रायपुर। नर्सरी स्कूलों में एक अप्रैल से कक्षाएं प्रारंभ हुईं। प्रथम दिवस स्कूल परिसर में देखने लायक माहौल था। नए यूनिफार्म के साथ बच्चे अपना परिचय दे रहे थे तो कोई मम्मी-पापा से बिछड़कर आंसू बहा रहे थे। टीचर्स ने भी बच्चों की भावनाओं को समझते हुए उन्हें हंसाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ा। चाकलेट, गिफ्ट के साथ लोरी गाकर हंसाया।
एक युवा दंपती साकेत और पूजा श्रीवास्तव के लिए एक अप्रैल को जिंदगी का एक अहम दिन था, जब उनके लाड़ले बेटे सनय ने अपने शैक्षिक जीवन की यात्रा शुरू की। दोनों पति-पत्नी बड़े उत्साह और बच्चे के सुनहरे भविष्य की उम्मीद के साथ पूर्ण गणवेश में उसे तैयार कर उसके स्कूल ले गए थे। जहां सनय को पहली बार स्कूल की दहलीज की दहलीज पर कदम रखना था। एक अप्रैल से शहर के प्री नर्सरी स्कूलों में अकादमिक सेशन शुरू हो गया।
वहां की प्रिंसिपल ने बताया कि शुरू का एक साल नर्सरी क्लास के बच्चों को स्कूलिंग के लिए तैयार करने वाला होता है। धीरे-धीरे बच्चों को स्कूल अपना लगने लगता है। अपने माता-पिता की बात नहीं मानने वाले जिद्दी मासूम भी अपने टीचर्स की बात को मानने लग जाते हैं। सामूहिक रूप से साथ में रहकर बच्चे पढ़ाई के साथ नैतिक शिक्षा सीखते हैं।