छतीसगढ। स्कूली शिक्षा में सुधार की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे शिक्षा मंत्रालय की एक और बड़ी पहल रंग लाते दिख रही है। जिसमें छात्रों के बीच की असमानता की खाईं को पाटने और उन्हें किसी तरह की असुविधा से बचाने के लिए ज्यादातर राज्य अब एक जैसे पैटर्न पर बोर्ड परीक्षाएं कराने के लिए सहमत होते दिख रहे है। अब तक करीब 16 राज्यों ने इस प्रस्ताव पर अपनी खुलकर सहमति दी है, इसमें राजस्थान, पंजाब, छत्तीसगढ़ जैसे राज्य शामिल है। बाकी राज्यों ने भी इसका कोई विरोध नहीं किया है, बल्कि विचार के लिए और समय मांगा है। फिलहाल केंद्रीय मूल्यांकन नियामक परख को राज्यों के साथ ही मिलकर इस पहल को आगे बढ़ाने का जिम्मा सौंपा गया है। जिसमें वह राज्यों को अपने जरूरी सुझाव देगी।शिक्षा मंत्रालय ने यह पहल तब की है, जब शिक्षा सुधार के उसके अभियान में शिक्षा बोर्डों में भारी असमानताओं की जानकारी सामने आयी। मंत्रालय ने सबसे पहले राज्यों के साथ यह जानकारी साझा की। साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं में अपने छात्रों को ज्यादा प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए इसकी जरूरत बताई। सूत्रों की मानें तो ज्यादातर राज्यों को इसकी जरूरत समझ में आ गई है। हाल ही में पुणे ( महाराष्ट्र) में राज्यों के शिक्षा सचिवों की बैठक में इन सभी ने इसका समर्थन किया है।मौजूदा समय में देश में करीब 60 स्कूली शिक्षा बोर्ड है।
सभी अपने-अपने तरीके से अभी बोर्ड परीक्षाओं का आयोजन करते है। मंत्रालय से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक कई राज्य अगली परीक्षाओं से इस सुधार को लागू करने के पक्ष में भी दिखे है। साथ ही उन्होंने परख से जरूरी जानकारी मांगी है। माना जा रहा है कि इस पहल से आने वाले दिनों में एक राज्य से दूसरे राज्यों में छात्रों के अंकों बड़ा अंतर नहीं दिखेगा। मौजूदा समय में स्थिति यह है कि दसवीं में उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के 63 फीसद से ज्यादा छात्र 80 फीसद अंक के साथ पास होते है, जबकि असम और पंजाब में 80 फीसद अंक हासिल करने वाले छात्रों का प्रतिशत सिर्फ 19 फीसद के आसपास रहता है।कुछ ऐसी ही स्थिति बारहवीं की बोर्ड परीक्षाओं में देखी जा सकती है, जहां उत्तर प्रदेश के 58 प्रतिशत छात्र 80 फीसद अंक के साथ परीक्षा को पास करते है, वहीं ओडिशा, हरियाणा में 80 फीसद अंक लाने वाले छात्रों की संख्या सिर्फ 23 फीसद के आसपास रहती है।
खासबात शिक्षा बोर्ड के बीच इन असमानताओं का बड़ा असर सभी छात्रों के एक राज्य से दूसरे राज्यों में शिफ्ट होने पर दिखाई देता है। जिसमें उसका प्रदर्शन वैसा नहीं रह पाता है। बोर्ड परीक्षा में एकरूपता लाने का समर्थन करने वाले राज्य अपने यहां नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सिफारिशों के अमल में भी तेजी से जुटे है। राज्यों के साथ ही हुई बैठक में इसके अमल को भी जांचा गया है। बोर्ड परीक्षाओं में एकरूपता का फिलहाल जिन राज्यों ने समर्थन किया है, उनमें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, बिहार, असम, गोवा, उत्तराखंड, गुजरात, नगालैंड, ओडिशा, मिजोरम, मणिपुर, त्रिपुरा आदि शामिल है।