दोनों किडनी खराब फिर भी रोज पढ़ा रहे शिक्षक,बोले- मेरी जिंदगी से ज्यादा जरूरी बच्चों का भविष्य…

दोनों किडनी खराब फिर भी रोज पढ़ा रहे शिक्षक,बोले- मेरी जिंदगी से ज्यादा जरूरी बच्चों का भविष्य…


आप कोई भी काम करते हों, बीमार होने पर छुट्टी लेना आम बात है। इसमें कोई बुराई भी नहीं, लेकिन जब आपका काम आपका जुनून बन जाए तो गंभीर बीमारी भी छोटी और काम बड़ा लगने लगता है। ऐसी ही कहानी है डिंडौरी जिले के शिक्षक संजय कुमार मरावी की। उनकी दोनों किडनियां खराब हो गई हैं। डॉक्टर्स ने उन्हें आराम करने की सलाह दी है, लेकिन वो रोजाना स्कूल पहुंच जाते हैं। न सिर्फ बच्चों को पढ़ाते हैं बल्कि पढ़ाई के दौरान ये अहसास भी नहीं होने देते कि वो बीमार हैं। वो कहते हैं- मेरी जिंदगी से ज्यादा जरूरी बच्चों का भविष्य है। बच्चे भी उनकी सलामती के लिए रोजाना स्कूल में प्रार्थना करते हैं।

मौत से लड़कर बच्चों का भविष्य संवारने में जुटे संजय की कहानी…

डिंडौरी जिले का मेहन्द्वानी मॉडल स्कूल। सुबह के साढ़े 10 बजे हैं। हर स्कूल की तरह यहां भी सुबह की प्रार्थना हो रही है- ‘सुबह सबेरे लेकर तेरा नाम प्रभु ,करते हैं हम शुरुआत काम प्रभु’। इस प्रार्थना के बाद बच्चे दो मिनट मौन रखकर ईश्वर से अपने शिक्षक संतोष कुमार मरावी की लंबी उम्र मांगते हैं।

संजय मंडला जिले की निवास तहसील के रहने वाले हैं। वर्ष 2018 में पात्रता परीक्षा पास की थी। अक्टूबर 2021 में उनकी पहली पोस्टिंग मेहन्द्वानी मॉडल स्कूल में हुई। तब से यहां हिंदी पढ़ा रहे हैं। तबीयत खराब रहने पर नवंबर 2022 में जांच कराने पर पता चला उनकी दोनों किडनियां खराब हैं।

डॉक्टर्स ने सलाह दी कि अब कंप्लीट बेड रेस्ट कीजिए। संजय कहते हैं- कुछ दिनों के बेड रेस्ट में ही महसूस होने लगा कि मैं और बीमार हो रहा हूं। इधर बच्चों की पढ़ाई पिछड़ रही थी। इस माह एमपी बोर्ड की प्रैक्टिकल परीक्षाएं हैं। अगले माह से लिखित परीक्षाएं शुरू हो रही हैं। मेरी बीमारी बढ़ रही थी और सिलेबस बुरी तरह पिछड़ रहा था। इसलिए मैंने फैसला किया कि अब जो भी हो बच्चों का कोर्स समय पर पूरा कराऊंगा, ताकि उनका भविष्य न बिगड़े। इसके बाद ही इलाज के लिए जाऊंगा।

स्कूल के विद्यार्थी, शिक्षक संजय मरावी की लंबी उम्र के लिए हर दिन ईश्वर से प्रार्थना करते।
स्कूल के विद्यार्थी, शिक्षक संजय मरावी की लंबी उम्र के लिए हर दिन ईश्वर से प्रार्थना करते।
बच्चे कह रहे- सर की तबीयत खराब है तो अच्छा नहीं लग रहा

छात्रा शाहिस्ता कहती हैं कि सर हिंदी बहुत अच्छे तरीके से पढ़ाते हैं। जब से पता चला है कि सर की दोनों किडनियां खराब हो चुकी हैं तब से अच्छा नही लग रहा। इसके बाद भी सर स्कूल पढ़ाने आ रहे हैं। हम ईश्वर से प्रार्थना कर रहे हैं कि सर जल्दी ठीक हो जाएं। हमने सर से कोर्स अधूरा छोड़ने का आग्रह भी किया था। हम सब बच्चों ने मिलकर सर से कहा था कि आप उपचार कराइए हम कोर्स खुद पढ़ लेंगे।

