोर्नविटा वाला। स्कूल के लिए तरह-तरह के खानों वाला डिब्बा आता है। स्कूल जाते हैं, झूलाघर में रहते हैं, साल में दो बार डीबी मॉल पिकनिक भी, पढ़ते हैं, खेलते हैं और रात को मां से लिपटकर वहीं महिला बैरक में सो जाते हैं।

जेल में सालों से रहने वाले ये बच्चे घर-घर नहीं, जेल-जेल खेलते हैं। कोई बड़े साहब बन जाता है, कोई पुलिसवाली मेडम तो कोई कैदी। फिर बड़े मजे से उनकी नकल में परेड़ करते हैं, झूठमूठ की पूछताछ भी कर डालते हैं। नाम पूछने पर कहते हैं- माय नेम इज मीठी। मीठी बिना पूछे ही एक सांस में एबीसीडीईएफजीएच…एक्सवायजेड सुना देती है। बाकी बच्चों की तरह वो भी बहुत सवाल करते हैं। उन्हें नहीं पता कि टीवी क्या होता है।

पूछते हैं- ये क्या है। तेजू को मां आंखों में काजल लगाकर रखती है। पूछने पर कहता है, अम्मीजान कहती हैं इससे आंखें सुंदर दिखती हैं। हफ्ते में दो दिन जब उसके पापा मुलाकात करने आते हैं तो पूछता है वो बाहर क्यों हैं, कहां से आए हैं, बाहर क्या होता है, सब क्या करते हैं वहां। वो हर बार रोकर उनके साथ जाने की जिद करता है। लेकिन फिर उसे मां भी चाहिए। 6 साल का होने पर इन सभी बच्चों को घर जाना होगा। तब तक मां की सजा पूरी नहीं हुई तो मां के बिना ये अकेले घर जाएंगे। ये जेल का नियम जो हैं। यहां क्यों रहती हो, ऐसा सवाल पूछने पर जोया जवाब देती है- मम्मी गांजा बेचती थी इसलिए।

मां ने गांजा कहां-कहां छिपा रखा है, ये उसने ही पुलिस अंकल को बताया था। रोहन की मां कहती है मैंने उसे नहीं बताया कि ये जेल है और वो हत्या की सजा काटने यहां आई है। बेटा बहुत पूछता है तो बस कह देती हूं- जेल में सब पढ़ाई करने आते हैं। वो अकेली ऐसी मां नहीं, जो हत्या के केस में यहां कैद काट रही है। एक ऐसी भी मां है जिसने अपने बेटे की हत्या की है। लेकिन ज्यादातर औरतें वो हैं, जो किसी के सुसाइड केस की अपराधी हैं।

मप्र में 1860 महिला कैदी जेल में हैं। भोपाल जेल में 185 महिलाएं हैं। इनमें सबसे ज्यादा मर्डर की अपराधी हैं। उनमें एक नक्सली और किन्नर भी हैं। इन कैदियों के साथ 139 बच्चे मप्र की जेलों में रह रहे हैं। क्या इन बच्चों के जेहन में जेल की बातें और यादें हमेशा के लिए नहीं रह जाएंगी? इस सवाल पर वहां 6 साल से रह रही हत्या की अपराधी एक कैदी कहती है,मैडम ये बच्चे बहुत छोटे हैं, जब बाहर की दुनिया देखेंगे ना तो सब भूल जाएंगे।

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