मध्यप्रदेश। आज के वक्त में मोबाइल, इंटरनेट, कम्प्यूटर का बच्चे गलत इस्तेमाल करने लगते हैं। परिवारों के लिए ये परेशानी का सबब बन जाता है, लेकिन इंदौर के एक साधारण ब्राह्मण परिवार में जन्मे कन्हैया शर्मा ने हैकिंग में मध्यप्रदेश ही नहीं पूरे देश और दुनिया में अपना नाम बनाया है। महज 14 साल की उम्र में कन्हैया ने कंस्ट्रक्शन कंपनी को एक सॉफ्टवेयर बनाकर 50 हजार रुपए में बेचा था।
कन्हैया के पिता इंदौर शहर में पंडिताई कर घर परिवार का संचालन करते हैं, लेकिन उनके बेटे ने मात्र 23 साल की उम्र में 251 रुपए की पूंजी से आईटी और लीगल सॉफ्टवेयर से जुड़ी कंपनियां बनाई। आज कन्हैया का टर्नओवर करोड़ों रुपए में पहुंच गया है। खास बात यह है की कन्हैया देश के टॉप मोस्ट इथिकल हैकर्स में से एक हैं। उनकी हैकिंग का देश की सरकारी और गैर सरकारी संस्थाएं लोहा मानती हैं।
मजदूरों को परेशान देख बना दिया सॉफ्टवेयर
इंदौर के सराफा विद्या निकेतन में जब कन्हैया कक्षा आठवीं में पढ़ रहे थे, तब स्कूल में निर्माण कार्य चल रहा था। कन्हैया मजदूरों को कंस्ट्रक्शन मैटेरियल लेने के लिए दौड़ भाग करते हुए देख दुखी हो जाते थे। उन्हें विचार आया कि क्यों ना एक ऐसा सॉफ्टवेयर बनाया जाए, जिससे उस कंस्ट्रक्शन साइट पर ठेकेदार से लेकर मजदूर तक को यह जानकारी हो कि कहां पर कंस्ट्रक्शन का कौन सा माल कितनी मात्रा में रखा हुआ है। मजदूरों को बेवजह इधर से उधर ना भागना पड़े और उन्होंने महज 30 दिन में एक सॉफ्टवेयर मोबाइल एप्लीकेशन बनाकर कंस्ट्रक्शन कंपनी को महज 50 हजार में सेल कर दिया। वह कंपनी आज भी उसी सॉफ्टवेयर के जरिए अपने कंस्ट्रक्शन का काम संचालित करती है।
कंस्ट्रक्शन का पूरा काम ऑनलाइन होता है मॉनिटर
इस सॉफ्टवेयर में कन्हैया ने कंस्ट्रक्शन साइट पर कौन सा माल कितनी मात्रा में रखा हुआ है। कितना माल आया और कितना लग गया यह सब दर्ज किया जा सकता है। इसके अलावा कंस्ट्रक्शन साइट पर कितना काम हो गया है और अभी कितना काम बाकी है। इसकी भी जानकारी मोबाइल ऐप से अपडेट की जा सकती है। मजदूरों की सैलरी से लेकर कंस्ट्रक्शन मैटेरियल के भुगतान तक की व्यवस्था उसी सॉफ्टवेयर के जरिए होती है।
पहली बार सॉफ्टवेयर के एग्जाम में फेल हुए तो पिता ने हिम्मत बढ़ाते हुए दिए थे 251 रुपए
कन्हैया ने बताया कि जब वे छठवीं-सातवीं कक्षा में पढ़ते थे, उस समय से ही कम्प्यूटर और इंटरनेट की दुनिया से उनका काफी जुड़ाव था। सातवीं कक्षा में उन्होंने ऑनलाइन सर्टिफिकेशन के लिए एक एग्जाम दिया, जिसमें वह फेल हो गए। मन खराब हुआ और पिता ने उदासी देखी तो उन्होंने मुझे 251 रुपए दिए और कहा कि तुम हिम्मत मत हारो। उन्हीं 251 रुपए से मैंने अपने काम की शुरुआत की और आईटी सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट से लेकर लीगल सर्विस प्रोवाइड कराने वाली कंपनियां शुरू की और आज उन कंपनियों का टर्नओवर करोड़ों रुपए में है।
घर में नहीं थी बाइक, आज लग्जरी कारों की सीरीज
कन्हैया बताते हैं कि जब पढ़ाई करते थे तब घर में वाहन और साधनों के नाम पर सिर्फ साइकिल हुआ करती थी, लेकिन पिता के दिए 251 रुपए ने ऐसा चमत्कार दिखाया कि आज घर में 5-6 लग्जरी कारें हैं। पिताजी ने अपनी सादगी नहीं छोड़ी आज भी वह अपने पुराने घर में ही रहते हैं और उन्होंने अपने पांडित्य का काम भी नहीं छोड़ा इंदौर शहर के घरों में कथा वाचन और पूजा पाठ करने के लिए उनके पिता पंडित मुकेश शर्मा आज भी जाते हैं।
ऐसे हुई हैकिंग की शुरुआत
कन्हैया की दोस्त का मोबाइल गुम हो गया। दोस्त को परेशान देख कन्हैया ने हैकिंग के जरिए उसकी लोकेशन टैप करके उसके मोबाइल को खोज निकाला और जिस शख्स मोबाइल को मोबाइल मिला था मैं उसके पास पहुंचा था और उससे मोबाइल बरामद करके अपने दोस्त को दे दिया था।
करोड़ों के ऑफर मिले
कन्हैया देश की कई बड़ी सरकारी संस्थाओं के अफसरों को ट्रेनिंग देते हैं। कन्हैया के हैकिंग स्किल को देखते हुए देश भर की कई बड़ी सरकारी संस्थाओं और गैर सरकारी संस्थाओं ने उन्हें अपने साथ जोड़ने के ऑफर दिए हैं। सालाना ढाई करोड़ रुपए के पैकेज को ठुकरा कर कन्हैया अपने ही आईटी और लीगल के काम को आगे बढ़ा रहे हैं। कन्हैया कई बड़ी सरकारी संस्थाओं में जब ट्रेनिंग देने जाते हैं तो बड़े अफसर और आईटी के एक्सपर्ट भी उनके हैकिंग को स्किल को देखकर दंग रह जाते हैं।
तीन प्रकार के होते हैं हैकर
- व्हाइट हट हैकर- यह प्रोफेशनल हैकर होते हैं। साइबर सिक्योरिटी और रिसर्च के लिए यह काम करते हैं। कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर में लूप होल ढूंढ कर उन्हें सुरक्षित करने का काम करते हैं।
- ब्लैक हैट हैकर- यह हैकर अनैतिक गतिविधियों में संलिप्त रहते हैं। फ्रॉड धोखाधड़ी बैंक अकाउंट हैक करना वेबसाइट हैकिंग जैसे काम यह करते हैं।
- ग्रे हैट हैकर – यह हैकर सबसे ज्यादा खतरनाक होते हैं, यह अच्छे काम में भी आगे बढ़कर काम करते हैं और गलत मंशा के साथ भी कई बार कदम उठाते हैं। कई बार तो ऐसा होता है कि यह कई बड़ी संस्थाओं में जोड़कर गलत गतिविधियों को अंजाम देते हैं।