रायपुर। भारत के चंद्रयान-3 मिशन ने चंद्रमा के कई रहस्यों से पर्दा उठाने के साथ ही वहां आक्सीजन भी खोजी। इस मिशन की सफलता के कुछ ही दिनों बाद सूर्य की कुंडली खंगालने आदित्य एल1 (Aditya L1) को भेजा गया है। भारत का पहला सूर्य मिशन आदित्य एल1 15 लाख किलोमीटर के सफर पर आगे बढ़ रहा है। चंद्रमा और सूर्य के बाद अब समुद्र की गहराई में छिपे रहस्यों को जानने की बारी है। इसके लिए भारत समुद्रयान मिशन की तैयारी कर रहा है।
500 मीटर की गहराई पर शुरू होगा ट्रायल
Matsya 6000 को नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी (NIOT) के वैज्ञानिक डिवेलप कर रहे हैं। टाइटन हादसे के बाद उन्होंने मत्स्य 6000 के डिजाइन, मैटीरियल्स, टेस्टिंग, सर्टिफिकेशन और स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर्स की समीक्षा की है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम रविचंद्रन ने हमारे सहयोगी द टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, ‘समुद्रयान मिशन गहरे महासागर मिशन के हिस्से के रूप में चल रहा है। हम 2024 की पहली तिमाही में 500 मीटर की गहराई पर समुद्री परीक्षण करेंगे। निकल, कोबाल्ट, मैंगनीज, हाइड्रोथर्मल सल्फाइड और गैस हाइड्रेट्स की तलाश के अलावा, मत्स्य 6000 हाइड्रोथर्मल वेंट और समुद्र में कम तापमान वाले मीथेन रिसने में कीमोसिंथेटिक जैव विविधता की जांच करेगा।
मत्स्य 6000 का वजन 25 टन है। इसकी लंबाई 9 मीटर और चौड़ाई 4 मीटर है। NIOT के निदेशक जी ए रामदास ने कहा कि मत्स्य 6000 के लिए 2.1 मीटर व्यास का गोला डिजाइन और विकसित किया है जो तीन लोगों को लेकर जाएगा। गोला 6,000 मीटर की गहराई पर 600 बार दबाव (समुद्र तल पर दबाव से 600 गुना अधिक) का सामना करने के लिए 80 मिमी मोटी टाइटेनियम मिश्र धातु से बना होगा।
वीकल को लगातार 12 से 16 घंटे तक ऑपरेट करने के लिए डिजाइन किया गया है, लेकिन ऑक्सीजन की सप्लाई 96 घंटे तक उपलब्ध रहेगी।
कब तक शुरू होगा मिशन समुद्रयान
समुद्रयान मिशन के 2026 तक शुरू होने की उम्मीद है। अब तक केवल अमेरिका, रूस, जापान, फ्रांस और चीन ने ही इंसानों को ले जाने वाली सबमर्सिबल विकसित की हैं।