रायपुर। देशभर में बुधवार को भगवान कृष्ण की जन्माष्टमी बड़े ही धूमधाम से मनाई जाएगी. शहर में प्रभु के आगमन को लेकर तरह तरह की झांकिया भी सजाई जा रही है. श्री कृष्ण जन्माष्टमी की तैयारी जोरो पर है. मगर आज हम आपको बताने जा रहे उस खीरे के विषय में जिसका श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर सबसे ज्यादा महत्व है या यूं कहे कि बिना उसके कृष्ण जन्माष्टमी अधूरी है.
कृष्ण जन्माष्टमी के दिन डंठल वाले खीरे का इस्तेमाल होता है।
जानकारों की मानें तो इस खीरे को लोग जन्मत बच्चे के रूप में करते हैं. मतलब जैसे जब बच्चा मां के गर्भ से बाहर आता है तो उसके नाभि से एक नाड़ा जुड़ा रहता है, जिसे डॉक्टर बड़े ही सावधानी पूर्वक काटता है. ठीक उसी तरह कृष्ण जन्माष्टमी के दिन लोग डंठल वाले खीरे को रात 12 बजे प्रभु कृष्ण के जन्म के समय इस खीरे की डंठल को काटकर खीरे से अलग कर देते हैं और भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव मनाते हैं.
शुभ मुहूर्त
इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त 6 सितंबर को रात 11:57 बजे से मध्य रात्रि 12:42 बजे तक मनाया जाएगा.
जन्माष्टमी पूजा में खीरे का महत्व
जन्माष्टमी पर बाल गोपल को खीरे का भोग जरूर लगाया जाता है. मान्यता है कि खीरे से भगवान श्रीकृष्ण बहुत प्रसन्न होते हैं. खीरा चढ़ाने से नंदलाल भक्तों के सारे कष्ट हर लेते हैं. पूजा के बाद इस खीरे को कई जगह प्रसाद के तौर पर बांटा जाता है.
कैसे करें भगवान श्री कृष्ण की खीरे संग पूजा
पूजा में शामिल करने से पहले खीरे को अच्छी तरह से धो लें. इसके बाद उस खीरे को पूजा के दौरान कृष्ण जी के पास रखें और रात के 12 बजते ही खीरे के डंठल को किसी भी सिक्के से काटें. इसके बाद 3 बार शंख जरूर बजाएं.