भोपाल। श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क में मौजूद कोई भी चीता फिलहाल मध्यप्रदेश से बाहर शिफ्ट नहीं किया जाएगा। इन चीतों का दूसरा घर मंदसौर की गांधीसागर सेंचुरी बनेगी। इसके अलावा किसी विकल्प पर केंद्र सरकार विचार नहीं कर रही है।
केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री भूपेंद्र यादव ने सोमवार को सीएम हाउस में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मौजूदगी में हुई चीता प्रोजेक्ट की हाईलेबल समीक्षा बैठक में यह बात कही।
प्रोजेक्ट को सफल होने में 5 साल लगेंगे
केंद्रीय मंत्री यादव ने कहा, ‘चीता एक्शन प्लान में स्पष्ट है कि इनकी 50% आबादी ही भारत में सर्वाइव कर पाएगी। प्रोजेक्ट को पूरी तरह सफल होने में 5 साल लगेंगे इसलिए हाल में हुई कुछ मौतों से बिल्कुल घबराने की जरूरत नहीं है।’ बैठक में मध्यप्रदेश के वन मंत्री विजय शाह ने कूनो नेशनल पार्क में चीतों की मॉनिटरिंग में तैनात कर्मचारियों को सुरक्षा के लिए आधुनिक वाहन उपलब्ध कराने की मांग भी रखी।
सीएम बोले- कोई लापरवाही अब बर्दाश्त नहीं
बैठक में सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा, ‘3 चीता शावकों की असमय मृत्यु से मैं काफी चिंतित था। सोच रहा था कि चीतों की देखभाल के लिए सरकार पूरे प्रयास कर रही है, फिर भी ऐसा क्यों हुआ। लेकिन केंद्रीय मंत्री यादव की बातें सुनकर मेरे मन की चिंता अब दूर हो गई है। शावकों का सर्वाइवल रेट भले ही कम है, लेकिन हमारे प्रयासों में कमी नहीं रहेगी।’ सीएम ने बैठक के दौरान ही निर्देश दिए कि गांधीसागर सेंचुरी को युद्ध स्तर पर चीतों के लिए तैयार किया जाए। कोई लापरवाही अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
केंद्र सरकार वित्तीय मदद मुहैया कराएगी
केंद्रीय मंत्री यादव ने घोषणा की कि मप्र में चीतों के संरक्षण और प्रबंधन से जुड़े अफसरों को जल्द ही केंद्र सरकार अध्ययन प्रवास पर नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका भेजेगी। चीता प्रोटेक्शन फोर्स बनाने के लिए केंद्र सरकार मप्र को वित्तीय मदद मुहैया कराएगी।
कूनो में अब 18 चीते ही बचे
पहली खेप में नामीबिया से 8 चीतों को कूनो नेशनल पार्क लाया गया था। 17 सितंबर 2022 को अपने जन्मदिन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन्हें बाड़े में रिलीज किया था। इसके बाद 18 फरवरी 2023 को दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते कूनो लाए गए थे। नामीबिया से लाई गई मादा चीता ज्वाला ने 4 शावकों को जन्म दिया था। पहले 3 चीतों और फिर एक-एक कर 3 शावकों की मौत हो गई। अब कूनो में 18 चीते ही रह गए हैं।
कब-कब हुई चीतों की मौत
26 मार्च को नामीबिया से लाई गई मादा चीता साशा की मौत। 23 अप्रैल को साउथ अफ्रीका से लाए गए चीता उदय की जान गई। 9 मई को दक्षिण अफ्रीका से लाई गई मादा चीता दक्षा की मौत। 23 मई को नामीबिया से लाई गई ज्वाला के एक शावक ने दम तोड़ा। 25 मई को ज्वाला के दो और शावकों की मौत हो गई।