इंदौर। पैर में फ्रैक्चर हुआ था, ऑपरेशन में एनेस्थिसिया के हाई डोज से 10वीं के छात्र की मौत हो गई, पीएम रिपोर्ट में इसकी पुष्टि भी हो चुकी। इसके बाद प्रशासन ने अस्पताल सील कर दिया, लेकिन 33 दिन बाद भी पुलिस किसी पर कोई कार्रवाई नहीं कर पाई। क्योंकि डॉक्टर्स ने पीएम के साथ सीएसएफ जांच लिख दी, जिसमें तय होना कि एनेस्थिसिया की कितनी मात्रा दी जाना थी और कितनी दी गई थी।
हैदराबाद स्थित देश की सबसे बड़ी एफएसएल लैब ने यह कह कर सैंपल लौटा दिया कि उनके यहां यह जांच होती ही नहीं है। उसके बाद से पुलिस पता नहीं कर पाई कि फिर ये जांच देश में कहां कराई जा सकती है। बेटे को न्याय दिलाने के लिए परिजन एक से दूसरे दफ्तर भटक रहे हैं, कहीं सुनवाई नहीं हो पा रही है। 17 वर्षीय अमित सेन 29 मई को लसूड़िया इलाके में बाइक से फिसल गया था। पैर में फ्रेक्चर हुआ था। पिता रिंकू सेन उसे एलआईजी चौराहे पर डॉक्टर एसके यादव के पास ले गए। यहां उपचार के बाद रामबाग स्थित राजश्री नर्सिंग होम ले जाया गया। यहां डॉ. कुश बंडी बाएं पैर के टिबिया फिबुला में फैक्चर बताकर उसे ऑपरेशन के लिए ले गए।
ऑपरेशन से पहले डॉ. खुशबू चौहान ने उसे एनेस्थिसिया दिया। 10 मिनट बाद ही उसका ब्लड प्रेशर बढ़ा और हार्ट बीट कम होने लगी। डॉक्टरों ने उसे अपोलो हॉस्पिटल भेज दिया। जहां उसकी मौत हो गई। घटना के बाद प्रशासन ने राजश्री नर्सिंग होम तो सील कर दिया, लेकिन अब तक किसी पर कार्रवाई नहीं की। पिता रिंकू सेन इकलौते बेटे की मौत में न्याय के लिए अफसरों के चक्कर काट रहे हैं।
टेस्ट में पता चलेगा कितना डोज देना था और कितना दिया
सीएफएस टेस्ट (सेरेब्रोस्पाइनल फ्लूड एनालिसिस) से यह पता चल पाएगा कि अमित को कितना एनेस्थिसिया दिया गया था। हालांकि पीएम करने वाले मेडिकल बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया कि बालक की मौत एनेस्थिसिया के हाई डोज दिए जाने के बाद ही हुई है। रिपोर्ट में वे बता नहीं पाए कि कितना डोज जरूरी था और कितना दिया गया। इसी का पता लगाने उन्होंने सीएसएफ टेस्ट लिखा है। पुलिस इतने दिनों में पता नहीं कर पाई कि यह टेस्ट कहां होगा। अमित के पिता को तो अफसरों ने यह तक कह दिया कि ये जांच पूरे भारत में कहीं नहीं होती।
जांच अधिकारी का दावा- कुछ डॉक्टर ने कहा-ये टेस्ट देश में कहीं नहीं होता
जांचकर्ता एसआई आर एस दंडोतिया का कहना है कि हैदराबाद लैब द्वारा जांच से इंकार किए जाने के बाद कई और जगह जांच का पूछा तो सभी मना कर रहे हैं। कुछ ने तो इस जांच के इंडिया में न होने तक की बातें कही है। जब तक रिपोर्ट हमें स्पष्ट नहीं होगी। तब तक किसी भी डॉक्टर पर कार्रवाई कैसे कर सकते हैं।
पिता का आरोप- डॉक्टरों ने जानबूझकर उलझाया
पिता रिंकू सेन का आरोप है कि बेटे की मौत की जांच केवल रिपोर्ट पर अटकाने के पीछे पुलिस और डॉक्टरों का षड्यंत्र हो सकता है जबकि मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट के बाद ही 16 मई को कलेक्टर ने राजश्री अस्पताल सील कराया था। रिपोर्ट में बेटे की मौत गलत ढंग से एनेस्थिसिया देने के कारण स्पष्ट है। सिर्फ अस्पताल सील करने से मेरे बेटे को न्याय नहीं मिलेगा।
अन्य डॉक्टर से ओपिनियन मांगा है
पीएम करने वाले डॉक्टरों ने एनेस्थिसिया के क्वालिटी एन क्वांटिटी जांचने के लिए जो टेस्ट लिखा था वह हैदाराबाद लैब में नहीं होता है। ये टेस्ट कहां होगा इसके लिए डॉक्टरों से ओपिनियन मांगा है। स्थिति स्पष्ट नहीं होने तक कार्रवाई नहीं कर सकते। पता नहीं ये टेस्ट कहां होगा।