सावधान सावधान! इंदौर के बाहरी इलाके में शिकार और पानी के लिए 10 दिन से घूम रहा है टाइगर…

सावधान सावधान! इंदौर के बाहरी इलाके में शिकार और पानी के लिए 10 दिन से घूम रहा है टाइगर…

मध्यप्रदेश। इंदौर के पास 1100 की आबादी वाले गांव मलेंडी से बाघ 10 दिन बाद भी आगे बढ़ने को तैयार नहीं है। दरअसल, आशापुरा से लेकर मलेंडी तक (करीब 5 किलोमीटर) भरी गर्मी में तालाब, नहर, पोखरों में भरपूर पानी है। किसानों की मजबूरी है कि मवेशियों को खेतों में ही बांधना पड़ता है। इसी एरिया में मूवमेंट के कारण परिवार दहशत में हैं।

गांव में 5 से 10 मवेशी बांधने की जगह भी नहीं है। मलेंडी गांव खत्म होते ही घना वन क्षेत्र शुरू हो जाता है जो चोरल, बड़वाह तक जाकर मिलता है। इस वजह से बाघ बार-बार मलेंडी के खेतों में आकर बाड़ों में मवेशियों का शिकार कर रहा है। मलेंडी गांव शुरू होते ही हनुमान मंदिर का प्रांगण है। इसके आसपास 15 से 20 घर हैं।

घरों के पीछे खुला मैदान है, जिसके पास से पानी बह रहा है। मवेशियों को भी पानी पिलाकर यहीं बांध दिया जाता है। बाघ ने सबसे पहले यहीं पर मवेशी का शिकार किया था। वन विभाग ने यहीं पर पिंजरा लगा रखा है, लेकिन इसके आसपास भी बाघ नहीं आ रहा। पिंजरे के पास ट्रैप कैमरे लगे हैं, लेकिन उसमें भी कैद नहीं होता।

गांव के दोनों तरफ बड़े-बड़े खेत और जंगल

मलेंडी, आशापुुरा, बड़गोंदा गांव की मेनरोड के दोनों तरफ जहां तक नजर जाए खेत नजर आते हैं। तीनों गांव जंगल से घिरे हुए हैं। इस वजह से 15 से 20 लोगों की रेस्क्यू टीम इतने बड़े एरिया में बाघ को नहीं तलाश पा रही है। ग्रामीण कहते हैं, वन विभाग मुनादी करवाकर बेफिक्र हो गया है, लेकिन हमारी नींद उड़ गई है। अब लोग दिन में भी निकलने में डरने लगे हैं। रात में ठीक से नींद नहीं आती। मवेशियों पर ज्यादा खतरा है।

उधर, आशापुरा गांव में तेंदुए ने किया बैल का शिकार

इस वक्त मलेंडी और पड़ोस के गांव आशापुरा में बाघ और तेंदुए दोनों सक्रिय हैं। बाघ ने जहां तीन दिन पहले बछड़े का शिकार आशापुरा में किया था, वहीं एक तेंदुए ने बैल का शिकार किया है। आशापुरा के एक खेत में ग्रामीण चुन्नीलाल को मृत अवस्था में बैल दिखा।

इस पर ग्रामीण ने एक पेड़ पर मोबाइल का कैमरा वीडियो रिकॉर्डिंग मोड पर लगाकर रख दिया। इसमें कई बार तेंदुआ शिकार के पास आता दिखा है। उधर, वन विभाग 3 शिकार के मुआवजे के तौर पर 30 हजार रुपए ग्रामीणों को दे चुका है।

शिकार और पानी मिल रहा, इसलिए वहीं डेरा

डीएफओ नरेंद्र मंडवा ने कहा कि मलेंडी गांव में मुनादी करवाई जा रही है। लोगों को शाम से सुबह होने तक घरों में रहने के लिए कहा जा रहा है। मलेंडी में एक पिंजरा लगा रखा है। ट्रैप कैमरों से लगातार निगरानी रखी जा रही है। बड़ी चिंता यही है कि बाघ को मलेंडी के आसपास ही शिकार और पानी आसानी से मिल रहा है। आसपास जंगल एरिया भी है। इसलिए बाघ ने वहीं डेरा डाल रखा है।

घनी झाड़ियों में जाकर तलाशना मुश्किल है

वन विभाग की रेस्क्यू टीम के साथ दिक्कत यह है कि वे महू, कोदरिया, बड़गोंदा क्षेत्र के जंगलों में सीधे जाकर बाघ को नहीं तलाश सकते। बचाव के तमाम संसाधन होने के बावजूद उसका सामना करना मुश्किल है। उसको पिंजरे में ही कैद किया जा सकता है। इसके अलावा किसी मकान, ऐसे स्थान में वह बैठा दिख जाए कि जहां से उसका निकलना मुश्किल है वहां पर उसे बेहोश कर काबू में किया जा सकता है।

