बड़वानी। सृष्टि यादव ने रूस-यूक्रेन युद्ध और कोरोना काल के बीच अपनी 6 साल की MBBS (MD) की पढ़ाई पूरी कर ली है। बीते 23 जून को सृष्टि यादव को डेनिप्रो मेडिकल यूनिवर्सिटी से ‘डॉक्टर ऑफ मेडिसन’ में डिग्री मिली है। सृष्टि उन बाकी भारतीय स्टूडेंट्स में शामिल है जिन्होंने बमबारी, गोला-बारुद और तबाही के युद्ध के बीच यूक्रेन में दिन गुजारे। सृष्टि ने 6 साल की पढ़ाई के 5वें और 6वें साल में भारी मुसीबतें उठाकर अपनी पढ़ाई पूरी की।
पढ़ाई का 5वां साल यानी 24 फरवरी 2022 का दिन जब एग्जाम और रुस-यूक्रेन के बीच भीषण युद्ध दोनों एकसाथ शुरू हो गए। इस दौरान स्टूडेंट्स ने युद्ध के बीच जान को जोखिम में रखकर एग्जाम दी, लेकिन इसके तुरंत बाद भारत के स्टूडेंट्स के लिए एक अच्छी खबर आई। जब भारत सरकार ने ‘वंदे भारत मिशन’ लांच किया। इसके तहत यूक्रेन में पढ़ाई कर रहे तमाम भारतीय छात्रों को अपने वतन वापस आने का एक मौका मिला। भारतीयों के दल में बड़वानी की सृष्टि भी सकुशल अपने वतन, अपने शहर बड़वानी लौट आई।
सृष्टि ने कहा- क्लास के बीच अटैक होते, बचने के लिए बंकर में छुप जाते थे
मेरा नाम डॉ. सृष्टि यादव है मैंने 23 जून 2023 में यूक्रेन के डेनिप्रो शहर से अपनी MBBS (MD) की डिग्री कंप्लीट कर ली है। जैसा कि आप लोग जानते हो कि यूक्रेन में अभी भी अटैक हो रहे है। पहले भी काफी अटैक हुए है। ऐसे में अपनी डिग्री कंप्लीट करना बहुत मुश्किल है। क्योंकि आपको क्सास के साथ-साथ पढ़ाई भी करनी पड़ती है। पढ़ाई के बीच-बीच में अटैक भी होते थे। सायरन बजते थे। हर दिन एग्जाम में पास होना पड़ता था।
साल 2023 मेरा फाइनल ईयर था, इसलिए इसमें तो ज्यादा ही पढ़ना पड़ा। यहां पर नेशनल एग्जाम होता है। इस साल का एग्जाम पहले से ज्यादा टफ था। फिर भी मैंने एग्जाम को पास किया। ऐसे वार के दौरान घर वापस आना मेरी खुद की इच्छा थी। क्योंकि हमारे पास कोई ऑप्शन नहीं था। भारत सरकार ने कहा था कि ऑफलाइन ही पढ़ाई करनी पड़ेगी। ऑनलाइन पढ़ाई और एग्जाम, यूनिवर्सिटी एक्सेप्ट नहीं कर रही थी। ट्रांसफर लेने का भी एक ऑप्शन था लेकिन किसी भी देश में मुझे सेम ईयर में एडमिशन नहीं मिल रहा था।
एक साल बर्बाद चला जाता। ऐसे में मैंने यूक्रेन आना ही बेतहर समझा। वापस यूक्रेन आने में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ा। दूसरे देशों के वीजा लगवाने पड़े। वीजा की प्रोसेस बहुत लंबी चलती है। डायरेक्ट इंडिया से यूक्रेन की फ्लाइट बंद थी ऐसे में मैं पहले पोलेंड आई इसके लिए मुझे पोलेंड का वीजा लगवाना पड़ा। पोलेंड पहुंचने के बाद से बाय बस से आए। उसमें सुरक्षा चेकिंग, आर्मी की प्रोसेस से गुजरना पड़ा। तब जाकर यूक्रेन पहुंची। यहां आने के बाद ऑफलाइन क्लासेस, प्रेक्टिकल, इंटर्नशिप की। फाइनल ईयर कोर्स में यह सब कंप्लसरी होता है। हमें काफी दिकक्तें हुई। हम हॉस्टल से क्लास जाते थे उस दौरान अचानक सायरन बजता था। कभी क्लास में पढ़ाई के दौरान अचानक अटैक हो जाते थे तो हमें बीच-बीच में क्लास छोड़कर बंकर में जाना पड़ता था।
पिता बोले- लग रहा था, अधर में लटक जाएगी बेटी की डिग्री
डॉ. सृष्टि यादव के पिता रामसहाय यादव पेशे से सरकारी शिक्षक है। उन्होंने दैनिक भास्कर से खास बातचीत में बताया कि मेरी बेटी सृष्टि यादव ने डेनिप्रो मेडिकल यूनिवर्सिटी से MBBS की पढ़ाई पूरी कर ली है। 23 जून को यूनिवर्सिटी ने डिग्री दे दी है। बेटी सितंबर 2017 में मेडिकल की पढ़ाई के लिए गई थी। फर्स्ट ईयर में एडमिशन मिला था। रुस-यूक्रेन युद्ध और कोराना काल दोनों के बीच बड़ी विषम परिस्थितियां रही। कोरोना काल में बच्चे वापस नहीं आ पाए। कोरोना काल से पहले सामान्यत: बच्चे हर साल एक से डेढ़ महीने के लिए घर आते थे। 24 फरवरी 2022 को जब युद्ध शुरु हो गया, तब स्थितियां बेहद खराब हो गई थी। उस समय मेरी बेटी की 5वें साल की एग्जाम चल रही थी। एग्जाम के बाद वह भारत सरकार के वंदे भारत मिशन के तहत इंडिया वापस आ गई। तब ऐसा लग रहा था कि उसकी डिग्री अधर में लटक जाएगी। लेकिन जब 6th ईयर की क्लासेस शुरु हुई तो यूनिवर्सिटी से प्रेशर था कि स्टूडेंट्स फिजिकली क्लास में आकर ही पढ़ाई करें।
भारत सरकार से भी निर्देश थे कि जो फिजिकली पढ़ाई करेंगे, उन्हें भारत आकर एक साल की इंटर्नशिप करनी होगी। ऑनलाइन पढ़ाई को भारत सरकार मान्यता नहीं दे रही थी। बाद में यह कहा गया कि जो स्टूडेंट ऑनलाइन पढ़ाई करेगा, उसे भारत आकर एक एग्जाम देनी पड़ेगी। इस एग्जाम के बाद 2 साल की इंटर्नशिप करनी पड़ेगी, लेकिन बच्चों का यह मानना था कि हम फिजिकली क्लास में जाकर ही पढ़ाई करेंगे। इसके लिए वे पोलेंड के रास्ते यूक्रेन पहुंचे।
युद्ध अब भी जारी, पर बच्चों ने पा लिया लक्ष्य
सृष्टि के पिता रामसहाय यादव का कहना है कि यूक्रेन में दोनों देशों के बीच अब भी युद्ध जारी है। तमाम मेडिकल स्टूडेंट्स ने परेशानियां उठाई, लेकिन आज वे बच्चे बेहद खुश है इसलिए क्योंकि उन्होंने अपना लक्ष्य पा लिया है। बच्चों ने यह भी बताया था कि जिस दिन एग्जाम हो रही थी, उस दिन भी उनके शहर में बमबारी हो रही थी। इसकी वजह से परीक्षा के बीच उन्हें लगभग 1 घंटे तक बंकर में रहना पड़ा।