कोरोना की दूसरी लहर में जिले के 4 सौ ज्यादा बच्चे अनाथ हो गए। ऐसे बच्चे को राहत देने महतारी दुलार योजना के जरिए सरकारी व निजी स्कूलों में निशुल्क प्रवेश दिलाया गया। अब निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों पर स्कूल प्रबंधन फीस जमा करने का दबाव बनाया जा रहा है। बच्चे फीस जमा नहीं कर पाने को लेकर जब अपनी समस्या बताते हैं तो उन्हें अगले क्लास में एडमिशन नहीं दिए जाने की धमकी दी जा रही है। यही नहीं उन्हें बात-बात पर ताने भी दिए जाते हैं कि मुफ्त में पढ़ाई कर रहे हो। इस तरह की प्रताड़ना के बावजूद ये बच्चे स्कूल प्रबंधन की शिकायत कहीं नहीं कर पा रहे हैं।
इसकी जानकारी मिलने पर दैनिक भास्कर की टीम ने बिलासपुर शहर के साथ-साथ बिल्हा, मस्तूरी, तखतपुर के निजी स्कूलों में पढ़ने वाले इन बच्चों से चर्चा की। उन्होंने बताया कि शिकायत करेंगे तो हमें तत्काल बाहर कर दिया जाएगा। वहीं एक छात्र ने अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए कहा कि निशुल्क शिक्षा लेने वाले छात्रों के प्रति शिक्षकों का व्यवहार ठीक नहीं रहता है। कुछ बोलने पर यह कह दिया जाता है मुफ्त में और कितनी सुविधा मिलेगी।
कोरोना में अनाथ हुए 304 बच्चों को प्राइवेट और 132 को सरकारी स्कूल में एडमिशन दिलाया गया है। वहीं दूसरी ओर दैनिक भास्कर की टीम ने शहर व आसपास के प्राइवेट स्कूलों के प्रबंधन से फीस वसूली को लेकर सवाल किया तो उन्होंने साफ इनकार करते हुए कहा हमने डीईओ से फीस की मांग की गई है लेकिन बच्चों को कुछ नहीं कहा गया है। सभी बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं, किसी को बाहर नहीं किया गया है।
स्कूल संचालक कह रहे- बच्चों से नहीं डीईओ से मांगी फीस
कह रहे – अगले साल दूसरा स्कूल देख लेना
बहतराई के एक प्राइवेट स्कूल में 8 छात्रों को भर्ती कराया गया है। यहां पढ़ाई करने वाले लोकेश वर्मा ने बताया पढ़ाई खत्म होने वाली है लेकिन अब तक स्कूल फीस जमा नहीं हो पाई है। स्कूल के प्रबंधक कहते हैं यही स्थिति रही तो अगले साल दूसरा स्कूल चुन लेना।
सिरगिट्टी के एक प्राइवेट स्कूल में चार छात्रों को एडमिशन दिया गया है। छात्रों का कहना है कि फीस के लिए हमें सीधे तौर पर नहीं बोला जाता है लेकिन किसी चीज पर सवाल जवाब करने पर शिक्षक कहते हैं मुफ्त में और कितनी सुविधाएं मिलेगी कहकर शांत करा दिया जाता है।
लालखदान के ढेका स्थित प्राइवेट स्कूल में 10 छात्र- छात्राएं पढ़ाई कर रहे हैं। ये छात्र आसपास के ही है। छात्रों का कहना है स्कूल में हमें सबसे पीछे बिठाया गया है। ऐसा करके क्लास के अन्य बच्चों को एहसास दिलाया जाता है कि हम निशुल्क पढ़ाई करते हैं।
छात्रवृत्ति के 28 लाख भी जमा नहीं हुए
जिले के 436 बच्चों को याेजना के तहत निशुल्क एडमिशन देने के साथ-साथ छात्रवृत्ति देने की भी घोषणा हुई थी। इसके लिए बच्चों के खाते भी खुलवाए गए लेकिन इनमें एक साल में एक बार भी राशि जमा नहीं कराई। छात्रवृत्ति के 28 लाख रुपए खातों में जमा किए जाने हैं। विभाग द्वारा बैंकों से बार-बार खाता चेक कराया जाता है लेकिन राशि नहीं आई है।
कितनी फीस लेंगे, इसकी चर्चा भी नहीं हुई
निजी स्कूल में बच्चों को एडमिशन तो करा दिया गया लेकिन फीस को लेकर शासन से कोई चर्चा नहीं हुई है। प्राइवेट स्कूल संचालक अब कह रहें हैं कि वे जो फीस सभी से लेते हैं वही इन बच्चों से लेंगे। संचालकों का कहना है सुविधा पूरी दी जा रही है तो फीस भी पूरी ली जाएगी।
फीस जमा करने को लेकर मेरे पास कॉल आते हैं
“कोरोना के दौरान निजी स्कूलों में 304 और सरकारी स्कूल में 132 बच्चों को दाखिला दिलाया गया है। फीस के लिए निजी स्कूल के संचालक फोन करते हैं लेकिन फीस के लिए प्रताड़ित करने का मामला हमारे पास नहीं आया है।”
-डीके कौशिक , डीईओ, बिलासपुर
नहीं मिली है शिकायत
“शासन से बच्चों का फीस नहीं मिली है और न ही उनको छात्रवृत्ति दी गई है। प्राइवेट स्कूलों की फीस के लिए डीईओ से चर्चा की गई है। इन स्कूलों से एक भी बच्चों को बाहर नहीं किया गया है और न ही हमारे पास किसी प्रकार की शिकायत है।”