रायपुर के शहीद स्मारक भवन में शनिवार को अनुसूचित जनजाति सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें अमरजीत भगत मंच पर बोलने पहुंचे तो आरक्षण मुद्दे पर उनके द्वारा की गई टिप्पणी से कुछ लोग नाराज हो गए। मंत्री के भाषण के बीच खड़े होकर विरोध जताते हुए लोगों ने जमकर हंगामा किया।
दरअसल ये पूरा आयोजन छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग का था और इस कार्यक्रम में प्रदेशभर से आदिवासी समाज के लोगों को बुलाया गया था। इधर एक बार फिर कवासी लखमा ने कहा कि, आदिवासी हिन्दू नहीं है। इसलिए अलग धर्म कोड की मांग को लेकर छत्तीसगढ़ के आदिवासी दिल्ली कूच करेंगे।
अब पहले जानिए कार्यक्रम में क्या हुआ…
- दरअसल मंच पर अमरजीत भगत भाषण दे रहे थे। इस बीच आरक्षण को लेकर उन्होंने बीजेपी पर आरोप लगाना शुरू कर दिया। तो वहां भाषण के बीच विरोध कर रहे लोगों ने आरक्षण वापस दो के नारे लगाए।
- आदिवासी समाज के विधायकों को भी जमकर कोसा। मौजूद भीड़ से किसी ने कहा कि, हमारे 29 विधायकों में कोई भी आरक्षण के लिए कुछ नहीं कर पाया।
- विरोध प्रदर्शन और नारेबाजी कर रहे लोगों को अमरजीत भगत ने बैठने की हिदायत दी। लेकिन उनका हंगामा लगातार जारी रहा। मंत्री अमरजीत भगत ने भी हंगामें के बीच अपना भाषण जारी रखा।
- इधर हंगामे के बीच मंत्री के सुरक्षाकर्मी विरोध कर रहे लोगों को शांत कराने पहुंचे थे। लेकिन उन्हें भी लोगों की नाराजगी झेलनी पड़ी। इस बीच मंत्री अमरजीत भगत अपना भाषण देकर निकल गए।
अपने भाषण में क्या बोले थे, अमरजीत भगत ?
आदिवासियों को 32 प्रतिशत आरक्षण नहीं मिलने पर बीजेपी को जिम्मेदार ठहराते रहे। उन्होंने कहा कि, आरक्षण को अगर किसी ने रोकने की कोशिश की है, तो वो भारतीय जनता पार्टी और उनके दलाल हैं।
अमरजीत भगत ने कहा, पहले बीजेपी आरक्षण को लेकर सड़क में रैली निकालती थी। कांग्रेस भवन का, विधायकों के निवास का घेराव करती थी लेकिन जैसे ही विधानसभा में आरक्षण बिल पास हुआ, इनके मुंह में ताला क्यों लग गया?
बीजेपी के एक भी नेताओं ने रैली क्यों नहीं निकाली। राज्यपाल से मिलने क्यों नहीं गए। आरक्षण को लेकर सामूहिक प्रयास किया जा रहा है।
आदिवासियों की नाराजगी पर कवासी लखमा की सफाई
इस पूरे घटनाक्रम पर जब आबकारी मंत्री कवासी लखमा से सवाल किया गया तो उन्होंने किसी भी तरह के विरोध से साफ इनकार कर दिया। हालांकि उन्होंने यह जरूर कहा कि, जब चार बर्तन एक साथ होते हैं तो उनमें टकराहट होती है। ऐसा ही समाज के इस कार्यक्रम में भी हुआ लेकिन विरोध जैसी कोई बात नहीं है।
कवासी लखमा ने कहा
जिस तरह से जैन धर्म को अलग कोड दिया गया है। उसी तरह आदिवासी भी अपने लिए अलग धर्म कोड की मांग कर रहे हैं। आदिवासी हिन्दू नहीं है। यहां के मूल निवासी आदिवासी हैं। जंगल और पहाड़ की रक्षा करने वाले आदिवासी हैं। इसलिए 20 अप्रैल के आसपास प्रदेशभर से आदिवासी दिल्ली जाकर राष्ट्रपति से अलग धर्म कोड की गुहार लगाएंगे।
अलग धर्म कोड की मांग को लेकर दिल्ली कूच करेंगे आदिवासी
आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड की मांग को लेकर छत्तीसगढ़ के आदिवासी दिल्ली कूच करेंगे। और राष्ट्रपति से मिलकर आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड की मांग रखेंगे। रायपुर के शहीद स्मारक भवन में आयोजित अनुसूचित जनजाति सम्मेलन में यह फैसला लिया गया है।