रायपुर। छत्तीसगढ़ में संचालित स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल इस सत्र में भी सीजी बोर्ड से ही संबंद्ध रहेंगे। पहले कुछ स्कूलों ने सीबीएसई से जुड़ने का प्रारंभिक रजिस्ट्रेशन भी करवाए थे। सीबीएसई के अधिकारियों ने वेबिनार के माध्यम से स्कूल प्रबंधन को अपनी मान्यता देने की गाइडलाइन के बारे में भी बता चुके थे।
मान्यता लेने में खर्च होने वाली राशि को भी स्कूलों को अपने ही बजट से देने का प्रावधान था। लेकिन नई शिक्षा नीति (एनईपी) बनने के बाद से स्कूलों में सीबीएसई बोर्ड करवाने की चर्चाओं में विराम सा लग गया है। छात्रों और अभिभावकों के कहने के बाद स्कूल प्रबंधन भी सीबीएसई बोर्ड की पढ़ाई करवाने पर विचार करने लगा था।
जानकारों की माने तो नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद पूरे देश में एक जैसा ही पाठ्यक्रम पढ़ाया जाएगा। नई शिक्षा नीति के तहत संभवत: अगले सत्र से पढ़ाई भी शुरू हो जाए। एनसीईआरटी की तरफ से नया पाठ्यक्रम बनाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इसके बाद दूसरा बोर्ड होने से छात्रों की पढ़ाई में कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
एनसीईआरटी किताबों के हिसाब से होती हैं प्रवेश परीक्षाएं
12वीं के बाद होने जेईई, नीट, कैट जैसे राष्ट्रीय स्तर की प्रवेश परीक्षाएं एनसीईआरटी की किताबों के पाठ्यक्रम के हिसाब से होती है। लिहाजा दूसरे बोर्ड के छात्र पिछड़ जाते है। सीबीएसई बोर्ड में एनसीईआरटी की किताबें शुरू से ही चलती है। सीजी बोर्ड में 10वीं कक्षा तक एससीईआरटी की किताबें चलाई जाती है।लेकिन इन किताबों मे सिर्फ 20 प्रतिशत कोर्स ही राज्य बोर्ड अपने हिसाब से तय करता है, बाकि 80 प्रतिशत पाठ्यक्रम एनसीईआरटी का ही होता है।
अभिभावक चाहते थे सीबीएसई बोर्ड हो
स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों के अभिभावक चाहते थे की इन स्कूलों में पढ़ाई सीबीएसई बोर्ड की हो। स्कूलों में होने वाली पैरेंट्स टीचर मीटिंग (पीटीएम) में भी बहुत सारे अभिभावकों के सुझाव सीबीएसई स्कूल करने के मिलते थे, इसी वजह से स्कूल प्रबंधन में सरकार से सीजी बोर्ड से सीबीएसई बोर्ड में परिवर्तित करने की वकालत कर चुके थे। छात्रों के अभिभावकों का कहना था कि स्कूल का इंफ्रास्ट्रक्चर पूरी तरह से बड़े निजी स्कूलों जैसा है, पढ़ाई भी अंग्रेजी माध्यम में हो रही है। निजी स्कूलों जैसे ही सीबीएसई बोर्ड की पढ़ाई भी हो।