अयोध्या में रामलला का भव्य मंदिर आकार ले चुका है। पहले चरण का कार्य लगभग पूरा करा लिया गया है। 22 जनवरी 2024 को मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा से पहले तैयारियों को आखिरी रूप दिया जा रहा है। राम मंदिर के निर्माण की योजना को सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद पूरा कराया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने श्रीराम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद विवाद में 2019 में ऐतिहासिक निर्णय दिया था। इसके बाद केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का गठन की राम मंदिर के निर्माण की योजना तैयार की। ट्रस्ट की ओर से तैयार कराए जा रहे मंदिर को देखकर हर कोई इस पर गर्व कर रहा है। राम मंदिर का निर्माण नागर शैली में कराया जा रहा है। इसे प्रसिद्ध आर्किटेक्ट चंद्रकांत भाई सोमपुरा की टीम ने डिजाइन किया है। इस मंदिर को लेकर ट्रस्टी का दावा है कि एक हजार साल तक इसकी मरम्मत की जरूरत नहीं होगी। यह मंदिर युगों- युगों तक भगवान श्रीराम की महिमा का बखान सिर उठाकर करता रहेग।
राम जन्मभूमि पर बन रहे भव्य मंदिर का निर्माण मुख्य रूप से राजस्थान के मिर्जापुर और बंसी- पहाड़पुर के गुलाबी बलुआ पत्थर और नक्काशीदार संगमरमर से हुआ है। इसके अलावा इसमें 17,000 ग्रेनाइट पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है, जिनमें से प्रत्येक का वजन 2 टन है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय कहते हैं कि मंदिर के निर्माण में अब तक 21 लाख क्यूबिक फीट ग्रेनाइट, बलुआ पत्थर और संगमरमर का उपयोग किया गया है। यह मंदिर आस्था का केंद्र बनेगा। श्रीराम की शक्ति को यह मंदिर लोगों के सामने लाने में सफल होगा। माना जा रहा है कि 27 जनवरी 2024 से राम मंदिर आम लोगों के लिए खुल जाएगा।
अनंत काल के लिए निर्माण
विशेषज्ञों की सलाह पर मंदिर के निर्माण में स्टील और साधारण सीमेंट का इस्तेमाल नहीं किया गया है। आईआईटी चेन्नई के परामर्श के बाद रखी गई नींव 12 मीटर गहरी है। नींव को दोबारा भरने में इस्तेमाल की गई मिट्टी 28 दिन में पत्थर में तब्दील हो जाती है। नींव में कुल 47 परतें बिछाई गई हैं। चंपत राय का कहना है कि मंदिर को कम से कम 1,000 वर्षों तक किसी मरम्मत की आवश्यकता नहीं होगी। 6.5 तीव्रता का भूकंप भी इसकी नींव को नहीं हिला पाएगा। दिलचस्प बात यह है कि 1992 के ‘शिला दान’ के दौरान और उसके बाद दान की गई सभी ईंटें, और पिछले तीन दशकों में विश्व हिंदू परिषद की ओर से अयोध्या के कारसेवकपुरम में नक्काशी के लिए लाए गए पत्थरों का उपयोग मंदिर के निर्माण में किया गया है।
अभी दो चरणों का निर्माण बाकी
राम मंदरि निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने पहले चरण यानी ग्राउंड फ्लोर, जहां गर्भगृह स्थित है, निर्माण कार्य को पूरा करने के लिए 15 दिसंबर की समय सीमा तय की थी। दूसरे चरण में पहली और दूसरी मंजिल, सभी भित्ति चित्र और प्रतिमा निर्माण कार्य, निचली कुर्सी और लगभग 360 विशाल स्तंभों पर नक्काशी कराया जाना है। इस कार्य को दिसंबर 2024 तक पूरा करा लिया जाएगा। पहली मंजिल पर राम दरबार होगा और प्रत्येक स्तंभ में 25- 30 कर्व बनाए जाएंगे, जिस पर देवी- देवताओं की आकृतियां उकेरी जाएंगी। अगले वर्ष परकोटे का निर्माण, महर्षि वाल्मीकि, विश्वामित्र, निषाद, शबरी आदि के सात मंदिर भी बनाए जाएंगे। तीसरे चरण में 71 एकड़ में सभागार और परकोटा का निर्माण होगा। इसमं कांस्य भित्ति चित्र और सप्तऋषियों के मंदिर आदि शामिल हैं। इस कार्य को दिसंबर 2025 तक पूरा करा लिया जाएगा।
राम की मूर्ति एक पहेली
