प्रधानमंत्री ने स्पिक मैके अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया

प्रधानमंत्री ने स्पिक मैके अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया
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नई दिल्ली : प्रधानमंत्री, श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से स्पिक मैके के अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया।

प्रधानमंत्री ने इस वास्तविकता की सराहना की कि इतनी कष्टकारी परिस्थितियों में, संगीतकारों का मिजाज़ नहीं बदला और सम्मेलन की विषय वस्तु इस बात पर केन्द्रित है कि कोविड-19 महामारी के कारण युवाओं के बीच उत्पन्न तनाव को कैसे कम किया जा सकता है।

उन्होंने याद किया कि युद्ध और संकट के समय ऐतिहासिक दृष्टि से किस प्रकार संगीत ने प्रेरणा प्रदान करने और लोगों को आपस में जोड़ने की भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि कवियों, गायकों और कलाकारों ने हमेशा ऐसे समय में लोगों की बहादुरी को बाहर लाने के लिए गीत और संगीत की रचना की।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अब भी, ऐसे कष्टकारी समय में जब दुनिया एक अदृश्य शत्रु से लड़ रही है, गायक, गीतकार, और कलाकार पंक्तियों की रचना कर रहे हैं और गाने गा रहे हैं जिससे लोगों का आत्मविश्वास बढ़ेगा।

प्रधानमंत्री ने याद किया कि किस प्रकार इस देश के 130 करोड़ लोग महामारी से मुकाबला करने के लिए पूरे देश में जोश भरने के लिए ताली बजाने, घंटियां और शंख बजाने के लिए एकजुट हो गए। उन्होंने कहा कि जब समान सोच और भावना के साथ 130 करोड़ लोग एकजुट हो जाते हैं तो यह संगीत बन जाता है।

उन्होंने कहा कि जिस प्रकार संगीत में सामंजस्य और अनुशासन की जरूरत होती है, वैसे ही कोरोना से लड़ाई में हर नागरिक में सामंजस्य, संयम और अनुशासन की जरूरत है। उन्होंने इस साल स्पिक मैके सम्मेलन में योग और नाद योग के अलावा नेचर वॉक, हेरिटेज वाक, साहित्य और समग्र भोजन (होलिस्टिक फूड) जैसे तत्वों को शामिल किए जाने की सराहना की।

नाद योग का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि भारत में नाद को संगीत की बुनियाद और आत्म ऊर्जा के आधार के रूप में देखा जाता है।उन्होंने कहा कि जब हम योग और संगीत के माध्यम से अपनी आंतरिक ऊर्जा का नियंत्रित करते हैं तो यह नाद अपने स्वरोत्कर्ष या ब्रह्मनाद की स्थिति में पहुंच जाती है।

प्रधानमंत्री ने कहा, यही वजह कि संगीत और योग दोनों में ध्यान और प्रेरणा देने की शक्ति है, दोनों ही ऊर्जा के बड़े स्रोत हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि संगीत न सिर्फ आनंद का स्रोत है, बल्कि वह सेवा का एक माध्यम और तपस्या का एक रूप है।

उन्होंने कहा कि हमारे देश में कई महान संगीतज्ञ रहे हैं, जिन्होंने अपना पूरा जीवन मानवता की सेवा में बिता दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि तकनीक के साथ प्राचीन कला और संगीत का सम्मिश्रण भी समय की मांग है। राज्यों और भाषाओं की सीमाएं से ऊपर आज संगीत ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के आदर्श को भी मजबूत बना रहा है, जैसा पहले कभी नहीं हुआ।

प्रधानमंत्री ने इस तथ्य की सराहना की कि लोग अपनी रचनात्मकता के माध्यम से सोशल मीडिया पर नए संदेश दे रहे हैं, साथ ही कोरोना के खिलाफ देश के अभियान को आगे बढ़ा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने उम्मीद जाहिर की कि यह सम्मेलन कोरोना वायरस के खिलाफ हमारी लड़ाई को नई दिशा भी देगा।

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