मध्यप्रदेश के 67वें स्थापना दिवस पर नागरिकों को ह्रदय से बधाई और शुभकामनाएँ। प्रदेश के गठन के बाद बीते 66 वर्षों के सफर में खासतौर से स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के मामले में शुरूआती वर्षों से लेकर 50 वर्ष बीतने तक निराशाजनक तस्वीर दिखाई देती है। राज्य के गठन के बाद आधी सदी बीतने तक स्वास्थ्य संस्थाएँ आधुनिक चिकित्सा उपकरण, उपचार, जाँचें और स्वास्थ्य संस्थाओं के इन्फ्रा-स्ट्रक्चर में कोई खास उपलब्धि अर्जित नहीं हुई। इस सबके बावजूद पिछले 20 वर्षों में स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार, स्वास्थ्य संबंधी अधोसंरचना, आधुनिक चिकित्सा उपकरणों के साथ विशेषज्ञ चिकित्सकों और पैरामेडिकल स्टॉफ की उपलब्धता को सुनिश्चित करने की दिशा में तेजी से काम हुआ है। पिछले दो दशक में स्वास्थ्य संस्थाओं के सुदृढ़ीकरण और स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार के ही चलते इस सदी की सर्वाधिक भीषण कोरोना महामारी की चुनौती का मुकाबला कर स्वास्थ्य विभाग सफल हुआ है।
प्रदेश में वर्तमान में 12 हजार 386 स्वास्थ्य संस्थाएँ हैं। इनमें 10 हजार 280 उप स्वास्थ्य केन्द्र, 1266 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, 356 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, 119 सिविल अस्पताल, 313 सिविल डिस्पेंसरी (शहरी) और 52 जिला अस्पताल हैं। इन स्वास्थ्य केन्द्रों में 42 हजार 911 सामान्य बिस्तर, 15 हजार 80 आइसोलेशन बेड, 2673 आईसीयू बेड और 6630 एच.डी.यू. बेड्स हैं। यह इसलिए उल्लेखनीय है कि वर्ष 2003 में स्वास्थ्य संस्थाओं में कुल 21 हजार 234 बिस्तर उपलब्ध थे और आइसोलेशन, आईसीयू और एच.डी.यू. बेड्स तो उपलब्ध ही नहीं थे। इस तरह हम पायेंगे कि स्वास्थ्य संस्थाओं में पिछले वर्षों के दौरान 24 हजार 383 आइसोलेशन, आईसीयू और एसडीयू बेड्स की उपलब्धता के साथ ही वर्ष 2003 की तुलना में सामान्य बिस्तरों दोगुनी होकर 42 हजार 911 हो गए हैं।
स्वास्थ्य संस्थाओं में चिकित्सक, विशेषज्ञ चिकित्सक, दंत चिकित्सक और नर्सिंग स्टॉफ में भी बढ़ोत्तरी की गई है। वर्तमान में 5256 चिकित्सक, 1116 विशेषज्ञ चिकित्सक, 103 दंत चिकित्सक और 11 हजार 405 नर्सिंग स्टॉफ है। प्रदेश की स्वास्थ्य संस्थाओं के माध्यम से नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ प्रदान करने के लिये 33 हजार 84 एनएचएम की नियुक्ति की गई है। प्रदेश के सभी स्वास्थ्य केन्द्रों में वर्ष 2003 में उपलब्ध 214 प्रकार की ई.डी.एल. औषधियाँ अब बढ़कर 530 प्रकार की हो गई है। स्वास्थ्य संस्थाओं में ऑक्सीजन सिलेण्डर के माध्यम से सीमित ऑक्सीजन प्रदाय की सुविधा की तुलना में प्रदेश में 204 पीएसए प्लांट्स के माध्यम से स्वास्थ्य संस्थाओं में ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है।
स्वास्थ्य संस्थाओं में विभिन्न प्रकार की जाँचों की सुविधा भी बढ़ाई गई है। वर्ष 2003 में 45 प्रकार की जाँच होती थी। वर्तमान में 132 प्रकार की जाँच की जा रही हैं। हब एण्ड स्पोक मॉडल पैथालॉजी में 324 हब और 1610 स्पोक्स से प्रत्येक उप स्वास्थ्य केन्द्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र तक 45 प्रकार की पैथालॉजी जाँच की सुविधा उपलब्ध है। पीपीपी मोड पर 49 जिला चिकित्सालयों में सीटी स्केन की भी सुविधा उपलब्ध है। प्रदेश में 58 एस.एन.सी.यू., 165 एन.वी.एस.यू., 59 पी.आई.सी.यू. और 315 एन.आर.सी. की स्थापना भी की गई है। वर्तमान में 59 संस्थाओं में डायलिसिस की सेवाएँ दी जा रही हैं।
मरीजों को अस्पताल लाने-ले जाने के लिये वर्ष 2003 में केवल 256 एम्बुलेंस थीं, जिसमें लगभग 8 गुनी वृद्धि करते हुए वर्तमान में 2052 एम्बुलेंस उपलब्ध है।
प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं में हुए सुधार और विस्तार के सकारात्मक परिणाम स्वास्थ्य से जुड़े मानकों में देखे जा सकते हैं। वर्ष 2003 में जहाँ मृत्यु दर 82 प्रति हजार से घट कर वर्तमान में 43 और मातृ मृत्यु दर 498 से घट कर 173 रह गई है।
आयुष्मान भारत निरामयम योजना के क्रियान्वयन में प्रदेश वर्ष 2018 से देश में अग्रणी है। पात्र नागरिकों के अब तक 3 करोड़ से अधिक आयुष्मान कार्ड बनाये गये हैं। योजना से 999 निजी और शासकीय चिकित्सालय संबद्ध हैं। स्वास्थ्य विभाग ने यह उपलब्धि प्रदेश के आम नागरिकों को बेहतर उपचार उपलब्ध कराने के लिये मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में प्राप्त की है।