MP में शिवरात्रि पर बनेगा एशिया बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड,1100 किलो के कड़ाहा में बनेगी 5100 किलो खिचड़ी, 51 हजार भक्तों में बंटेगा महाप्रसाद

MP में शिवरात्रि पर बनेगा एशिया बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड,1100 किलो के कड़ाहा में बनेगी 5100 किलो खिचड़ी, 51 हजार भक्तों में बंटेगा महाप्रसाद

रीवा के पचमठा आश्रम में महाशिवरात्रि के दिन विशाल भंडारा होने वाला है। भंडारे में 1100 किलो के कड़ाहा में 5100 किलोग्राम खिचड़ी बनेगी। करीब 51 हजार श्रद्धालु महाप्रसाद ग्रहण करेंगे। देश-दुनिया के सबसे बड़े खिचड़ी महाप्रसाद को कवरेज करने एशिया बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की टीम को बुलाया गया है।

18 फरवरी को होने वाले कार्यक्रम को लेकर आयोजक मंडल के पदाधिकारी व कार्यकर्ता मूर्त रूप देने के लिए दिन रात मशक्कत कर रहे हैं। इतने बड़े कड़ाहा के लिए भट्‌ठी तैयार की जा रही है। मंदिर परिसर में रंग-रोगन व साफ-सफाई के साथ आश्रम तक जाने के लिए सड़क व आकर्षक गेट बनया जा रहा है। आयोजन समिति के सचिव प्रतिक मिश्रा ने बताया कि 18 फरवरी को महाशिवरात्रि के अवसर पर 15वीं बार आयोजन कर रहे हैं। पहली बार एक ही कड़ाहे में 5100 किलो खिचड़ी बनेगी। इसके पहले का रिकार्ड 3000 किलो का है।

यूपी के कानपुर से रीवा के पचमठा आश्रम पहुंचने के बाद जेसीबी की मदद से 11 क्विंटल के कड़ाहे को उतारा गया। इसे भट्‌ठी पर भी जेसीबी की मदद से ही चढ़ाया जाएगा। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड की टीम इसे देखने के लिए रीवा आ रही है।

रीवा के पचमठा आश्रम में महाशिवरात्रि पर भंडारे का आयोजन किया जा रहा है। इसमें 1100 किलोग्राम के कड़ाहे में महाप्रसाद बनाया जानाा है। इसके लिए यूपी के कानपुर से कड़ाहा मंगाया गया है। यह इतना वजनी है कि इसे ट्रक से उतारने के लिए जेसीबी की मदद लेनी पड़ी।

पहले जानते है कड़ाहे के बारे में
1100 किलोग्राम के कड़ाहे को ​उत्तर प्रदेश के कानपुर व आगरा के कारीगरों ने 15 दिन में बनाया है। इसे बनाने में 51 कारीगरों को लगाया गया था। कड़ाहे को हाइड्रोलिक मशीन से उठाकर ट्रक में लादकर कानुपर से रीवा के पचमठा आश्रम पहुंचाया लाया गया है। पचमठा आश्रम में कड़ाहा उतारने के लिए हाइड्रोलिक मशीन की मदद ली गई है। कड़ाहे की ऊंचाई 5.50 फीट और चौड़ाई 11 फीट है। ऊंचाई अधिक होने की वजह से कड़ाहे के बगल में खड़े होकर अंदर नहीं झांका नहीं जा सकता है। इसके लिए विशेष प्रकार की भट्‌ठी बनाई जा रही है।

1100 किलोग्राम के कड़ाहे के लिए तैयार की जा रही भट्‌ठी। इसे बनाने के लिए 10 मजदूरों को लगाया गया है, जो कि पांच दिन में इस भट्‌टी को बनाएंगे।

यूपी के कानपुर से रीवा के पचमठा आश्रम पहुंचने के बाद जेसीबी की मदद से 11 क्विंटल के कड़ाहे को उतारा गया। इसे भट्‌ठी पर भी जेसीबी की मदद से ही चढ़ाया जाएगा। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड की टीम इसे देखने के लिए रीवा आ रही है।

अब जानिए कैसे तैयार होगा महाप्रसाद
शिव बारात आयोजन एवं जन कल्याण समिति के सचिव प्रतीक मिश्रा ने बताया कि महाशिवरात्रि पर खिचड़ी का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनेगा। मंदिर परिसर में डोम पंडाल लगाया जा रहा है। इसके बीच में मंच बनाया जाएगा। एक तरफ प्रसाद बनेगा, दूसरी तरफ भंडारा का आयोजन किया जाएगा। 1100 किलो ग्राम वाले कड़ाहे के अंदर 5100 किलो ग्राम खिचड़ी पकेगी। जिसमे 4000 लीटर पानी और 1100 किलो खिचड़ी की सामग्री होगी। 600 किलो चावल, 300 किलो दाल, 100 किलो देशी घी और 100 किलोग्राम हरी सब्जियां डाली जाएगी।

