मोहन मरकाम ने अपनी ही सरकार को विधानसभा में घेरा, डीएमएफ में 7 करोड़ के बंदरबांट का लगाया आरोप, भाजपा विधायकों ने भी दिया समर्थन

मोहन मरकाम ने अपनी ही सरकार को विधानसभा में घेरा, डीएमएफ में 7 करोड़ के बंदरबांट का लगाया आरोप, भाजपा विधायकों ने भी दिया समर्थन

रायपुर। विधानसभा बजट सत्र की आज की कार्रवाई के दौरान कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम ने अपनी ही सरकार को घेरा।  मरकाम ने मंत्री रविंद्र चौबे से  डीएमएफ (जिला खनिज न्यास निधि)  की राशि को लेकर सवाल किया और लगभग 7 करोड़ की गड़बड़ी का आरोप लगाया राशि का बंदरबांट करने की बात कही । इस मामले को लेकर मोहन मरकाम ने विधानसभा की समिति गठित कर उससे जांच कराए जाने की मांग की । मरकाम के इन आरोपों का विपक्ष के विधायकों ने भी समर्थन किया और उन्होंने भी हमें डीएमएफ में गड़बड़ि और भ्रष्टाचार किए जाने का आरोप लगाया।

विधानसभा की आज की कार्रवाई के दौरान प्रश्नकाल में मोहन मरकाम ने सवाल लगाया था । उन्होंने पूछा था कि ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग कोंडागांव (पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग) को पिछले 2 वित्तीय वर्ष एवं वर्तमान वित्तीय वर्ष में 31 जनवरी 2023 तक जिला निर्माण समिति कोंडागांव व्दारा कौन-कौन से कार्य कितनी राशि के आबंटित किए गए? आबंटित कार्य किस-किस विभाग से संबंधित थे? कार्य का प्रकार क्या था?

मरकाम के इन सवालों के जवाब में पंचायत मंत्री रविन्द्र चौबे ने बताया कि इस अवधि में जिला निर्माण समिति कोंडागांव व्दारा कोई कार्य आबंटित नहीं किया गया। मोहन मरकाम ने कहा कि जिस जगह की बात कर रहा हूं वहां डीएमएफ का 7 करोड़ का काम केवल कागज़ों पर है। जो एजेन्सी काम देख रही है वही सामानों की सप्लाई भी कर रही है। 7 करोड़ की बंदरबांट हो गई है। क्या विधानसभा की कमेटी से इसकी जांच करवाई जाएगी? क्या दोषी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई होगी?

इस बीच मरकाम के आरोपों के समर्थन में खड़े होते हुए भाजपा विधायक शिवरतन शर्मा ने कहा कि यह आरोप कोई और नहीं सीधे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम लगा रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने कहा कि पूरे प्रदेश में डीएमए फंड का यही हाल है। इसकी जांच होनी चाहिए। भाजपा विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि क्या निर्माणकर्ता एजेन्सी को सामानों की सप्लाई करने का भी अधिकार है।

इन सवालों के जवाब में पंचायत मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि विशेष परिस्थितियों में अधिकार है। इसमें कलेक्टर नोडल अधिकारी बन सकते हैं। रविन्द्र चौबे ने कहा कि मैं नहीं समझ पा रहा कि इसमें बंदरबांट कैसे हो गई। फिर भी कहीं पर संदेह है तो राज्य स्तर के अधिकारी को भेजकर इसकी जांच करा लेंगे।

जिस पर मोहन मरकाम ने सवाल उठाते हुए कहा कि जांच विधानसभा की कमेटी से क्यों नहीं करवाई जा सकती? जिस जिले से जुड़ा यह मामला है वहां से 3 विधायक चुनकर आते हैं। विधायक धर्मजीत सिंह ने कहा कि यह 7 करोड़ का मामला है। यहां तीन साल की खरीदी की बात है। यदि राज्य स्तर के अधिकारी से जांच कराने की बात कह भी रहे हैं तो तय कर दीजिए कि एक महीने के भीतर जांच की रिपोर्ट आ जाए और जो भी दोषी पाया जाए उसके खिलाफ कार्रवाई की घोषणा की जाए।

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