नेटवर्क मार्केटिंग की तर्ज पर धर्मांतरण का खेल,बोर्ड लगाया- यहां ईसाई मिशनरी का प्रवेश वर्जित, आरोपी बोला- सप्ताह में एक बार कराता हूं प्रार्थना

नेटवर्क मार्केटिंग की तर्ज पर धर्मांतरण का खेल,बोर्ड लगाया- यहां ईसाई मिशनरी का प्रवेश वर्जित, आरोपी बोला- सप्ताह में एक बार कराता हूं प्रार्थना

राजधानी भोपाल के दूरदराज के गांवों में धड़ल्ले से धर्मांतरण किया जा रहा है। इसे रोकने के लिए यहां के युवा लोकल इंटेलिजेंस की तरह काम कर रहे हैं। इसका खुलासा रविवार रात रातीबड़ के केकड़िया गांव में हुआ। सरपंच की शिकायत पर तीन लोगों के खिलाफ केस भी दर्ज किया गया है।

सबसे बड़ी बात ये है कि गांव में धर्मांतरण करने या कराने वालों पर रोक है। इसके बावजूद यहां धर्म परिवर्तन का काम नेटवर्क मार्केटिंग की तरह किया जा रहा है। दैनिक भास्कर ने ग्राउंड जीरो से हकीकत जानी। मुख्य आरोपी ने इस बात को स्वीकार भी किया।

गांव के बाहर लगा बोर्ड, फिर भी धर्मांतरण

भोपाल जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर केकड़िया गांव। गांव के बाहर ही चेतावनी बोर्ड लगा है। इस पर लिखा है- ‘गांव में लव जिहाद या धर्म परिवर्तन करवाने के आशय से ईसाई मिशनरी का प्रवेश वर्जित है। गांव में हिंदू देवी-देवताओं के स्थान पर किसी तरह की हानि पहुंचाने वालों का प्रवेश वर्जित है।’ ये बोर्ड मध्यप्रदेश भिलाला समाज कल्याण परिषद ने लगा रखा है।

यहां रहने वाले हीरालाल जामोद के घर रविवार रात करीब 8 बजे हिंदू टाइगर फोर्स के लोग पहुंच गए। यहां हीरालाल अवैध तरीके से घर में आदिवासियों को इकट्‌ठा किए था। वह क्रिश्चियन धर्म के प्रचार-प्रसार में लगा था। प्रार्थना भी करवा रहा था। इस पर लोगों ने हंगामा कर दिया।

फोन पर यीशु की प्रार्थना से ठीक हुआ, फिर प्रेरित करने लगा

आदिवासियों को ईसाई धर्म अपनाने के लिए मजबूर करने का आरोप गांव के ही हीरालाल जामोद पर है। हीरालाल पेशे से प्राइवेट टीचर है। उसके पास गांव में 5 एकड़ जमीन है। दैनिक भास्कर टीम को वह घर के पास ही खेत में मूली साफ करते मिला। हीरालाल ने स्वीकार किया कि वह यीशु को भगवान मानता है। वह घर में गांव के लोगों को यीशु की प्रार्थना के लिए सप्ताह में एक-दो दिन बुलाता है। इसमें गांव के ऐसे लोग आते हैं, जो बीमार हैं या आर्थिक तंगी से परेशान हैं। उनको घर में बुलाकर यीशु की प्रार्थना कराता है।

यीशु पर भरोसा करने के बारे में हीरालाल कहता है- करीब सात-आठ साल पहले की बात है। वह बहुत बीमार रहता था। खून की उल्टी होती थी। इस बीच पता चला कि देवास जिले में बरेला समाज का रहने वाला एक शख्स झाड़-फूंक और यीशु की प्रार्थना से सब ठीक कर देता है। इस पर उस शख्स से फोन पर ही संपर्क किया। उसने फोन पर ही यीशु की प्रार्थना कराई। उसकी हालत में सुधार हुआ। इसके बाद वह यीशु पर भरोसा करने लगा। लोगों को भी यीशु की प्रार्थना के लिए प्रेरित करने लगा।

हीरालाल पेशे से प्राइवेट टीचर है। उसके पास गांव में 5 एकड़ जमीन है। वह यीशु को भगवान मानता है।

हीरालाल की पत्नी अनीता कहती है कि आदिवासी हिंदू नहीं हैं। हम ऐसे समाज से आते हैं कि कंकड़-पत्थर को भी भगवान मानते हैं। यह हमारा अधिकार है कि हम किसकी पूजा, प्रार्थना करते हैं। हम किसी को लालच देकर नहीं बुलाते। मुसीबत में फंसे लोग आते हैं। हमारे पास इतना पैसा भी नहीं कि हम किसी को आर्थिक मदद कर सकें।