नागपुर में होना है किडनी ट्रांसप्लांट

तबीयत अचानक खराब हुई तो संजय को मेहन्द्वानी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती करवाया गया। डॉक्टर ने जबलपुर जाने की सलाह दी। जबलपुर में डॉक्टर नीरज जैन ने उन्हें जवाब दे दिया तो नागपुर गए। मेडिकल टेस्ट से पता चला कि दो किडनी खराब हो चुकी हैं। अब दो दिन में डायलिसिस कराना पड़ेगा और बाद में किडनी ट्रांसप्लांट कराना पड़ेगा। अगले महीने ट्रांसप्लांट के लिए बुलाया गया है।

फिलहाल ले रहे आयुर्वेदिक इलाज

संजय मरावी ने सोशल मीडिया के माध्यम से चंडीगढ़ के आयुर्वेदिक हॉस्पिटल के बारे में जानकारी जुटाई और इलाज कराने गए। 12 दिन भर्ती रहे। अब भी आयुर्वेदिक डॉक्टरों की सलाह पर थैरेपी ले रहे हैं। कहते हैं- इसी से ठीक हो जाऊं तो अच्छा। किसी से किडनी लेकर मैं उसकी जिंदगी जोखिम में नहीं डालना चाहता। आयुर्वेदिक इलाज से सुधार ज्यादा नहीं हो रहा है। लगातार डॉक्टरों के सम्पर्क में हैं और उनकी बताई दवाइयां और थैरेपी ले रहे हैं। 40 डिग्री गर्म पानी में एक घंटे बैठना पड़ रहा है। संजय के छोटे भाई संदीप साथ मे रहकर मदद कर रहे हैं।

फिलहाल चलना-बैठना दोनों मुश्किल

संजय ज्यादा देर बैठते हैं तो उनके पैरों में सूजन आ जाती है। चलते हैं तो पैर सुन्न हो जाते हैं। संजय कहते हैं- न ज्यादा देर बैठ पाता हूं न चल पाता हूं। पहले बच्चों को चलते-चलते पढ़ाता था अब थोड़ी देर बैठकर तो थोड़ी देर चलते हुए पढ़ाता हूं। कमर में ऐसा दर्द होता है जिसे सहन करना मुश्किल हो जाता है, लेकिन बच्चों के सामने चेहरे पर दर्द नहीं दिखा सकता।

स्कूल के विद्यार्थी, शिक्षक संजय मरावी की लंबी उम्र के लिए हर दिन ईश्वर से प्रार्थना करते।

शिक्षक संजय मेहन्द्वानी मॉडल स्कूल के क्लास रूम में बच्चों को पढ़ाते हुए। से ज्यादा देर तक न तो बैठ पाते हैं और न ही खड़े रह पाते हैं। ऐसे में कुछ देर बैठकर तो कुछ देर चलते-चलते पढ़ाते हैं।
शिक्षक संजय मेहन्द्वानी मॉडल स्कूल के क्लास रूम में बच्चों को पढ़ाते हुए। से ज्यादा देर तक न तो बैठ पाते हैं और न ही खड़े रह पाते हैं। ऐसे में कुछ देर बैठकर तो कुछ देर चलते-चलते पढ़ाते हैं।
पत्नी ने 9 लाख का कर्ज लिया, बोलीं- किडनी भी दूंगी

शिक्षक संजय कुमार मरावी की पत्नी मालती मरावी CISF दिल्ली में पदस्थ हैं। दिसंबर 2022 में ही अपने पति के साथ महीनेभर रहकर वापस ड्यूटी जॉइन करने गई हैं। उनसे फोन पर भास्कर की टीम ने बात की तो बोलीं- मेरे पति काे पढ़ाने से बेहद लगाव है। शिक्षा देने से मैं उन्हें नहीं रोक सकती। इसी में उनकी सांसें बसती हैं। हां, इलाज कराने के लिए जरूर बोलती रहती हूं। मैंने उनके इलाज के लिए 9 लाख रुपए का कर्ज लिया है। डॉक्टर्स ने कहा है कि किडनी ट्रांसप्लांट में 15 लाख रुपए का खर्च आएगा। किडनी तो घरवाले देने को तैयार हैं। जरूरत पड़ी तो मैं खुद अपनी किडनी दे दूंगी।

