छत्तीसगढ़। ऐसा पहली बार हुआ जब खेती-किसानी यानी एग्रीकल्चर विषय से बारहवीं का टॉपर मिला है, वह भी छात्रा। रायगढ़ जिले की विधि भोसले ने कृषि बारहवीं में 500 में से 491 (98.2%) नंबर हासिल किए हैं।
जबकि इस विषय में पूरे प्रदेश में 20 हजार स्टूडेंट ही हैं। इसी तरह, दसवीं की मेरिट लिस्ट में जशपुर का दबदबा रहा। जशपुर के राहुल यादव ने 98.8% नंबरों के साथ टॉप किया है और 48 छात्रों की मेरिट सूची में टॉप-3 समेत 12 जशपुर जिले से ही हैं।
बोर्ड से जारी नतीजों के विश्लेषण से पता चलता है कि बारहवीं की अस्थायी मेरिट में कुल 30 स्टूडेंट्स हैं, इनमें से 18 छात्राएं और 12 छात्र हैं। इसी तरह, दसवीं की अस्थायी टॉप-10 लिस्ट में 48 बच्चों को जगह मिली है। इसमें 28 छात्राएं और 20 छात्र हैं। अर्थात, दोनों ही मेरिट सूचियों में छात्राओं का दबदबा रहा है।
बारहवीं में मेरिट नंबर दो पर रहने वाले जांजगीर चांपा के छात्र विवेक अग्रवाल कामर्स के स्टूडेंट हैं। उनको 487 (97.40 %) नंबर मिले। इसी तरह, दसवीं में टॉप पर रहने वाले राहुल यादव को 600 में से 593 (98.83 %) नंबर मिले।
उन्हें संस्कृत काे छाेड़कर बचे पांच विषयों हिंदी, इंग्लिश, मैथ्स, साइंस व सोशल साइंस में 100 में से 100 नंबर हासिल किए। रोचक तथ्य यह भी है कि इन सभी टॉपरों के बीच अंकों का अंतर 2 प्रतिशत का है। इस बार दसवीं-बारहवीं की मेरिट लिस्ट में रायपुर के 15 विद्यार्थियों ने जगह बनाई है।
आत्मानंद स्कूल से इस बार 15 टॉपर
राज्यभर में शुरू होने के दो साल की भीतर खासी प्रतिष्ठा हासिल कर चुके स्वामी आत्मानंद हिंदी व इंग्लिश मीडियम स्कूलों ने भी बोर्ड की मेरिट में जगह बनाई है। कुल 15 छात्र टॉप-10 की लिस्ट में शामिल हुए हैं। इनमें दसवीं में 10 और बारहवीं के 5 छात्र शामिल हुए हैं। राजधानी के प्रमुख आत्मानंद स्कूल यानी आरडी.तिवारी इंग्लिश मीडियम स्कूल से इस बार बारहवीं के एक छात्र को टॉप-10 में स्थान मिला है। राज्य में 279 आत्मानंद स्कूल हैं। इस साल 101 स्कूल और शुरू करने की तैयारी की जा रही है। इसकी घोषणा हो चुकी है।
3214 छात्रों को 10 से 20 नंबर तक मिला बोनस
- खेलकूद, एनसीसी, एनएसएस समेत अन्य कैटेगरी में 10 से 20 अंक तक बोनस नंबर देने का प्रावधान है। इस बार दसवीं-बारहवीं में 3214 छात्रों को बोनस नंबर मिले।
- कोरोना काल के बाद पहली बार छात्रों ने दूसरे स्कूलों में बनाए गए सेंटर में परीक्षा दी। पिछले साल परीक्षा सेंटर उन्हीं स्कूलों को बनाया गया था, जहां छात्र पढ़ रहे थे।