रायपुर। छत्तीसगढ़ का सबसे पुराना पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय भी सीनियर सिटीजन (वरिष्ठता) को छूने को बेताब है। आज विश्वविद्यालय अपना 60वां स्थापना दिवस मना रहा है। एक मई 1964 को अस्तित्व में आया विश्वविद्यालय की नींव तत्कालीन सूचना एवं प्रसारण मंत्री इंदिरा गांधी ने दो जून को पांच विभागों के साथ रखी गई। इन 60 सालों में विश्वविद्यालय कई कीर्तमान स्थापित किए। वर्तमान में यहां पर 29 विभाग संचालित है।
यहां से पढ़कर निकले छात्र शिक्षा, वैज्ञानिक, राजनेता, प्रशासनिक अधिकारी बने हैं।जुलाई 1966 में विश्वविद्यालय से जुड़ने वाले सेवानिवृत प्रो. एचएस गुप्ता ने बताया कि शुरुआत में विश्वविद्यालय अलग-अलग भवनों में कहीं चार महीने, कही छह महीने तक संचालित होता रहा।बाद में साइंस कालेज का गर्ल्स हास्टल की बिल्डिंग मिली। उस समय छात्राएं छात्रावास में नहीं रहती थी, वो खाली था। वहां पर विश्वविद्यालय शुरू किया गया।
इस बिल्डिंग में 1970 तक चलता रहा।1970 में विश्वविद्यालय की नई बिल्डिंग बनकर तैयार हुई। शुरुआत में आर्ट ब्लाक, प्रशासनिक भवन, कुलपति भवन बने। दो से चार महीने के अंदर रजिस्टार, प्राध्यापक और तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के लिए आवास भी बनकर तैयार हो गए थे।छात्रों के रहने के लिए आजाद और गांधी नाम से दो हास्टल भी बन गए।विश्वविद्यालय परिसर में जंगल था।लोगों का आना-जाना कम हुआ करता था। विश्वविद्यालय परिसर में रहने वाले प्रोफेसर और कर्मचारी सुबह-शाम घूमने के लिए निकलते थे।
पांच जिलों तक फैला है कार्यक्षेत्र
विश्वविद्यालय का वर्तमान समय में रायपुर सहित गरियाबंद, बलौदाबाजार, धमतरी और महासमुंद पांच जिलों में कार्यक्षेत्र फैला है। पांच जिलों में 40 शासकीय और 84 गैर शासकीय महाविद्यालय विश्वविद्यालय के संबंद्ध से संचालित है। दुर्ग विश्वविद्यालय बनने के बाद विश्वविद्यालय का कार्यक्षेत्र कम हुआ है। रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय का कार्यक्षेत्र लगभग 10 जिलों में फैला था।विश्वविद्यालय की शुरुआत में सिर्फ 46 महाविद्यालय जुड़े थे।
साइंस कालेज सभागृह में आज होगा कार्यक्रम
पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय की ओर से साइंस कालेज सभागृह में 60वां स्थापना दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। सुबह 11 बजे से शुरू होने वाले कार्यक्रम में सेवानिवृत्त शिक्षकों और कर्मचारियों को सम्मानित किया जाएगा।इसके अलावा वार्षिक प्रदर्शन में सर्वश्रेष्ठ रहने वाला अध्ययनशाला और सर्वश्रेष्ठ अशासकीय महाविद्यालय को डा. बाबूराम सक्सेना और डा. बीएल पांडे स्मृति चिन्ह से सम्मानित किया जाएगा।अच्छा काम करने वाले कर्मचारियों, छात्रों को भी सम्मानित किया जाएगा।