संजय की पत्नी मालती ने पति के इलाज के लिए 9 लाख रुपए का कर्ज लिया है। किडनी ट्रांसप्लांट पर 15 लाख रुपए खर्च होंगे। मालती खुद किडनी देने को भी तैयार हैं।
संजय की पत्नी मालती ने पति के इलाज के लिए 9 लाख रुपए का कर्ज लिया है। किडनी ट्रांसप्लांट पर 15 लाख रुपए खर्च होंगे। मालती खुद किडनी देने को भी तैयार हैं।
कलेक्टर बोले- प्रशासन शिक्षक की मदद करेगा

कलेक्टर विकास मिश्रा से जब हमने शिक्षक को सरकारी मदद मिलने के बारे में पूछा तो उन्होंने संजय मरावी से फोन पर बात की। उनका हालचाल पूछा और वॉट्सएप पर ही इलाज संबंधित पूरे दस्तावेज बुलवा लिए। आश्वस्त किया कि हर संभव सरकारी मदद संजय को दिलाई जाएगी। ऐसे शिक्षक सभी के लिए प्रेरक हैं। इन्हें सहेजकर रखना सबका दायित्व है।

पिता से विरासत में मिले पढ़ाने के संस्कार

संतोष कुमार मरावी के पिता एलएस मरावी जबलपुर जिले के कुंडम ब्लॉक के हरदुली कला माध्यमिक स्कूल में शिक्षक हैं। उनसे ही संजय काे पढ़ाने के संस्कार मिले। माता उर्मिला मरावी गांव में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हैं। वह भी बीमार रहती हैं। बड़े भाई संतोष कुमार मरावी जबलपुर में प्राइवेट जॉब करते हैं। एक बड़ी बहन शशि प्रभा मरावी आयुष विभाग में कर्मचारी हैं। छोटे भाई संदीप साथ में रहकर मदद कर रहे हैं।

प्राचार्य बोले- 25 बरस में ऐसा शिक्षक नहीं देखा

मॉडल स्कूल मेहन्द्वानी के प्राचार्य समद मरावी कहते हैं हमें गर्व है कि संजय हमारे स्कूल के शिक्षक हैं। वर्ष 1998 से शिक्षा विभाग में सेवाएं दे रहा हूं। इस दौरान शिक्षक छुट्टी का आवेदन लेकर मेरे पास आते थे। पहली बार ऐसा शिक्षक मिला जिसे सब इलाज के लिए छुट्टी पर जाने के लिए बोल रहे हैं, लेकिन संजय दिल से बच्चों को पढ़ा रहे हैं और बच्चे भी संजय को बहुत चाहते हैं। स्कूल में बच्चे रोजाना उनके स्वास्थ्य के लिए नियमित प्रार्थना के बाद दो मिनट की मौन प्रार्थना करते हैं।

आप कोई भी काम करते हों, बीमार होने पर छुट्टी लेना आम बात है। इसमें कोई बुराई भी नहीं, लेकिन जब आपका काम आपका जुनून बन जाए तो गंभीर बीमारी भी छोटी और काम बड़ा लगने लगता है। ऐसी ही कहानी है डिंडौरी जिले के शिक्षक संजय कुमार मरावी की। उनकी दोनों किडनियां खराब हो गई हैं। डॉक्टर्स ने उन्हें आराम करने की सलाह दी है, लेकिन वो रोजाना स्कूल पहुंच जाते हैं। न सिर्फ बच्चों को पढ़ाते हैं बल्कि पढ़ाई के दौरान ये अहसास भी नहीं होने देते कि वो बीमार हैं। वो कहते हैं- मेरी जिंदगी से ज्यादा जरूरी बच्चों का भविष्य है। बच्चे भी उनकी सलामती के लिए रोजाना स्कूल में प्रार्थना करते हैं।

मौत से लड़कर बच्चों का भविष्य संवारने में जुटे संजय की कहानी…

डिंडौरी जिले का मेहन्द्वानी मॉडल स्कूल। सुबह के साढ़े 10 बजे हैं। हर स्कूल की तरह यहां भी सुबह की प्रार्थना हो रही है- ‘सुबह सबेरे लेकर तेरा नाम प्रभु ,करते हैं हम शुरुआत काम प्रभु’। इस प्रार्थना के बाद बच्चे दो मिनट मौन रखकर ईश्वर से अपने शिक्षक संतोष कुमार मरावी की लंबी उम्र मांगते हैं।

