सागर। 5 अप्रैल को पति-पत्नी अपने दो बेटों के साथ खाना खाकर रात में सोए। 6 अप्रैल तड़के करीब 4 बजे पिता की नींद खुली, तो छोटा बेटा (16 महीने) गायब था। तुरंत पत्नी और परिवार वालों को जगाया। बच्चे की तलाश शुरू की। मोहल्ले के लोगों से पूछताछ की। आसपास खोजा, लेकिन नहीं मिला। इसी बीच, करीब 5 से 5.30 बजे घर से 600 मीटर दूर हाईवे पर उसका शव मिला। बच्चा चल भी नहीं पाता था। सवाल- बच्चा आखिर घर से 600 मीटर दूर हाईवे पर कैसे पहुंचा? पुलिस इस गुत्थी को सुलझाने में जुटी है। बच्चे की मौत हादसा है या हत्या, अभी स्पष्ट नहीं हो सका है।
हालांकि, पुलिस जांच में परिवार वाले संदेह के घेरे में हैं। बयानों में विरोधाभास होने के साथ ही कई ऐसे बिंदु हैं, जिनके आधार पर पुलिस परिवार वालों पर संदेह कर रही है। पुलिस ने डॉक्टर से बच्चे की पीएम रिपोर्ट की डिटेल जानकारी मांगी है।
सागर के महाराजपुर थाना क्षेत्र के ग्राम रीछई में 16 महीने के नंदलाल पुत्र देवेंद्र अहिरवार की मौत मिस्ट्री बनी हुई है। घटना वाली रात वो माता-पिता के बीच सोया था। वहीं से अचानक लापता हो गया। सुबह करीब 5 बजे सागर-नरसिंहपुर हाईवे पर उसका शव मिला था। वारदात सामने आते ही पुलिस ने जांच शुरू की। परिवार वालों ने पड़ोसी पर बच्चे की हत्या करने का आरोप लगाया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए 11 अप्रैल को एडिशनल एसपी ज्योति ठाकुर, एसडीओपी देवरी पूजा शर्मा ने टीम के साथ मौके पर पहुंचकर पड़ताल की।
परिवार वालों पर संदेह, बयानों में विरोधाभास
मृतक बच्चे के पिता देवेंद्र अहिरवार ने बताया कि मकान का निर्माण कार्य चल रहा था, इसलिए परिवार टपरी बनाकर रह रहा है। 5 अप्रैल की रात करीब 9 बजे मैं थ्रिसिंग कराकर घर लौटा था। खाना खाया और सो गया। छोटा बेटा नंदलाल मेरे और पत्नी के बीच मैं सोया था। थोड़ी दूर पिता जयराम सो रहे थे। बाहर आंगन में मां पार्वती सोई थीं। उनके पास बड़ा बेटा शिव प्रसाद था। बाजू वाले कमरे में भाभी संगीता सो रही थी। रात करीब 3 बजे नंदलाल उठा था। उसने टॉयलेट की थी, तो पत्नी ने साफ की। इसके बाद दूध पिलाकर सुला दिया। 6 अप्रैल तड़के करीब 4 बजे मैं जागा, तो देखा नंदलाल गायब था। अखिलेश ने पुलिस को सूचना दी।
चार दिन तक पुलिस ने नहीं की सुनवाई
देवेंद्र अहिरवार ने बताया कि पुलिस पंचनामा बनाकर चली गई, लेकिन शव नहीं ले गई। मैं बाइक से बेटे का शव लेकर अस्पताल पहुंचा, जहां पीएम हुआ। इसके बाद 4 दिन तक पुलिस ने सुनवाई नहीं की। मैं बेटे की मौत मामले की जांच की मांग को लेकर विधायक हर्ष यादव के पास गया। तब जाकर पुलिस आई और बयान लिए। मामले में पुलिस अब हम लोगों पर ही आरोप लगा रही है कि हम लोगों ने ही बच्चे के साथ कुछ किया है। देवेंद्र ने आरोप लगाते हुए कहा कि पड़ोसी अखिलेश बंसल से 2 जनवरी को विवाद हुआ था। बच्चों के विवाद में मेरी मां पार्वती के साथ मारपीट की गई थी। थाने में शिकायत की थी। आशंका है कि उन लोगों ने ही बच्चे के साथ हादसा किया है।