धर्म बदलकर फिर हिंदू बना भीमसिंह

भीमसिंह भी परेशानी के चलते यीशु की प्रार्थना करने लगे थे, लेकिन कुछ महीनों बाद बंद कर दी।

भीमसिंह भी परेशानी के चलते यीशु की प्रार्थना करने लगे थे, लेकिन कुछ महीनों बाद बंद कर दी।

हीरालाल के घर से ठीक 100 कदम पहले भीमसिंह का मकान है। भीमसिंह बताते हैं कि परेशानी के चलते पांच-छह महीने पहले हीरालाल के कहने पर यीशु की प्रार्थना शुरू की थी, लेकिन मदद नहीं मिली। उनकी पत्नी इडाली बाई बताती है कि हम बीमार थे। ऐसे में हीरालाल के पास गए। वह झांड़-फूंक के साथ प्रार्थना कराता था। तबीयत ठीक हुई, लेकिन आर्थिक मदद नहीं मिली। इसके बाद यीशु की प्रार्थना बंद कर दी। घर के पास ही मंदिर के पास भंडारा कराकर हिंदू धर्म मानने लगे।

…दर्द से परेशान होकर प्रार्थना करने जाती थी

50 साल के भीमसिंह बघेल पेशे से किसान है। भीमसिंह के मुताबिक करीब 5 महीने पहले ईसाई धर्म को अपनाया था। तब परेशान था। आखिर धर्म परिवर्तन क्यों किया था? पूछने पर नाराज हो जाते है, तभी भीमसिंह की पत्नी इडाली बाई बोली- हाथ पैरों में दर्द रहता था। बहुत परेशान थी तब, लेकिन जब प्रार्थना करने जाने लगी तो फिर आराम मिला, लेकिन अब दोबारा परिवार समेत सनातनी हो गई हूं।

नशामुक्ति के लिए आता था भीम: हीरालाल

धर्मांतरण के आरोपी हीरालाल जामोद ने बताया कि भीमसिंह और उसका परिवार करीब पांच-छह महीने पहले प्रार्थना करने के लिए घर आता था। वह नशा करता था। इसके छुटकारा पाने के लिए वह प्रार्थना कराता था। भीमसिंह के लिए प्रभु यीशु से प्रार्थना की थी। इसके बाद उसने नशा करना छोड़ दिया।

मंगल सिंह ने भी बदला धर्म

गांव में रहने वाले 45 साल के मंगल सिंह ने ईसाई धर्म अपना लिया है। वह घर पर प्रभु यीशु की प्रार्थना करता है, लेकिन पिता नान सिंह हिंदू देवी-देवताओं की पूजा करते हैं। पूछने पर वह कहते हैं – मंगल मेरा बेटा है। अब वह बड़ा हो गया है। उसकी आस्था जिस धर्म में है, वह उस धर्म को माने।

रविवार रात हीरालाल घर पर लोगों को बुलाकर प्रार्थना करवा रहा था। इस पर हंगामा भी हुआ था।

रविवार रात हीरालाल घर पर लोगों को बुलाकर प्रार्थना करवा रहा था। इस पर हंगामा भी हुआ था।

पांच साल से चल रही ईसाई बनाने की कोशिशें

ढाई हजार की आबादी वाले केकड़िया गांव में हिंदू आदिवासियों को ईसाई बनाने की कोशिशें पिछले पांच साल से की जा रही हैं। गांव में रहने वाले हिंदू टाइगर फोर्स के प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र तोमर बताते हैं कि हीरालाल जामोद आदिवासी है। वह खुद प्रभु यीशु की प्रार्थना करता है। साथ ही, गांव के दूसरे हिंदू आदिवासियों को प्रभु यीशु की प्रार्थना में शामिल होने के लिए बुलाता है। बकौल देवेंद्र यह सिलसिला गांव में पिछले पांच साल से चल रहा है। नतीजा, गांव के सात घरों में अब प्रभु यीशु की प्रार्थना होने लगी है।

ईसाई बने आदिवासियों ने नहीं बदला सरनेम

खास बात है कि प्रभु यीशु की प्रार्थना करने वाले गांव के एक भी व्यक्ति ने अपना नाम और सरनेम नहीं बदला है। बताया जा रहा है कि उन्होंने ऐसा सरकार द्वारा आदिवासियों के लिए संचालित योजनाओं का फायदा लेने के लिए किया है।

