बिलासपुर। स्कूली शिक्षा का हाल जानने दैनिक भास्कर की टीम ने तखतपुर विधानसभा के क्षेत्र पहुंची। यहां ग्राम अजयपुर खुर्द, अजयपुर कला और कपसिया खुर्द के प्राइमरी स्कूल में अलग ही नजारा देखने को मिला।शहर से 26 किलो मीटर दूर ग्राम अजयपुर खुर्द में बस्ती के आखिरी में प्राइमरी स्कूल है। शनिवार को सुबह 8 बजे दैनिक भास्कर की टीम पहुंची तो स्कूल में ताला लगा हुआ था।
बच्चे स्कूल के बाहर खड़े थे। 8 बजकर 4 मिनट में कक्षा पांचवी का छात्र अजीत स्कूल पहुंचा। उसके ताला खोलते ही बच्चे स्कूल के अंदर गए। एक छात्रा बिना बोले बरामदे से झाड़ू उठाकर सफाई करने लगती है। बच्ची ने बताया जब कोई नहीं आते हैं तब वे सभी छात्राएं बारी-बारी झाड़ू लगाती हैं। शिक्षक के आने जाने के समय के बारे में कुछ नहीं बता सके। इसके बाद बच्चे सांप-सीढ़ी का खेल खेलने में व्यस्त हो गए। इस स्कूल से डेढ़ किलोमीटर आगे भास्कर टीम अजयपुर खुर्द में सुबह 8.30 बजे पहुंची तो ठीक उसी समय शिक्षक स्कूल पहुंचे थे।
स्कूल देर से खोलने को लेकर पूछे गए सवाल का शिक्षक ने कोई जवाब नहीं दिया। कक्षा पांचवीं के छात्रों ने चाबी लाकर स्कूल खोला। यहां से तीन किलोमीटर दूर कपसिया कला प्राइमरी स्कूल पहुंचे तो सफाई कर्मचारी दलगंजन स्कूल के बाहर सफाई करता मिला। बच्चों ने बताया शिक्षक नहीं आए है, वहीं दलगंजन का कहना है शिक्षक के परिवार में किसी की गमी होने के कारण वे स्कूल आने के बाद चले गए हैं। लोगों ने बताया कि स्कूल में पढ़ाई को लेकर बहुत समस्या है।
शिक्षा सचिव ने आलोक शुक्ला ने स्कूल खुलते ही यानी 26 जून को ही सभी बच्चों को किताब और यूनिफॉर्म देने का निर्देश दिए हैं। इसके बाद भी अजयपुर, कपसिया, दर्रीकापा में किताब और यूनिफॉर्म डंप है। यहां के शिक्षकों का कहना है कि 6 जुलाई के बाद प्रवेशोत्सव कार्यक्रम मनाएंगे, उसी दिन से वितरण शुरु किया जाएगा।
शिक्षकों के द्वारा की जा रही इस तरह से लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। पूरे मामले की जानकारी लेने के बाद दोषी शिक्षकों पर कार्रवाई की जाएगी। एसएल जोगी, बीईओ, तखतपुर
प्राइमरी स्कूलों की हालत ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत ही बुरी है। अजयपुर में कक्षा पहली में 2 छात्र, कपसिया कला में 3 और दर्रीकापा में 2 है। बताया जाता है पालक बच्चों का नाम दर्ज करा लिए हैं लेकिन अभी तक स्कूल नहीं भेज रहे हैं। यही हाल दर्रीकापा के पांचवी कक्षा की है। यहां एक भी छात्र ने एडमिशन नहीं लिया हैं।
खेल का सामान भी नहीं : हर शनिवार को प्राइमरी स्कूलों में बच्चों को पढ़ाई के अलावा खेल कराने का नियम है लेकिन अधिकांश जगहों पर खेल का सामान ही नहीं है। जहां है वहां शिक्षक ही नहीं आते हैं।