बिलासपुर। रेलवे स्टेशन में फुट ओवर ब्रिज का निर्माण अधूरा होने के कारण पटरियों के बीच से स्कूली बच्चों के आवागमन को हाईकोर्ट ने संज्ञान में लिया है। अखबार में प्रकाशित समाचार को जनहित याचिका के रूप में स्वीकार करते हुए चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने रेलवे को 48 घंटे में जवाब देने कहा है। मामले में अगली सुनवाई 24 नवंबर को निर्धारित की गई है।
दरअसल खतरनाक तरीके से पटरी पार करते हुए बच्चों की फोटो और न्यूज आज मीडिया में आई थी। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने इसे देखकर गंभीरता से लेते हुए स्वयं संज्ञान लिया और मामले को जनहित याचिका के रूप में स्वीकार कर इसपर आज ही सुनवाई की। रेलवे की ओर से केंद्र सरकार के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल रमाकांत मिश्रा उपस्थित हुए।
क्या कर रहे अधिकारी?
चीफ जस्टिस ने पूछा कि, रेलवे ऑफिसर्स क्या कर रहे हैं? उन्हें यह पता नहीं है कि, कौन सा काम अधिक जरूरी है। इस तरह से हजारों बच्चों की जिंदगियों को रेल पटरी के भरोसे पर छोडऩा बेहद शर्मनाक है। हाईकोर्ट ने केंद्र शासन और रेलवे से साफ कहा कि,आप इस एफओबी का क्या करेंगे और कैसे पूरा करेंगे, इस सबकी पूरी विस्तृत जानकारी 48 घंटे के भीतर कोर्ट में प्रस्तुत करें।
बता दें कि रेलवे स्टेशन के दूसरी ओर ढाई लाख से अधिक लोग रहते हैं। लाखों लोगों को स्टेशन के इस तरफ आने-जाने के लिए बनाया गया पुराना फुट ओवर ब्रिज (एफओबी) सालों पहले टूट चुका है। रेलवे ने नया एफओबी बनाने का काम शुरू किया। लेकिन 4 साल बाद भी इसका निर्माण पूरा नहीं हो पाया। इस कारण बच्चों को स्कूल जाने के लिए जान जोखिम में डालना पड़ रहा है। कई बार ट्रेन खड़ी रहने पर डिब्बों के नीचे से भी बच्चे निकलने को मजबूर होते हैं। इस जगह पर मालगाडिय़ां आए दिन काफी देर खड़ी रहती है।