22 जनवरी के अभिषेक समारोह से पहले, मंदिर ट्रस्ट अयोध्या में तीन अलग-अलग स्थानों पर गुप्त रूप से बनाई जा रही राम लला की तीन मूर्तियों में से एक का चयन करेगा। चुनी गई मूर्ति को पीएम नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा और जनता 27 जनवरी की सुबह के बाद भगवान के दर्शन कर सकेगी। पीएम मोदी के पूर्व प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा ने पहले कहा था कि रामलला की मूर्तियों के तीन मूर्तिकारों को उनकी पसंद के पत्थर के साथ अयोध्या में आमंत्रित किया गया था। वहीं, एक सफेद मकराना संगमरमर लाया था। कर्नाटक से एक भूरे रंग का पत्थर लाया गया है, जिसे कृष्ण शिला के नाम से जाना जाता है। मूर्तियों के लिए लाए गए पत्थर और अन्य सभी प्रकार के पत्थरों का परीक्षण सरकार के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रॉक मैकेनिक्स में किया गया था। इसके बाद ही मूर्तिकारों को काम शुरू करने के लिए कहा गया।
तीनों मूर्तियां 51 इंच ऊंची होंगी, जिनके हाथ में धनुष-बाण होगा। आसन सहित प्रत्येक मूर्ति की ऊंचाई लगभग 7 फीट होगी। विशेषज्ञों का कहना है कि भक्तों को 25 फीट की दूरी से दर्शन करने के लिए यह आवश्यक है। मंदिर का एक अन्य ऑप्टिकल आकर्षण प्रत्येक रामनवमी पर दोपहर 12 बजे मूर्ति के माथे पर सूर्य के प्रकाश को मोड़ने और प्रतिबिंबित करने की प्रणाली है। इसे रूड़की के केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान और पुणे के खगोल भौतिकी संस्थान की ओर से डिजाइन किया गया है।
राम मंदिर निर्माण की महत्वपूर्ण तिथियां
9 नवंबर 2019: सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने विवादित 2.77 एकड़ जमीन राम मंदिर के निर्माण के लिए ट्रस्ट को देने का फैसला सुनाया। कोर्ट ने इस जमीन के बदले अयोध्या में सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद निर्माण के लिए 5 एकड़ जमीन देने का फैसला दिया।
5 फरवरी 2020: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत केंद्र सरकार ने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का गठन किया। इसमें 15 सदस्य रखे गए। ट्रस्ट में 9 स्थायी और 6 नामित सदस्यों को रखा गया। ट्रस्ट में सभी हिंदू सदस्यों को रखा गया।
6 फरवरी 2020: केंद्र सरकार ने एक रुपया दान के साथ राम मंदिर निर्माण अभियान की शुरुआत की।
19 फरवरी 2020: श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र की पहली बैठक दिल्ली में हुई। इसमें महंत नृत्य गोपाल दास को अध्यक्ष और विश्व हिंदू परिषद के महासचिव चंपत राय को सचिव चुना गया। पीएम नरेंद्र मोदी के पूर्व प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा को मंदिर निर्माण कमिटी का अध्यक्ष चुना गया।
15 मार्च 2020: यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुआई में रामलला की प्रतिमा को अस्थायी मंदिर में शिफ्ट किया गया।
5 अगस्त 2020: राम जन्मभूमि मंदिर का भूमि पूजन हुआ। पीएम नरेंद्र मोदी इस भूमि पूजन कार्यक्रम में यजमान बने। मंदिर निर्माण का कार्य शुरू हुआ।
15 जनवरी 2021: राम मंदिर निर्माण के लिए डोनेशन अभियान का आगाज किया गया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस अभियान की शुरुआत की। ट्रस्ट ने इस अभियान से करीब 3500 करोड़ रुपये का फंड जुटाया।
1 जून 2022: यूपी के सीएम आदित्यनाथ ने मंदिर के गर्भगृह की आधारशिला रखी।
25 अक्टूबर 2023: पीएम नरेंद्र मोदी ने 22 जनवरी 2024 को होने वाले राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर मौजूदगी को लेकर सहमति दी।
22 जनवरी 2024: प्राण प्रतिष्ठा समारोह का आयोजन होगा।
27 जनवरी 2024: आम लोगों के लिए मंदिर को खोला जा सकता है।
दिसंबर 2024: मंदिर निर्माण के दूसरे चरण का निर्माण कार्य पूरा कराया जाएगा।
दिसंबर 2025: राम मंदिर निर्माण के तीसरे और फाइनल चरण का निर्माण कार्य पूरा होगा। इसमें सात अन्य मंदिर जिसमें सूर्य, शंकर, गणपति और भगवती मंदिर का निर्माण कार्य पूरा कराया जाएगा। परकोटे का निर्माण कार्य पूरा कराया जाएगा।