हम तो सो रहे थे, पता नहीं किसने क्या किया मेरे बेटे के साथ
बच्चे की मां गायत्री ने बताया कि रात 3 बजे बच्चे ने टॉयलेट की, तो वह उठ गया। उसे साफ किया। दूध पिलाकर सुला दिया। मैं भी सो गई। फिर पति देवेंद्र उठे। उन्होंने देखा तो बच्चा गायब था। उन्होंने मुझे और परिवार वालों को जगाया। बच्चे के बारे में पूछा। बच्चा नहीं मिलने पर मोहल्ले वालों से पूछताछ की। इसी बीच, बच्चा रोड पर मिला। मुझे पता नहीं किसने क्या किया बेटे के साथ। मैं तो सो रही थी। मेरी और परिवार वालों की नींद ही नहीं खुली।
पथरीले रास्ते से बच्चा कैसे गया हाईवे पर
बच्चे का शव घर से करीब 600 मीटर दूर हाईवे पर मिला था, लेकिन घर से घटनास्थल हाईवे तक पहुंचने वाला रास्ता कंकड़-पत्थर और कूड़े वाला है। घर से बाहर निकलते ही कंकड़-पत्थर हैं। गलीनुमा रास्ते से होकर रात 3 से 4 बजे के बीच घुप अंधेरे में बच्चा स्वयं हाईवे पर कैसे पहुंच सकता है? यदि बच्चा स्वयं खिसकते हुए हाईवे पर पहुंचा, तो रोया क्यों नहीं? रोया तो किसी ने सुना क्यों नहीं? परिवार के बीच से बच्चा घर से बाहर कैसे चला गया? ऐसे तमाम बिंदु सवाल खड़े करते हैं कि आखिर बच्चा हाईवे पर पहुंचा कैसे? यही कारण है कि बच्चे की मौत मामले में संदेह है कि कोई दूसरे व्यक्ति ने बच्चे को हाईवे पर लगाकर छोड़ा होगा। अब वह परिवार का सदस्य है या फिर पड़ोसी यह तो पुलिस जांच के बाद ही सामने आ सकेगा।
बच्चे को लग रहे थे दस्त, पिता दवाई लाया मगर खिलाई नहीं
जांच के दौरान सामने आया कि घटना के समय बच्चे को दस्त लग रहे थे। घटना वाली रात बच्चे का पिता महाराजपुर से दवा लेकर आया था, लेकिन जांच के दौरान दवाइयां जस की तस रखी मिली थीं, जो बच्चे को नहीं दी गई, जबकि माता-पिता का कहना है कि बच्चे के दांत निकल रहे थे, इसलिए उसे दस्त लग रहे थे। अब पुलिस बीमा के एंगल पर भी जांच कर रही है। पुलिस को संदेह है कि कहीं बच्चे की मौत किसी दूसरे कारण से हुई हो। बीमा पाने के लिए उसका शव हाईवे पर छोड़ दिया गया हो।
मामले के सभी बिंदुओं पर जांच कर रहे
देवरी एसडीओपी पूजा शर्मा ने बताया कि मामले में हर बिंदु पर बारीकी से जांच कर रहे हैं। घटना वाले दिन माता-पिता ने किसी पर आरोप नहीं लगाया था, लेकिन करीब 3 दिन बाद उन्होंने कहा कि बच्चा हाईवे पर कैसे पहुंच गया? मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच शुरू की। माता-पिता के बयान लिए। दोनों के बयानों में विरोधाभास है, जिससे वह भी संदेह के घेरे में हैं।
वहीं, बच्चे का शव मिलने के बाद पिता ने पुलिस को सूचना नहीं दी। वह अपने जीजा से बात कर रहा था। जिस परिवार पर वह आरोप लगा रहे हैं, उन्होंने पुलिस को सूचना दी थी। मामले में बच्चे की मौत का समय व पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अन्य बिंदुओं पर डॉक्टर से डिटेल जानकारी मांगी गई है। अभी बच्चे की मौत मामले में निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सका है। जांच जारी है।