जबलपुर में आज शाम को होलिका दहन किया जाएगा। फाल्गुन माह के विशेष पर्व होली की शुरुआत आज से होगी। पूर्णिमा तिथि की समाप्ति के बाद से आज शाम से होलिका दहन के साथ ही होली के पर्व को शुरुआत हो जाएगी। होलिका दहन के लिए करीब ढाई घंटे का शुभ मुहूर्त होगा। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त ज्योतिषि के मुताबिक शाम 6:15 बजे से लेकर 9 बजे तक के लिए होगा। आज से ही लोग एक दूसरे को रंग गुलाल लगाकर होली की शुभकामनाएं भी देंगे। वहीं जबलपुर में इस वर्ष सैकड़ों होलिका तिराहों और चौराहों में रखी गई है। जहां होलिका दहन के साथ ही जश्न की शुरुआत होगी।
होलिका पूजा से पहले भगवान नृसिंह फिर प्रहलाद का ध्यान कर के प्रणाम करें। उन्हें चंदन, अक्षत और फूल सहित पूजन सामग्री चढ़ाकर नमस्कार करें। इसके बाद होली की पूजा करें। पूजा करते समय पूर्व या उत्तर दिशा में मुंह होना चाहिए। इस दिन घर में बने हुए 7 तरह के पकवानों और पूजन सामग्री से होलिका पूजा होती है। भोग भी लगाया जाता है। साथ ही होलिका दहन देखना भी शुभकारी माना जाता है। मान्यता है इससे मन की नकारात्मकता का भी दहन होता है और मन की ऊर्जा बढ़ती है।
होली की राख माथे पर लगाई जाती है
त्रेतायुग की शुरुआत में लोगों की रक्षा के लिए धरती पर पहला यज्ञ हुआ तो भगवान विष्णु ने उसमें से थोड़ी सी राख अपने सिर पर लगाई और थोड़ी हवा में उड़ा दी। इसके बाद ऋषियों ने भी ऐसा ही किया और जाना की हवन की राख को शरीर पर लगाने से सेहत से जुड़ी परेशानियां दूर होती है। तब से ये परंपरा चली आ रही है। सिर पर राख लगाने को धूलि वंदन कहते हैं। इसी से धुरेंडी पर्व बना, जिस दिन हम रंग गुलाल से खेलते हैं।
होलाष्टक से जुड़ी मान्यता
होली भक्त प्रहलाद, होलिका और हिरण्यकश्यपु से संबंधित पर्व है। असुर राज हिरण्यकश्यपु भगवान विष्णु को शत्रु मानता था, लेकिन उसका बेटा प्रहलाद विष्णु जी का परम भक्त था । प्रहलाद की भक्ति से गुस्सा होकर हिरण्यकश्यपु ने अपने ही बेटे को मारने की कई बार कोशिश की। होलाष्टक के दिनों में प्रहलाद को हिरण्यकश्यपु ने तरह-तरह की यातनाएं दीं थीं।
होलिका को आग में न जलने का वरदान मिला हुआ था। फाल्गुन पूर्णिमा पर असुर राज की बहन होलिका ने प्रहलाद को मारने के लिए योजना बनाई कि वह प्रहलाद को लेकर आग में बैठ जाएगी तो वह जलकर मर जाएगा, लेकिन विष्णु जी की कृपा से प्रहलाद तो बच गया, लेकिन होलिका जल गई। बाद में विष्णु जी ने नरसिंह अवतार लेकर हिरण्यकश्यपु का वध किया था।
होलाष्टक में प्रहलाद को यातनाएं दी गई थीं, इस वजह से इन दिनों में शुभ कामों के लिए मुहूर्त नहीं रहते हैं।
ज्योतिष की मान्यता है कि होलाष्टक के समय में नौ ग्रहों में से अधिकतर ग्रहों की स्थिति अच्छी नहीं होती है। इस वजह से इन दिनों शुभ काम टालने की सलाह दी जाती है। कमजोर ग्रह स्थिति में किए गए शुभ काम भी असफल हो सकते हैं।