आधा बीघा जमीन के लिए हुआ था उज्जैन में बवाल,अवैध कब्जा हटाने पर बौखलाए लोग…

आधा बीघा जमीन के लिए हुआ था उज्जैन में बवाल,अवैध कब्जा हटाने पर बौखलाए लोग…

मध्यप्रदेश के उज्जैन में शुक्रवार को जहां बवाल हुआ, पुलिस पर पत्थर फेंके, गाड़ियों के शीशे तोड़े गए, वहां अब पुलिस तैनात है। गांव में सन्नाटा है। इक्का-दुक्का लोग ही बाहर निकल रहे हैं। डर के मारे लोग घर से निकलने से कतरा रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल ये कि आखिर विवाद की शुरुआत कैसे हुई? माहौल बिगड़ने के पीछे असल वजह क्या थी? इन्हीं सवालों के जवाब जानने दैनिक भास्कर की टीम शनिवार यानी घटना के दूसरे दिन झितरखेड़ी गांव पहुंची। यहां पता चला कि पूरा विवाद महज आधा बीघा सरकारी जमीन का है। पढ़िए पूरी रिपोर्ट….

पहले गांव का नजारा देख लेते हैं

उज्जैन जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर घटि्टया तहसील। यहां से 5 किमी दूर है झितरखेड़ी गांव। शनिवार दोपहर करीब 1 बजे। यहां पुलिस तैनात है। घरों के दरवाजे बंद हैं। इक्का-दुक्का लोग ही यहां दिख रहे हैं। यहां चौपाल पर भी एक-दो बुजुर्ग ही बैठे थे। रोजाना की तरह यहां बच्चे भी नहीं खेल रहे। ना ही महिलाएं पानी भरने निकलीं। सड़कें सूनी हैं। गांव वाले भी दिखाई नहीं दे रहे। स्थानीय दुकानें भी बंद हैं। सड़क पर पड़े पत्थर एक दिन पहले हुए बवाल की गवाही दे रहे हैं। झगड़े में लोहे की टूटी जाली भी पड़ी है। यहां तार फेंसिंग पड़ी है, जिसे एक दिन पहले प्रशासन ने हटाया था। एक दिन पहले तक यहां ऐसा नहीं था। स्थिति सामान्य थी, लेकिन शुक्रवार को हुए बवाल के बाद यहां नजारा बदल गया।

गांव की रास्ते पर पड़े पत्थर एक दिन पहले हुए बवाल की गवाही दे रहे हैं।

अब जानते हैं यहां हुआ क्या था

शुक्रवार शाम करीब 4 बजे गांव में पुलिस-प्रशासन की टीम पहुंची। यहां मुख्य मार्ग पर मौजूद आधा बीघा जमीन के मैदान पर डॉ. भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा लगी है। इसी के चारों ओर लगी तार फेंसिंग को अफसरों ने हटा दिया। बस, फिर क्या था। कुछ लोगों ने पुलिस-प्रशासन की टीम पर हमला कर दिया। पत्थर फेंके। जेसीबी पर पत्थर फेंके। पुलिस-प्रशासन की गाड़ियों के शीशे तोड़ दिए। स्थिति को कंट्रोल करने के लिए पुलिस ने भी हल्के बल का प्रयोग किया। इसमें आठ पुलिसकर्मी और जेसीबी ड्राइवर घायल हो गए। हमले में एसडीएम संजय साहू भी घायल होने से बच गए। सभी को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

आगे बढ़ने से पहले गांव की जातिगत स्थिति को जान लीजिए

झितरखेड़ी में 100 से ज्यादा घर दलितों और करीब 90 घर पाटीदार समाज के हैं। दोनों वर्ग के लोग 40-40 प्रतिशत है। बाकी बचे लोगों में राजपूत, ब्राह्मण और अन्य जाति के लोग रहते हैं। गांव की जनसंख्या करीब एक हजार हे। गांव में अधिकांश दलित वर्ग के लोग विवादित भूमि के पीछे वाले हिस्से में रहते हैं। इधर, पाटीदार समाज के लोग जमीन वाले हिस्से में रहते हैं।

विवाद के दूसरे दिन गांव में सन्नाटा रहा। सड़कें सूनी रहीं। एक-दो लोग ही घर के बाहर बैठे नजर आए।

विवाद के दूसरे दिन गांव में सन्नाटा रहा। सड़कें सूनी रहीं। एक-दो लोग ही घर के बाहर बैठे नजर आए।

अब जानते हैं क्या थी असल वजह

दरअसल, गांव के बीच आधा बीघा जमीन मौजूद है। ये जमीन सरकारी है। इस मैदान को सभी वर्ग के लोग उपयोग में लेते थे। यहां चौपाल पर बैठे ग्रामीण आनंदीलाल पाटीदार ने बताया कि जिस जमीन के लिए विवाद हुआ, उस पर सभी वर्ग के लोग छोटे-छोटे कार्यक्रम करते थे। यहां कुछ लोगों ने भीमराव आंबेडकर की मूर्ति स्थापित कर दी। जमीन के चारों ओर तार फेंसिंग भी कर दी। इस पर लोगों ने विरोध दर्ज कराया। कहा गया कि ये मैदान सरकारी है, इस पर कैसे हक जताया जा सकता है। पंचायत में शिकायत कर दी। यहां से घटि्टया तहसीलदार तक शिकायत पहुंच गई। इसी को लेकर दोनों पक्षों में विवाद शुरू हो गया। जमीन को अतिक्रमणमुक्त कराने के लिए शुक्रवार को अमला पहुंचा था।