डीएफओ के मुताबिक महू, कोदरिया के बीच 10 ट्रैप कैमरा लगाए हैं। जंगलों में जानवरों की गणना करने के लिए इनका इस्तेमाल किया जाता है। कैमरे के सामने से कोई भी निकलता है तो कैमरे में लगे सेंसर तत्काल उसका फोटो खींच लेते हैं। अलग-अलग दिशाओं में कैमरे लगाने से पता चल सकेगा कि बाघ का मूवमेंट किस तरफ है।

आर्मी क्षेत्र में लगातार बाघ का मूवमेंट जारी है। मंगलवार देर रात एक बार फिर बाघ को आर्मी क्षेत्र में देखा गया, जिसका एक और सीसीटीवी फुटेज सामने आया। इतना ही नहीं बाघ आर्मी की दीवार से निकलकर कोदरिया में स्थित आलू चिप्स के कारखाने जा पहुंचा।

इससे पहले महू के आर्मी एरिया और चिप्स बनाने की फैक्ट्री के यहां भी नजर आ चुका है बाघ

डीएफओ के मुताबिक महू, कोदरिया के बीच 10 ट्रैप कैमरा लगाए हैं। जंगलों में जानवरों की गणना करने के लिए इनका इस्तेमाल किया जाता है। कैमरे के सामने से कोई भी निकलता है तो कैमरे में लगे सेंसर तत्काल उसका फोटो खींच लेते हैं। अलग-अलग दिशाओं में कैमरे लगाने से पता चल सकेगा कि बाघ का मूवमेंट किस तरफ है।

मलेंडी गांव के बाहर इसी जगह बाघ ने पहला शिकार किया था। इसी के बाद बाघ के गांव में मूवमेंट का पता चला था।

कोदरिया में चिप्स बनाने वाले एक ग्रामीण ने डीएफओ को बताया कि उसने रात को बाघ को घूमते हुए देखा है। तकरीबन सौ फीट की दूरी से बाघ देखते ही वह भाग खड़ा हुआ। वहीं रात को केएलपी एरिया में बाघ का फुटेज मिलने से साबित भी हो गया कि बाघ ने अभी जंगल का रुख नहीं किया है।

टाइगर का मूवमेंट..महू से इंदौर तक दहशत: चौथे दिन भी नहीं ढूंढ़ सका ड्रोन कैमरा; गर्मी अधिक होने से बकरे को पिंजरे से निकाला

महू के आर्मी वार कॉलेज के कैम्पस में टाइगर के मूवमेंट के बाद चौथे दिन उसे नहीं ढूंढ़ा जा सका। गुरुवार दोपहर ड्रोन से सर्चिंग रोक दी गई। अफसरों का कहना है कि कैम्पस में शायद ही अब टाइगर हो। वह कहीं और जा सकता है। इसके चलते इसकी दहशत इंदौर तक बनी हुई है। इधर, तीन पिंजड़े रखे गए थे, उनमें बांधा गया बकरा दोपहर में वन विभाग ने बाहर निकाल लिया। इसके पीछे गर्मी अधिक होने की वजह बताई गई है। रात में फिर से बकरे को पिंजड़े में बांधा जाएगा।

ये मलेंडी गांव के मुख्य मार्ग का चित्र है। यहां दिन में भी ग्रामीणों की आवाजाही कम हो गई है।

आर्मी क्षेत्र में लगातार बाघ का मूवमेंट जारी है। मंगलवार देर रात एक बार फिर बाघ को आर्मी क्षेत्र में देखा गया, जिसका एक और सीसीटीवी फुटेज सामने आया। इतना ही नहीं बाघ आर्मी की दीवार से निकलकर कोदरिया में स्थित आलू चिप्स के कारखाने जा पहुंचा।

दिन और रात में 20 फॉरेस्ट गार्ड के साथ ड्रोन से सर्चिंग की जा रही है लेकिन वह नहीं मिल रहा है। पहले दिन यह माना जा रहा था कि वह जंगल में चला गया है लेकिन हैरानी तब हुई जब वह महू में केएलपी एरिया की चिप्स फैक्टरी के पास सीसीटीवी में दिखाई दिया है। इसने घबराहट बढ़ा दी है। आर्मी एरिया में पैदल निकलने पर रोक लगा दी है। केवल वाहनों से ही आवाजाही की जा सकती है।

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