संजय मंडला जिले की निवास तहसील के रहने वाले हैं। वर्ष 2018 में पात्रता परीक्षा पास की थी। अक्टूबर 2021 में उनकी पहली पोस्टिंग मेहन्द्वानी मॉडल स्कूल में हुई। तब से यहां हिंदी पढ़ा रहे हैं। तबीयत खराब रहने पर नवंबर 2022 में जांच कराने पर पता चला उनकी दोनों किडनियां खराब हैं।

डॉक्टर्स ने सलाह दी कि अब कंप्लीट बेड रेस्ट कीजिए। संजय कहते हैं- कुछ दिनों के बेड रेस्ट में ही महसूस होने लगा कि मैं और बीमार हो रहा हूं। इधर बच्चों की पढ़ाई पिछड़ रही थी। इस माह एमपी बोर्ड की प्रैक्टिकल परीक्षाएं हैं। अगले माह से लिखित परीक्षाएं शुरू हो रही हैं। मेरी बीमारी बढ़ रही थी और सिलेबस बुरी तरह पिछड़ रहा था। इसलिए मैंने फैसला किया कि अब जो भी हो बच्चों का कोर्स समय पर पूरा कराऊंगा, ताकि उनका भविष्य न बिगड़े। इसके बाद ही इलाज के लिए जाऊंगा।

बच्चे कह रहे- सर की तबीयत खराब है तो अच्छा नहीं लग रहा

छात्रा शाहिस्ता कहती हैं कि सर हिंदी बहुत अच्छे तरीके से पढ़ाते हैं। जब से पता चला है कि सर की दोनों किडनियां खराब हो चुकी हैं तब से अच्छा नही लग रहा। इसके बाद भी सर स्कूल पढ़ाने आ रहे हैं। हम ईश्वर से प्रार्थना कर रहे हैं कि सर जल्दी ठीक हो जाएं। हमने सर से कोर्स अधूरा छोड़ने का आग्रह भी किया था। हम सब बच्चों ने मिलकर सर से कहा था कि आप उपचार कराइए हम कोर्स खुद पढ़ लेंगे।

नागपुर में होना है किडनी ट्रांसप्लांट

तबीयत अचानक खराब हुई तो संजय को मेहन्द्वानी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती करवाया गया। डॉक्टर ने जबलपुर जाने की सलाह दी। जबलपुर में डॉक्टर नीरज जैन ने उन्हें जवाब दे दिया तो नागपुर गए। मेडिकल टेस्ट से पता चला कि दो किडनी खराब हो चुकी हैं। अब दो दिन में डायलिसिस कराना पड़ेगा और बाद में किडनी ट्रांसप्लांट कराना पड़ेगा। अगले महीने ट्रांसप्लांट के लिए बुलाया गया है।

फिलहाल ले रहे आयुर्वेदिक इलाज

संजय मरावी ने सोशल मीडिया के माध्यम से चंडीगढ़ के आयुर्वेदिक हॉस्पिटल के बारे में जानकारी जुटाई और इलाज कराने गए। 12 दिन भर्ती रहे। अब भी आयुर्वेदिक डॉक्टरों की सलाह पर थैरेपी ले रहे हैं। कहते हैं- इसी से ठीक हो जाऊं तो अच्छा। किसी से किडनी लेकर मैं उसकी जिंदगी जोखिम में नहीं डालना चाहता। आयुर्वेदिक इलाज से सुधार ज्यादा नहीं हो रहा है। लगातार डॉक्टरों के सम्पर्क में हैं और उनकी बताई दवाइयां और थैरेपी ले रहे हैं। 40 डिग्री गर्म पानी में एक घंटे बैठना पड़ रहा है। संजय के छोटे भाई संदीप साथ मे रहकर मदद कर रहे हैं।

फिलहाल चलना-बैठना दोनों मुश्किल

संजय ज्यादा देर बैठते हैं तो उनके पैरों में सूजन आ जाती है। चलते हैं तो पैर सुन्न हो जाते हैं। संजय कहते हैं- न ज्यादा देर बैठ पाता हूं न चल पाता हूं। पहले बच्चों को चलते-चलते पढ़ाता था अब थोड़ी देर बैठकर तो थोड़ी देर चलते हुए पढ़ाता हूं। कमर में ऐसा दर्द होता है जिसे सहन करना मुश्किल हो जाता है, लेकिन बच्चों के सामने चेहरे पर दर्द नहीं दिखा सकता।

