12 साल में आरटीई से साढ़े चार लाख बच्चों को दिया दाखिला, इनमें से करीब 70 हजार बच्चो ने छोड़ी पढ़ाई,क्या था कारण…

12 साल में आरटीई से साढ़े चार लाख बच्चों को दिया दाखिला, इनमें से करीब 70 हजार बच्चो ने छोड़ी पढ़ाई,क्या था कारण…

छत्तीसगढ़। (आरटीई) से प्रदेश के निजी स्कूलों में हर साल बड़ी संख्या में एडमिशन हो रहे हैं। स्कूल में प्रवेश से लेकर ड्रेस, कॉपी किताब सब फ्री लेकिन कई छात्र ऐसे भी हैं जो प्रवेश लेने के बाद कुछ महीने बाद ही स्कूल छोड़ रहे हैं। ऐसा हर साल हो रहा है। जबकि आरटीई से दाखिले की प्रक्रिया के समय मनपसंद स्कूल में दाखिला पाने बड़ी-बड़ी एप्रोच लगाई जाती है। इस साल फिर आरटीई से दाखिले की प्रक्रिया शुरू होते ही सिफारिशें शुरू हो चुकी हैं।

इस जोड़तोड़ के बीच पड़ताल के दौरान पता चला है कि राज्य के निजी स्कूलों में पिछले 12 वर्षों आरटीई से करीब साढ़े चार लाख बच्चों का एडमिशन हुआ। इनमें से 70 हजार से ज्यादा बच्चों ने उसी सत्र में एकाध साल बाद संबंधित स्कूल को छोड़ दिया। बच्चों ने जिन स्कूलों को छोड़ा है उनमें कई बड़े और प्रतिष्ठित हैं। इनमें पेमेंट सीट पर भी दाखिला आसान नहीं होता। आरटीई में सबकुछ फ्री होने के बावजूद बच्चों ने स्कूल क्यों छोड़ा? इसके लेकर कई तरह के कारण सामने आ रहे हैं।

कुछ पैरेंट्स को अपने बच्चे के लिए आरटीई से जो स्कूल मिला वह पसंद नहीं था। किसी को पढ़ाई का स्तर ठीक नहीं लगा। कुछ बच्चे हिंदी मीडियम में नहीं पढ़ना चाहते थे, इसलिए स्कूल बदला। कुछ बच्चे को आर्थिक रूप से गरीब परिवार के थे और वे बड़े स्कूल के माहौल में एडजस्ट नहीं हो सके। कई बच्चों ने स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल में प्रवेश ले लिया।

रायपुर में ऐसे बच्चे सबसे ज्यादा
रायपुर जिले में करीब साढ़े आठ सौ निजी स्कूलों में हर साल आरटीई से दाखिले होते हैं। 2011-12 से लेकर पिछले साल तक करीब 47 हजार बच्चों ने आरटीई से निजी स्कूलों में एडमिशन लिया। इनमें से 4700 यानी करीब दस प्रतिशत बच्चों ने विभिन्न कारणों से संबंधित स्कूल को छोड़ दिया। अफसरों का कहना है कि भले ही आरटीई से निजी स्कूल में दाखिला लेने वाले छात्र हर साल स्कूल छोड़ रहे हैं। लेकिन यह बच्चे ड्राप आउट की स्थिति में नहीं है। वे दूसरी जगह पढ़ रहे हैं। किन कारणों से वे संबंधित निजी स्कूल को छोड़ रहे हैं यह कहना मुश्किल है।

सोशल ऑडिट होना चाहिए | छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव गुप्ता का कहना है कि हमने अलग-अलग मंचों पर यह कहा है कि आरटीई से निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे का सोशल ऑडिट किया जाए। ताकि यह पता चल सके कि इस योजना से पढ़ रहे बच्चांे को कितना फायदा मिल रहा है। सोशल ऑडिट के लिए फिर से मांग की जाएगी।

आरटीई से 53 हजार सीटों में दाखिला, पिछले साल की तुलना में 27 हजार कम
आरटीई के तहत इस बार निजी स्कूलों में करीब 53 हजार सीटें आरक्षित की गई है। इनमें ही दाखिला होगा। पिछली बार आरटीई की 80 हजार सीटें थी। इस लिहाज से इस बार 27 हजार सीटें कम हुई है। नए सत्र 2023-24 के तहत आरटीई से दाखिले पहले आवेदन मंगाए गए थे। 53 हजार सीटों के लिए इस साल रिकार्ड 99 हजार से ज्याादा फार्म मिले हैं।

पढ़ाई अच्छी नहीं होना एक कारण, कई बच्चों ने सरकारी में एडमिशन ले लिया
स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. आलोेक शुक्ला का कहना है कि आरटीई से प्रवेश लेने वाले बच्चे तभी संबंधित स्कूल को छोड़ते हैं जब वहां पढ़ाई का स्तर अच्छा नहीं होता। फिर वे दूसरे स्कूल में दाखिला लेते हैं। पिछली कुछ रिपोर्ट में यह बात सामने आई कि कई बच्चों ने निजी स्कूल को छोड़कर सरकारी में एडमिशन लिया है।

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