कोरोना से निपटने से लेकर आर्थिक मोर्चे तक हर मामले में मोदी सरकार विफल

कोरोना से निपटने से लेकर आर्थिक मोर्चे तक हर मामले में मोदी सरकार विफल

मोदी सरकार 2.0 का पहला एक साल विफलता और नाकामी का काला अध्याय

पिछले 11 सालों की न्यूनतम और पिछले 44 तिमाही की न्यूनतम जीडीपी विकास दर

रायपुर । 30 मई 2020.  मोदी सरकार के 2.0 के पहले एक साल को विफलता और नाकामी का काला अध्याय निरूपित करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा है कि कोरोना से निपटने से लेकर अर्थव्यवस्था तक हर मामले में मोदी सरकार विफल साबित हुयी है। मोहन मरकाम ने कहा है कि 40 करोड़ भारतीयों के गरीबी रेखा के नीचे जाने की स्थिति बनने के लिए मोदी सरकार 2.0 का पहला साल जिम्मेदार है। साम्प्रदायिक दंगे भड़कने और नागरिकता के काले कानून के लिए मोदी जी के इस एक वर्ष को याद किया जायेगा। महाराष्ट्र झारखंड दिल्ली और हरियाणा के चुनावों में भाजपा की हार हुयी। हरियाणा में भाजपा अनैतिक गठबंधन करके सरकार बना पायी। यातायात का काला कानून लाया गया जिसमें भारी भरकम जुर्माने का प्रावधान है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा है कि पूरा देश आज नोटबंदी एवं गलत तरीके से जीएसटी लागू करने की गलती को भुगत रहा है और अर्थव्यवस्था मांग की बड़ी भारी कमी से जूझ रही है और जिस तरह से सरकार ने 20 लाख करोड़ के जुमले की घोषणा की है, उससे मांग की सृजन की कोई उम्मीद भी नहीं है। आंकड़ों से ये बात स्पष्ट हो गई है कि कोरोना संक्रमण के फैलने के पूर्व ही अर्थव्यवस्था स्लोडाउन फेज में थी। जिस तिमाही के आंकड़े आये हैं उसमें लाकडाउन सिर्फ एक हफ्ता ही था।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने केंद्र सरकार से इन सवालों का जवाब मांगा है।
-पिछले 4 साल से लगातार गिरती जीडीपी का जिम्मेवार कौन है?
-बड़े विज्ञापनों के बावजूद मेक इन इंडिया स्कीम धराशायी क्यों हुई?
-20 लाख करोड़ के पैकेज गरीबों, मध्यमवर्ग, किसान, मजदूर, छोटे व्यापारी, निजी नौकरी करने वालों किसी को भी क्यों कुछ नहीं मिला?
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने मांग की है कि अब मोदी सरकार अपनी नोटबंदी और गलत तरीके से जीएसटी लागू करने की विफलता को देश के सामने स्वीकार करे। मोहन मरकाम ने कहा है कि कोरोना की गंभीर चुनौती के लिए समय पर तैयारी कर पाने में भी मोदी सरकार विफल रही। समय पर विमानतलों में स्क्रीनिंग नहीं की गयी जिसका परिणाम पूरा देश भुगत रहा है। 30 जनवरी को पहला कोरोना का मामला आने के बाद भी 24 फरवरी को गुजरात में लाखों लोगों को इकट्ठा कर नमस्ते ट्रम्प किया गया परिणामस्वरूप आज गुजरात कोरोना से बेहाल है 15500 से अधिक लोग संक्रमित हुए हैं और गुजरात से पूरे देश में गये श्रमिक कोरोना संक्रमण से प्रभावित पाये जा रहे हैं। देश में भी कोरोना पर रोक लगाने में समय पर फैसला मोदी सरकार नहीं कर पायी क्योंकि भाजपा मध्यप्रदेश की निर्वाचित सरकार को गिराने में लगी रही और 23 को भाजपा के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के मध्यप्रदेश में शपथ लेने के बाद 24 मार्च से लाकडाउन किया गया। आज मध्यप्रदेश में 7500 से अधिक कोरोना मरीज हैं। थाली बजाकर, घंटा बजाकर, लाइट बुझाकर, दिया जलाकर कोरोना महामारी से लड़ने जैसे मोदी सरकार के खोखले उपायों का ही परिणाम है कि आज देश में कोरोना प्रभावितों की संख्या एक लाख सत्तर हजार से अधिक होने जा रही है।
अर्थव्यवस्था की हकीकत बयान करते आंकड़े
वित्तीय वर्ष 2020 की जीडीपी विकास दर- केंद्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2020 की चौथी तिमाही एवं पूरे वर्ष की जीडीपी विकास दर की घोषणा की, वित्तीय वर्ष 2020 की जीडीपी विकास दर 4.2 प्रतिशत रही एवं चौथी तिमाही की और वित्तीय वर्ष 2020 की विकास दर 3.1 प्रतिशत रही। जिस तरह से सरकार ने वित्तीय वर्ष 2020 की क्वार्टर 1, क्वार्टर 2 और क्वार्टर 3 की जीडीपी विकास दर को रिवाईज किया है, उससे तो यही लगता है कि आज घोषित चौथे क्वार्टर की विकास दर भी कुछ समय बाद रिवाईज होकर 3.1 प्रतिशत से 2.2 प्रतिशत रह जाएगी, जो कि ज्यादातर अर्थशास्त्री और एक्सपर्ट मान रहे थे। ये जीडीपी विकास दर पिछले 11 सालों की न्यूनतम और पिछले 44 तिमाही की न्यूनतम विकास दर है।
आर्थिक मामले में ट्रिलियन इकानॉमी की बात करने वाली मोदी सरकार की अर्थव्यवस्था की चिंताजनक बातों को उजागर करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा है कि-  
-1.4 (माईनस 1 प्वाइंट 4) प्रतिशत की मैन्यूफेक्चरिंग ग्रोथ ये स्पष्टतया दर्शाती है कि अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो चुकी है। 2020 की मैन्यूफेक्चरिंग विकास दर 0 प्रतिशत ने सरकार के मेक इन इंडिया प्रोग्राम की पूरी पोल खोल दी।
फैक्ट्री आउटपुट का -16 प्रतिशत पर पहुंचना स्पष्टतया एमएसएमई सेक्टर की व्यथा को बयान करता है और किस तरह इस सेक्टर से रोजगार के अवसर खत्म हुए, उसकी कहानी बताता है।
-0.6 (माईनस 0 प्वाइंट 6) प्रतिशत की औद्योगिक विकास दर स्पष्टतया ये दर्शाती है कि समस्या इकोनॉमी के सारे सेक्टर में है।
क्वार्टर ऑन क्वार्टर जिस तरह से सर्विस सेक्टर नीचे गिरता जा रहा है, जो कि किसी समय में भारतीय अर्थव्यवस्था की शान हुआ करता था, स्पष्टतया सरकार की गलत नीतियों एवं अपेक्षा की ओर, और लगातार अपेक्षा का चिन्हित करता है।
-2.2 (माईनस 2 प्वाइंट 2) प्रतिशत की विकास दर कंस्ट्रक्शन सेक्टर में स्पष्टतया ये दर्शाती है कि लॉकडाउन के अनाउंसमेंट के पहले ही प्रवासी मजदूरों एवं कामगारों के मध्य़ भयानक बेरोजगारी उपस्थित थी। 

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