शिक्षक संजय मेहन्द्वानी मॉडल स्कूल के क्लास रूम में बच्चों को पढ़ाते हुए। से ज्यादा देर तक न तो बैठ पाते हैं और न ही खड़े रह पाते हैं। ऐसे में कुछ देर बैठकर तो कुछ देर चलते-चलते पढ़ाते हैं।

संजय की पत्नी मालती ने पति के इलाज के लिए 9 लाख रुपए का कर्ज लिया है। किडनी ट्रांसप्लांट पर 15 लाख रुपए खर्च होंगे। मालती खुद किडनी देने को भी तैयार हैं।

पत्नी ने 9 लाख का कर्ज लिया, बोलीं- किडनी भी दूंगी

शिक्षक संजय कुमार मरावी की पत्नी मालती मरावी CISF दिल्ली में पदस्थ हैं। दिसंबर 2022 में ही अपने पति के साथ महीनेभर रहकर वापस ड्यूटी जॉइन करने गई हैं। उनसे फोन पर भास्कर की टीम ने बात की तो बोलीं- मेरे पति काे पढ़ाने से बेहद लगाव है। शिक्षा देने से मैं उन्हें नहीं रोक सकती। इसी में उनकी सांसें बसती हैं। हां, इलाज कराने के लिए जरूर बोलती रहती हूं। मैंने उनके इलाज के लिए 9 लाख रुपए का कर्ज लिया है। डॉक्टर्स ने कहा है कि किडनी ट्रांसप्लांट में 15 लाख रुपए का खर्च आएगा। किडनी तो घरवाले देने को तैयार हैं। जरूरत पड़ी तो मैं खुद अपनी किडनी दे दूंगी।

संजय की पत्नी मालती ने पति के इलाज के लिए 9 लाख रुपए का कर्ज लिया है। किडनी ट्रांसप्लांट पर 15 लाख रुपए खर्च होंगे। मालती खुद किडनी देने को भी तैयार हैं।

कलेक्टर बोले- प्रशासन शिक्षक की मदद करेगा

कलेक्टर विकास मिश्रा से जब हमने शिक्षक को सरकारी मदद मिलने के बारे में पूछा तो उन्होंने संजय मरावी से फोन पर बात की। उनका हालचाल पूछा और वॉट्सएप पर ही इलाज संबंधित पूरे दस्तावेज बुलवा लिए। आश्वस्त किया कि हर संभव सरकारी मदद संजय को दिलाई जाएगी। ऐसे शिक्षक सभी के लिए प्रेरक हैं। इन्हें सहेजकर रखना सबका दायित्व है।

पिता से विरासत में मिले पढ़ाने के संस्कार

संतोष कुमार मरावी के पिता एलएस मरावी जबलपुर जिले के कुंडम ब्लॉक के हरदुली कला माध्यमिक स्कूल में शिक्षक हैं। उनसे ही संजय काे पढ़ाने के संस्कार मिले। माता उर्मिला मरावी गांव में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हैं। वह भी बीमार रहती हैं। बड़े भाई संतोष कुमार मरावी जबलपुर में प्राइवेट जॉब करते हैं। एक बड़ी बहन शशि प्रभा मरावी आयुष विभाग में कर्मचारी हैं। छोटे भाई संदीप साथ में रहकर मदद कर रहे हैं।

प्राचार्य बोले- 25 बरस में ऐसा शिक्षक नहीं देखा

मॉडल स्कूल मेहन्द्वानी के प्राचार्य समद मरावी कहते हैं हमें गर्व है कि संजय हमारे स्कूल के शिक्षक हैं। वर्ष 1998 से शिक्षा विभाग में सेवाएं दे रहा हूं। इस दौरान शिक्षक छुट्टी का आवेदन लेकर मेरे पास आते थे। पहली बार ऐसा शिक्षक मिला जिसे सब इलाज के लिए छुट्टी पर जाने के लिए बोल रहे हैं, लेकिन संजय दिल से बच्चों को पढ़ा रहे हैं और बच्चे भी संजय को बहुत चाहते हैं। स्कूल में बच्चे रोजाना उनके स्वास्थ्य के लिए नियमित प्रार्थना के बाद दो मिनट की मौन प्रार्थना करते हैं।

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