प्रदेश की महिलाओं को खाना बनाने के लिए प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के तहत निःशुल्क गैस कनेक्शन दिया जा रहा हैं। पहले महिलाएं खाना बनाने के लिए लकड़ी, कोयला, कण्डा का उपयोग करती थी। चूल्हे से निकलने वाले धुएं के कारण स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता था। आंखो में जलन होती थी। मुख्यमंत्री साय के सुशासन में महिलाओं को धुएं से मुक्ति मिल रही हैं। महिलाएं अब झट-पट खाना बनाकर अन्य कामों के लिए भी समय निकाल लेती है। प्रदेश में प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के तहत 36 लाख 76 हजार महिलाओं को गैस कनेक्शन दिया गया हैं।
रायगढ़ जिले के लैलूंगा विकासखंड के ग्राम र्भुइंयापानी निवासी बिरहोर परिवारों के 60 वर्षीय नान्हीबाई को उज्जवला गैस कनेक्शन मिला है। उन्होंने मुख्यमंत्री को धन्यवाद देते हुए कहा कि अब उन्हें जंगल जाना नहीं पड़ता। नाही मजबूरी में खाना बनाने के लिए लकड़ी इकट्ठा करनी पड़ती हैं। जंगल से लकड़ी लाने में जंगली जानवरों का खौफ रहता था। चूल्हे के धुंए से भी राहत मिल रही हैं। उम्र दराज नान्हीबाई के चिन्तामुक्त होने की खुशी झलक रही थी।
प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के तहत कोरिया जिले बैकुण्ठपुर निवासी महिलाओ ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि उन्हें गैस चूल्हा मिल गया है। किस तरह पहले चूल्हा से भोजना बनाना पड़ता था, लकड़ी के लिए जंगल जाना होता था, वहीं भोजन बनाते समय धुआं के कारण खांसी और आंख से आंसू बहते थे। अब गैस-चूल्हा मिलने से इस समस्या से छुटकारा मिल गया है।
फूलबासन बाई कहती है कि गैस चूल्हा से खाना बनाना काफी आसान हो गया है। बर्तन भी काले नहीं होते हैं। ऊषा बाई अन्य पात्र हितग्राहियों को योजना का लाभ लेने के लिए प्रेरित कर रही हैं।यह योजना परिवार के लिए और पर्यावरण के लिए भी बहुत कल्याणकारी हैं। गैस चूल्हा होने से पेड़ की कटाई भी रूकेगी और हरियाली भी बने रहेगी।