चार साल पहले धर्मांतरण को लेकर हुआ विवाद

हिंदू टाइगर फोर्स के प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र तोमर बताते हैं कि चार साल पहले गांव में मिशनरियों का मूवमेंट बढ़ गया है।

हिंदू टाइगर फोर्स के प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र तोमर बताते हैं कि चार साल पहले गांव में मिशनरियों का मूवमेंट बढ़ गया है।

हिंदू टाइगर फोर्स के प्रदेशाध्यक्ष देवेंद्र तोमर बताते हैं कि चार साल पहले गांव में मिशनरियों का मूवमेंट बढ़ गया था। अलग-अलग जगह से आने वाले ईसाई समुदाय के लोग हीरालाल जामोद के घर जाते थे। तब गांव के हिंदू आदिवासियों का धर्मांतरण कराकर ईसाई बनाने की कोशिश की गई थी। इसके चलते गांव के करीब 10 लोगों का प्रभु यीशु को मानने वाले दो परिवारों से विवाद हुआ था।

इसकी शिकायत रातीबड़ थाने में भी की गई, लेकिन पुलिस ने धर्मांतरण कराने वालों के बजाय विरोध करने वालों पर ही मारपीट और तोड़फोड़ का मामला दर्ज कर लिया था। इसके चलते रातीबड़ से केकड़िया की ओर आने वाली सड़क पर बोर्ड लगाकर गांव में लव जिहाद और धर्मांतरण रोकने ईसाई मिशनरियों का प्रवेश प्रतिबंधित किया था।

और पुलिस की रिपोर्ट ….

लोगों को घर में बैठाकर किया जा रहा था धर्मांतरण

एडिशनल डीसीपी श्रुतिकीर्ति सोमवंशी ने बताया कि रविवार रात रातीबड़ स्थित गांव से एक महिला ने सूचना दी थी कि गांव में बड़े पैमाने पर लोगों का धर्मांतरण किया जा रहा है। सूचना पर पहुंची पुलिस ने एक घर पर दबिश दी, तो वहां 40 से ज्यादा लोग एकत्रित नजर आए। पूछताछ में पता चला कि उक्त मकान ईसाई धर्म गुरु हीरालाल जामोद का है। वह अन्य दो लोगों के साथ मिलकर लोगों पर धर्मांतरण के लिए दबाव बना रहे हैं। पुलिस ने वहां एकत्रित लोगों को समझाइश देकर घर पहुंचा दिया।

नौकरी और पढ़ाई समेत रुपए देने का प्रलोभन

गांव के लोगों से पूछताछ में पता चला कि धर्मांतरण कराने वाले आरोपी ग्रामीणों को गृह क्लेश, प्रेत बाधा और रोगी का इलाज कराने के नाम पर धर्मांतरण का दबाव बना रहे थे। वह रुपए और नौकरी देने का भी लालच देकर धर्मांतरण पर जोर देते थे। घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस टीम पहुंची थी। इस दौरान हिंदू संगठन के लोग भी पहुंच गए थे।

पुलिस ने हीरालाल जामोद (26), गब्बर सिंह (25) और रैम सिंह (23) को गिरफ्तार किया है

पुलिस ने हीरालाल जामोद (26), गब्बर सिंह (25) और रैम सिंह (23) को गिरफ्तार किया है

इनके खिलाफ केस दर्ज

पुलिस ने गांव के सरपंच से भी पूछताछ की थी। इसके बाद सरपंच की शिकायत पर धर्मगुरु हीरालाल जामोद (26) गब्बर सिंह (25) और रैम सिंह (23) पर मप्र धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, जान से मारने की धमकी समेत अन्य धाराओं में केस दर्ज किया गया।

आदिवासी महिलाएं निशाने पर

एडिशनल डीसीपी ने बताया कि हीरालाल के निशाने पर आदिवासी महिलाएं और ऐसे लोग रहते थे, जो घर पर प्रेत बाधा, गृह क्लेश और बीमारी की समस्या लेकर आती थीं। उन पर धर्म परिवर्तन कराने के लिए दबाव बनाया जाता था। हीरालाल जामोद ने पूछताछ में बताया कि उसने पांच साल पहले यह सब इंदौर में शिक्षा ली और सीखा था। उसके बाद वह भोपाल में गांव आकर वह धर्मांतरण करने लगा था। वह गांव में घूमकर लोगों को धर्मांतरण करने और इसके फायदे बताता था।

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