टीम जब अतिक्रमण हटा कर लौट रही थी, तभी कुछ लोगों ने पथराव शुरू कर दिया। इस दौरान 8 पुलिसकर्मी और जेसीबी चालक घायल हो गया।

अब लगा रहे एक-दूसरे पर आरोप

आनंदीलाल पाटीदार का कहना है कि पहले तो सरकारी जमीन पर प्रतिमा लगा दी गई। फिर मंगलवार को तार फेंसिंग कर दी गई। इस दौरान दलित समाज के ही कुछ लोगों ने इस जमीन पर कार्यक्रम करना चाहा, तो बलाई समाज के लोगों ने मना कर दिया। इसकी शिकायत तहसील में की गई। जब प्रशासन की टीम अतिक्रमण हटाने पहुंची, तो उन्होंने हमला कर दिया।

दलितों का तर्क…

गांव की लता मालवीय ने बताया कि प्रशासन द्वारा मौके पर मौजूद पुलिस के आरक्षक ने जाति सूचक और बाबा साहब पर टिप्पणी कर दी। प्रशासन ने बिना सत्यता जाने उक्त कार्रवाई की। किसी भी सरकारी भूमि पर से कब्जा हटाने का कार्य राजस्व विभाग के अंतर्गत आता है न कि पुलिस-प्रशासन के अंतर्गत। बावजूद भी ग्रामीण लोगों पर झूठी कार्रवाई केस दर्ज किया गया।

विवाद के बाद दूसरे दिन शनिवार को यहां पुलिस फोर्स तैनात रहा।

विवाद के बाद दूसरे दिन शनिवार को यहां पुलिस फोर्स तैनात रहा।

एक हफ्ते पहले डॉ. आंबेडकर की मूर्ति लगाई

गांव वालों ने बताया कि बीते शनिवार रात तक सब ठीक था। रविवार सुबह जागे, तो भूमि पर डॉ. भीमराव आंबेडकर की मूर्ति दिखाई दी। इस दौरान भी किसी ने शिकायत नहीं की। अगले ही दिन गांव के रहने वाले दलित समाज के लोगों के यहां कार्यक्रम था, जो उस भूमि पर करना चाहता था। इससे पहले वहां उस जमीन पर करीब 15 दिन पहले तार फेंसिग कर भूमि को बंद कर दिया गया। बताया गया कि इस जमीन पर सिर्फ बलाई समाज के कार्यक्रम होंगे। शिकायत एसडीएम तक पहुंची। इसके बाद शुक्रवार को अतिक्रमण हटाने पहुंची टीम ने तार फेंसिंग को जेसीबी की मदद से हटा दिया।

एसपी ऑफिस के सामने किया प्रदर्शन

शनिवार को दलित समाज के लोग उज्जैन एसपी कार्यालय पहुंचे। यहां एकत्रित होकर प्रदर्शन करते हुए आरोप लगाया कि सरकारी जमीन पर अन्य मकान निर्माण भी है। गांव की लता मालवीय ने आरोप लगाया कि सरपंच संदीप पाटीदार, बालाराम पाटीदार, घनश्याम पाटीदार, दिनेश, राजेश पाटीदार, श्रीराम पाटीदार, आदि के प्रभाव में आकर प्रशासन द्वारा मौके पर मौजूद पुलिस बल के एक आरक्षक द्वारा जाति सूचक और बाबा साहब पर टिप्पणी की गई। इसके बाद बवाल हुआ है। समाज के लोगों ने मामले में निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की मांग की।

इसी मैदान पर तार फेंसिंग की गई थी। इसे प्रशासन ने हटा दिया।

इसी मैदान पर तार फेंसिंग की गई थी। इसे प्रशासन ने हटा दिया।

जल्द होगी आरोपियों की गिरफ्तारी

राघवी थाना इंचार्ज शैलेन्द्र सिंह ने बताया कि गांव में हालात सामान्य है। जमीन पर विवाद की स्थिति नहीं बने, इसलिए फोर्स लगाया गया है। फिलहाल, 30 से अधिक अज्ञात आरोपी और देवकरण नामक युवक पर धारा 353, 323, 186, 147, 148, और 120 बी में मामला दर्ज किया गया है। जल्द ही, पुलिस के आला अधिकारी वीडियो फुटेज देखकर आरोपी की पहचान कर गिरफ्तार करेंगे।

ग्रामीण बोले- ऐसे हालत कभी नहीं देखे

हंगामे के दूसरे दिन शनिवार को सुबह से ही गांव में सन्नाटा रहा। गांव के मुख्य इलाके भी सुनसान रहे। पूछने पर बताया कि गांव में पहली बार ऐसे हालत दिखाई दिए हैं। गांव में इस तरह का हंगामा भी पहली बार देखा। आनंदीलाल ने बताया कि इतने वर्ष हो गए सभी एक साथ मिल-जुलकर इस जमीन पर कार्यक्रम करते रहे हैं, लेकिन इस घटना से सभी दुखी हैं।

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