बचपन खतरे में,वैन, जिन बसो और वैन से बच्चे जातें हैं स्कूल, नहीं होती इनकी जांच…

बचपन खतरे में,वैन, जिन बसो और वैन से बच्चे जातें हैं स्कूल, नहीं होती इनकी जांच…

बालोद। नवीन शैक्षणिक सत्र शुरू होने के एक सप्ताह पहले सोमवार को जिला आरटीओ कार्यालय परिसर में निजी स्कूल के नाम पर रजिस्टर्ड 28 बसों की जांच की गई। जिसमें 26 फिट और 2 अनफिट हैं। आरटीओ के अनुसार निजी स्कूलों के नाम पर कुल 53 बसें रजिस्टर्ड है, यानी इतनी गाड़ियों का उपयोग बच्चों को स्कूल और घर ले जाने के लिए हो रहा है, लेकिन जब दैनिक भास्कर ने पड़ताल की तो यह सच्चाई सामने आई कि जितने बसें रजिस्टर्ड है, उससे दोगुना 120 से ज्यादा प्राइवेट गाड़ियों (वैन, बोलेरो, स्कार्पियो व अन्य चारपहिया वाहन) के माध्यम से बच्चे स्कूल पहुंचते है। जिनकी जांच अब तक नहीं हो पाई है।

जब इस संबंध में आरटीओ से चर्चा की गई तो उन्होंने कहा कि प्राइवेट गाड़ियों के बारे में शिक्षा विभाग से जानकारी मंगाई गई है। जानकारी मिलने के बाद फिटनेस टेस्ट किया जाएगा। वहीं पंजीकृत 25 बसों की जांच अब तक नहीं हो पाई है। दावा किया जा रहा है कि, अगले सप्ताह तक जांच हो जाएगी। आरटीओ के अनुसार चालकों का स्वास्थ्य व नेत्र परीक्षण किया। 2 वाहन अनफिट होने पर कुल 7 हजार 500 की चालानी कार्यवाही की गई। एक ड्राइवर को हाईपरटेंशन है। बालोद. आरटीओ कार्यालय परिसर में 28 बसों की जांच हुई। बस के अंदर घुसकर जांच करते हुए अधिकारी। सीधी बात प्रकाश रावटे, आरटीओ

यहां नहीं होगी दूसरे जिले में पंजीकृत वाहनों की जांच जनवरी 2012 में बालोद जिला बना था। इसके पहले वाहनों का पंजीयन दुर्ग जिले के भरोसे हो रहा था। इसके अलावा रायपुर, राजनांदगांव से भी गाड़ी खरीदते थे, तब पंजीयन संबंधित जिले में हो रहा था। लिहाजा ऐसे कितने वाहन है, इसकी जानकारी स्थानीय अफसरों को नहीं है। आरटीओ का कहना है कि पंजीयन के हिसाब से संबंधित जिले में वाहनों की जांच होगी। बालोद में जब से आरटीओ कार्यालय संचालित हो रहा है, तब से अब तक निजी स्कूलों ने 53 बसों का पंजीयन हुआ है।

निजी गाड़ी कराकर बच्चों को स्कूल भेजते हैं पैरेंट्स डीईओ मुकुल केपी साव ने बताया कि कई स्कूल की दूरी ज्यादा होने की वजह से पालक वर्ग ही निजी गाड़ी के माध्यम से अपने बच्चों को स्कूल भेजते है।

नियमानुसार अक्टूबर मंे दो बस 12 साल पुरानी हो जाएगी सोमवार को जांच के दौरान यह जानकारी मिली कि निजी स्कूल की दो बस ऐसी है, जो अक्टूबर माह में 12 साल पुरानी हो जाएगी। नियम अनुसार इन्हें नहीं चलाना है। इसके बारे में निजी स्कूल प्रबंधन को पत्र भेजकर जानकारी देने की बातें विभागीय अफसर कह रहे है। 25 बसों की जांच होना बाकी है, ऐसे में अनफिट वाहनों का आंकड़ा बढ़ने का अनुमान है। आरटीओ की ओर से स्कूल प्रबंधन को बसों की चेकिंग कराने सूचना जारी की गई थी, बावजूद गाड़ियां नहीं पहुंची।

{ 160 से ज्यादा निजी स्कूल में 120 से ज्यादा गाड़ियों से बच्चे आना-जाना करते है, सिर्फ 28 बसों की जांच हुई – हमारे रिकॉर्ड में 53 ही पंजीकृत है, निजी स्कूल प्रबंधन 28 बसों को भेजे थे, जिसकी जांच हुई, इसमें दो अनफिट है। { प्राइवेट गाड़ियों से बच्चे स्कूल पहुंचते है, अब तक जांच क्यों नहींं हुई – इसकी जानकारी संबंधितों से मांगी गई है, रजिस्ट्रेशन स्कूल के नाम पर नहीं हुआ है। { पंजीयन के बाद भी 25 बसों की जांच नहीं हुई है – जिन बसों की जांच नहीं हुई है, उसकी सूची तैयार कर संबंधितों को अगले सप्ताह बुलाए है। जिसके बाद जांच करेंगे।

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