मध्यप्रदेश। शिक्षकों को बुधवार को भोपाल में CM हाउस में नियुक्ति पत्र दिए गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो संदेश के जरिए नवनियुक्त शिक्षकों को संबोधित किया। उन्होंने कहा, मध्यप्रदेश में जिन हजारों शिक्षकों की नियुक्ति हुई, उन्हें एक बात कहना चाहता हूं- आप अपने पिछले 10-15 साल के जीवन को देखिए। आप पाएंगे कि जिन लोगों ने आपके जीवन में सबसे ज्यादा प्रभाव डाला, उनमें आपकी माता और आपके शिक्षक जरूर हैं।
जिस तरह से आपके शिक्षक आपके हृदय में हैं, वैसे ही आपको अपने विद्यार्थियों के दिल में जगह बनानी है। एक बात मैं हमेशा कहता हूं कि मैं मेरे भीतर के विद्यार्थी को कभी मरने नहीं देता। आप शिक्षक भले हैं, लेकिन आपके भीतर के विद्यार्थी को हमेशा चेतन मन रखें। आपके भीतर का विद्यार्थी ही आपको जीवन की ऊंचाइयों पर पहुंचाएगा।
प्रधानमंत्री ने कहा, केंद्र सरकार ने आधुनिक और विकसित भारत की आवश्यकताओं को देखते हुए नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू की है। यह नीति बच्चों के संपूर्ण विकास पर जोर देती है। इस नीति को प्रभावी रूप से लागू करने में शिक्षकों की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका है। प्रधानमंत्री सुबह 11 बजे कार्यक्रम से जुड़े। 9 मिनट 50 सेकंड तक उन्होंने बात करते हुए शिक्षकों को अहम सुझाव दिए।
MP ने बड़ी लगाई छलांग
पीएम ने कहा कि मध्यप्रदेश में युवाओं को सरकारी नौकरी देने का अभियान तेज गति से चल रहा है। 22400 से ज्यादा युवाओं की शिक्षक के पद पर भर्ती हुई। आज अनेक युवाओं को नियुक्त पत्र भी मिले। कुल नई भर्तियों में से आधे शिक्षक आदिवासी इलाकों में भर्ती होंगे। खुशी है कि एमपी सरकार ने इस साल 1 लाख से अधिक सरकारी पदों पर भर्ती का लक्ष्य रखा है। साल के अंत तक 60 हजार से ज्यादा शिक्षकों की नियुक्ति का भी लक्ष्य है। इसी प्रयास से MP ने नेशनल अचीवमेंट सर्वे में बड़ी छलांग लगाई है। एमपी का स्थान 17 से 5 नंबर पर पहुंच गया है।
CM ने कहा तरसा-तरसा कर सैलरी देना ठीक नहीं लगता
मुख्यमंत्री ने कहा, जो पिछली सरकार ने गलत किया था, उसको सुधार रहा हूं। सैलरी को चार हिस्सों में बांटना और तरसा-तरसा कर देना मुझे ठीक नहीं लगता, इसलिए पहला साल आपकी परीक्षा का तो 70%, दूसरे साल अच्छा पढ़ाओ तो 100% सैलरी दी जाएगी।
पूर्व की कमलनाथ सरकार के फैसले को शिवराज ने बदला
सीएम शिवराज सिंह ने तत्कालीन कमलनाथ सरकार के उस फैसले को पलटा है, जिसमें 3 से 4 साल तक सैलरी के अलग-अलग स्लैब तैयार किए गए थे। उसमें पहले साल 70, दूसरे साल 80, तीसरे साल 90 और चौथे साल 100 फीसदी सैलरी देने का व्यवस्था की गई थी।
2016 के पहले यह थी व्यवस्था
स्कूल शिक्षा विभाग के अफसरों ने बताया कि 2016 के पहले प्रदेश में नियुक्त होने वाले शिक्षक अध्यापक संवर्ग में आते थे। उन्हें दो साल की परिवीक्षा अवधि में वर्ग वार मानदेय मिलता था। वर्ग एक में 9 हजार, वर्ग दो में 7 हजार और वर्ग तीन के शिक्षकों को परिवीक्षा अवधि में 5 हजार रुपए मानदेय मिलता था।
शिक्षा मंत्री ने बोला अंग्रेजों के प्रतीक चिह्न हटना चाहिए
शाजापुर से वर्चुअल जुडे़ स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने अंग्रेजों के जमाने में थोपे गए गुलामी के प्रतीक चिह्नों को हटाने की बात कही। उन्होंने कहा, भारत की परंपरा में देश की शिक्षा के दर्शन में दो चीजों को आधार स्तंभ माना गया है। प्रकृति से शिक्षा और संस्कृति से शिक्षा। इन दोनों के आधार पर भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति तैयार हुई है। अंग्रेजों ने अपने राज के समय शिक्षा पद्धति को हमारे ऊपर थोप दिया था और हमारी जो शिक्षा सामाजिक आधार पर चलती थी, उसको अंग्रेजों ने हिंदुस्तान में अपने गुलाम लोगों को पैदा करने वाली शिक्षा का उद्देश्य बना दिया था।
इस देश से गुलामी के सभी चित्र मिटना चाहिए। 2020 में देश के लगभग 2 करोड़ लोगों, शिक्षाविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं से सुझाव के आधार पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 बनकर तैयार हुई है। यह एक प्रकार से हमारी गौरवशाली शिक्षा है और इसके आधार पर कभी हमारा देश विश्व गुरु कहलाता था।
42287 शिक्षकों की नियुक्ति के आदेश जारी
स्कूल शिक्षा मंत्री ने कहा- मप्र में 42287 शिक्षकों की नियुक्ति के आदेश जारी कर दिए गए हैं। कुछ शिक्षकों ने अभी नियुक्ति नहीं ली है, लेकिन अभी लगभग सभी शिक्षक ने अपने आदेश ले लिए हैं। आने वाले 2023-24 के साल में हम 20000 से अधिक शिक्षकों की भर्ती करने वाले हैं। शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धियां मध्यप्रदेश ने हासिल की हैं। 2017 में नेशनल अचीवमेंट सर्वे हुआ, तब हमारा स्थान 17वां नंबर था, लेकिन 2021 में जब इसी सर्वे में हम शामिल हुए, तो हम 5वें नंबर पर आए हैं।