सुरक्षाकर्मी को आया अटैक कांग्रेस महाधिवेशन में,बताया गया कि गर्मी से सुरक्षाकर्मी का हाल बेहाल ,डॉक्टरों की टीम मौके पर पहुंच किया उपचार….

सुरक्षाकर्मी को आया अटैक कांग्रेस महाधिवेशन में,बताया गया कि गर्मी से सुरक्षाकर्मी का हाल बेहाल ,डॉक्टरों की टीम मौके पर पहुंच किया उपचार….

नया रायपुर में कांग्रेस पार्टी का 85वां महाधिवेशन चल रहा है। इस दौरान सुरक्षा व्यवस्था के लिए लगाए गए एक बाउंसर को अटैक आ गया। अटैक से वो वहीं बेहोश होकर गिर गया। सूचना मिलते ही डॉ. राकेश गुप्ता अपनी टीम के साथ पहुंचे और उसे 10 बिस्तर अस्पताल तक लाए। वहां उसका उपचार किया गया। जानकारी के मुताबिक अधिवेशन परिसर में ही सभी राज्यों के अलग-अलग काउंटर बनाए गए हैं। वहां पर उन राज्यों से आए जन प्रतिनिधियों को बैठने की व्यवस्था की गई है। वहां पर सुरक्षा व्यस्था के लिए पुलिस के साथ-साथ निजी गार्ड भी लगाए गए हैं। सुबह करीब 10.30 बजे के करीब वहां बाउंसर ओंकार साहू को अटैक आ गया। वो जमीन पर गिरकर तड़पने लगा। इसके बाद दूसरे बाउंसर और लोगों ने उसे लिटाया और पानी के छींटे मारे। इसके बाद पास के 10 बिस्तर अस्पताल में सूचना दी गई। अस्पताल के इंचार्ज डॉ. राकेश गुप्ता तुरंत अपनी टीम के साथ वहां पहुंचे। उन्होंने उसका प्राथमिक उपचार किया और उसके बाद उसे अस्पताल ले गया। वहां उसकी जांच की गई और इसके बाद उसे वहां से बड़े अस्पताल में रेफर किया गया है।

अधिवेशन में बाउंसर को आया अटैक - Dainik Bhaskar

गर्मी से बेहाल डॉक्टर, न पंखा न कूलर
महाधिवेशन परिसर में 10 बिस्तर और पांच-पांच बिस्तर के तीन अस्थाई अस्पताल बनाए गए हैं। यहां मॉनीटर के साथ मरीजों को भर्ती करने की व्यवस्था की गई है, लेकिन गर्मी से बचाव के लिए व्यवस्था करना व्यवस्थापक भूल गए। अस्पताल में न तो पंखा लगाया गया और न कूलर की व्यवस्था की गई। डॉ. गुप्ता का कहना है कि ऐसे में न तो डॉक्टर अस्पताल में बैठ पाएंगे न मरीज को भर्ती किया जा सकता है। उन्होंने व्यवस्थापक से भी पंखा कूलर की व्यवस्था करने के लिए कहा है।

बेरिकेड्स के कारण मरीज तक पहुंचने में असुविधा
बाउंसर ओंकार साहू अधिवेशन पंडाल के पास बने 10 बिस्तर अस्पताल का पहला मरीज था। पहले ही मरीज तक पहुंचने में डॉक्टरों को आधे घंटे से अधिक का समय लगा। जगह-जगह सुरक्षा कारणों से गेट बंद किए गए थे। डॉक्टरों द्वारा इमरजेंसी बोलने के बाद भी सुरक्षा ड्यूटी पर तैनात पुलिस के अधिकारी 1-2 मिनट तक पूछताछ ही कर रहे थे। डॉक्टरों का कहना है कि ऐसे समय में चाहिए कि डॉक्टरों की टीम को जल्द से जल्द मरीज तक पहुंचने के लिए रास्ता दिया जाना चाहिए।

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