रीवा के पचमठा आश्रम में महाशिवरात्रि के आयोजन की तैयारी की जा रही है। आश्रम के मुख्य द्वार की सड़क बनाई जा रही है।

कड़ाहे के लिए बनाई जा रही विशाल भट्ठी
आयोजको ने कहा कि 1100 किलो के कड़ाहे को रखने के लिए विशाल भट्‌ठी बन रही है। 10 मजदूर भट्‌ठी बनाने में जुटे हैं। जमीन को खोदकर गड्‌ढानुमा भट्ठी बनाई जा रही है। भाट्ठी की गहराई 5 फीट तो चौड़ाई 8 ​फीट रखी गई है। इसे बनाने में पांच दिन लगेंगे। भाट्‌ठी कंक्रीट से बनाया जा रहा है। इसके नीचे सरिया डालकर कड़ाहा रखने के लिए स्टेंड डाला जा रहा है। इसी स्टैंड की उपरी सतह पर 1100 किलोग्राम का कड़ाहा रखा जाएगा।

क्यों नाम पड़ा पचमठा आश्रम
पचमठा आश्रम के महंत विजय शंकर ब्रह्मचारी ने बताया कि आदिगुरु शंकराचार्य ने भारत की चार दिशाओं में चार मठ बनाए। रीवा से गुजरते समय आदिगुरु शंकराचार्य ने बीहर नदी के किनारे पांचवें मठ (पचमठा) की स्थापना की। सदियों से संत महात्मा अमरकंटक से प्रयागराज जाते समय पचमठा आश्रम में पड़ाव डालते थे, इसलिए इसे संतों की सिद्ध स्थली भी कहते हैं। 1954-55 में स्वामी ऋषि कुमार महाराज ने संस्कृ​त विद्यायल की स्थापना की। तब से निरंतर आश्रम का महत्व बढ़ता गया।

ऐसी मान्यता है कि आदिगुरु शंकराचार्य ने भारत की चार दिशाओं में चार मठ की स्थापना के बाद पांचवें मठ की स्थापना की थी। इसी वजह से इसे पचमठा आश्रम के रूप में जाना जाता है।

खिचड़ी को राष्ट्रीय व्यंजन घोषित करने की मांग
मंदिर के संत महात्माओं ने कहा कि खिचड़ी हर क्षेत्र का व्यंजन है। जाति और धर्म के अनुसार अलग-अलग नाम है। उत्तर में इसका नाम खिचड़ी तो दक्षिण भारत में पोंगल है। विज्ञान से लेकर आयुर्वेद व मेडिकल चिकित्सक भी खिचड़ी खाने की सलाह दी जाती है। रीवा के पचमठा में विशाल खिचड़ी भंडारे का उद्देश्य इसे राष्ट्रीय व्यंजन घोषित कराने का है।

11-11 फीट के बन रहे 4 करछुला (पलटा)
कड़ाहे के अंदर खिचड़ी को पकाते समय चलाने के लिए 11-11 फीट के 4 करछुला (पलटा) बन रहे हैं। 5 फीट ऊंचाई वाला कड़ाहा तीन फीट जमीन के अंदर भाठा में रहेगा। वहीं दो फीट उपरी सतह चलाने के लिए निकली रहेगी। भाठा की चौड़ाई 8 फीट रखी गई है। 8 फीट गहराई वाले भाठा में तीन फीट तक कड़ाहा रहेगा। जबकि 5 फीट लकड़ी रहेगी। जिसकी आंच से खिचड़ी पकेगी। करीब 11 क्विंटल लकड़ी का इस्तेमाल किया जाएगा।

1954-55 में स्वामी ऋषि कुमार महाराज ने संस्कृत विद्यायल की स्थापना की। इस विद्यालय की स्थापना के बाद से इस आश्रम का महत्व और बढ़ता गया।

21 शिव भक्त बनाएंगे खिचड़ी
महाशिवरात्रि के दिन 21 शिव भक्त मिलकर खिचड़ी तैयार करेंगे। आयोजकों का कहना है कि 5 भक्त सूखा समान लाएंगे। 5 शिव भक्त हलवाई की भूमिका निभाएंगे। वहीं 5 लोगों को भट्‌ठी की आंच को बनाए रखने की जिम्मेदारी होगी। एक आदमी को-ऑर्डिनेट करेगा। यहां पहुंचने वाले शिव भक्तों में भंडारे से जुड़ी जिम्मेदारी बांटी जा रही है।

ऐसे बनेगा एशिया बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड
शिव बारात आयोजन एवं जन कल्याण समिति के अध्यक्ष मनीष गुप्ता ने बताया कि देश में पहली बार 11 क्विंटल वजनी कड़ाहे पर 51 क्विंटल की खिचड़ी बन रही है। इसके लिए एशिया बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की टीम 18 फरवरी को रीवा के पचमठा आश्रम आ रही है। यह टीम महाप्रसाद बनाने से लेकर वितरण तक की गतिविधियों पर नजर रखेगी।

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