छत्तीसगढ़। 10वीं के नतीजे जारी हो गया है। इस साल प्रदेश में करीब 75 फीसदी छात्रों ने 10वीं बोर्ड की परीक्षा पास की है। माध्यमिक शिक्षा मंडल के आंकड़ों के मुताबिक 2 लाख 47 हजार 721 स्टूडेंट्स सफल हुए हैं, पास होने वालों में टॉपर्स के संघर्ष की कहानी तो आपने पढ़ी और सुनी होगी लेकिन अबूझमाड़ में रहने वाली फूलबती (बदला हुआ नाम) की कहानी इन सबसे थोड़ी अलग है।
फूलबती ने इस साल 10वीं की परीक्षा 54.5 फीसदी अंकों से पास की है। भले ही नतीजों में फूलबती सेकेंड डिवीजन में पास हुई, लेकिन इसके पीछे उसकी कड़ी मेहनत और लाल आतंक से जुड़ी कहानी भी है। दरअसल माता-पिता दोनों ही नक्सली हैं। राजधानी रायपुर से करीब 300 किलोमीटर दूर अबूझमाड़ का इलाका नक्सलियों का गढ़ माना जाता है। फूलबती इसी इलाके में सक्रिय दंपति नक्सली सोनवा राम सलाम और आरती की बेटी है।
फूलबती ने अपने माता-पिता के बारे में बात करने से ही इनकार कर दिया। लेकिन इतना जरूर बताया कि उसका एक छोटा भाई भी है जो इस वक्त 9वीं की पढ़ाई कर रहा है।
मां-बाप के नक्सली होने की बात फूलबती जानती है, लेकिन इसे बारे में कभी भी खुलकर कुछ नहींं कहती। लेकिन लाल आतंक का दामन थामने की जगह, फूलबती का सपना डॉक्टर बनकर लोगों की सेवा करने का है। फूलबती ने बताया कि उनसे 18 साल की उम्र में 10वीं की परीक्षा पास की है। उसने पहली से पांचवीं कक्षा तक कुतुल गांव (नारायणपुर) के रामकृष्ण मिशन विवेकानंद विद्या मंदिर में पढ़ाई की। और बाद में 6वीं से 8वीं तक नारायणपुर शहर के रामकृष्ण मिशन विवेकानंद विद्यापीठ में पढ़ाई की।
जाति और निवासी प्रमाण पत्र की वजह से छूट गई थी पढ़ाई
फूलबती ने बताया कि 8वीं पढ़ने के बाद उनसे पढ़ाई छोड़ दी थी। क्योंकि जिस जगह पर वो पढ़ रही थी वहां आदिवासी बच्चों को शिक्षा दी जाती है। और आदिवासी होने का कोई प्रमाण पत्र फूलबती के पास नहीं था। क्योंकि फूलबती के मां-बाप नक्सल संगठन से जुड़े हैं। इसलिए उसके पास इस तरह के कोई डॉक्यूमेंट नहीं थे। ऐसे में उसने पढ़ाई छोड़ दी। और अपने गांव एनमेटा चली गई। यहां हाईस्कूल नहीं होने की वजह से फूलबती सरकारी स्कूल में भी दाखिला नहीं ले पाई।
दो साल बाद जब फिर से पढ़ने का मन किया तब नारायणपुर के भुरवाल गांव में अपनी चचेरी बहन के घर गई। और पास के भाटपाल गांव के एक सरकारी स्कूल में आगे की पढ़ाई शुरू की। उसने बताया कि उसका स्कूल दो किलोमीटर दूर है। और वो पैदल स्कूल जाती है। फूलबती का कहना है कि मुझे इस बात की खुशी है कि मैंने 10वीं की परीक्षा पास कर ली है। मैं डॉक्टर बनना चाहती हूं और अपने गांव के लोगों की सेवा करना चाहती हूं।
हालांकि प्रमाण पत्रों से जुड़ी दिक्कतें अब भी है। जाति प्रमाण पत्र नहीं मिलने के कारण फूलबती को माड़िया जनजाति के रूप में मान्यता नहीं मिल पा रही है। दस्तावेजों की कमी के कारण उसे आगे की पढ़ाई में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। फूलबती ने बताया कि ये सारे दस्तावेज उसे सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने में मदद करेंगे। जिससे उसे अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखने और डॉक्टर बनने के सपने को पूरा करने में मदद मिलेगी।
ईनामी नक्सलियों की बेटी है फूलबती
फूलबती के पिता के साथ काम कर चुके एक आत्मसमर्पित नक्सली से मिली जानकारी के मुताबिक फूलबती के पिता अबूझमाड़ के आकाबेड़ा और कुतुल एरिया कमेटी कमांडर के रूप में सक्रिय है। सोनवा राम सलाम उर्फ डोसेल पर 8 लाख रुपए का इनाम घोषित था। वह एसएलआर हथियार लेकर चलता है।
उसकी पत्नी आरती नक्सली सदस्य के रूप में 2006 से संगठन से जुड़ी हुई है। वह 303 लेकर चलती है। नक्सली संगठन में फेरबदल होने के बाद इन्हें कृषि शाखा का प्रभार दिया गया है। आरती पर 4 लाख रुपए का इनाम घोषित है। आकाबेड़ा, बसिंग,कुरुषनार और कुकड़ाझोर थाना और कैंप में हमला करने की घटना में शामिल रहा है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार डोसेल नक्सली संगठन में क्यूआरटी का लीडर भी रहा है। बाकुलवाही में पुलिस नक्सली मुठभेड़ के दौरान डोसेल की टीम पुलिस के एंबुश में फंसे चार नक्सलियों को छुड़ाकर जा चुकी है।
आत्मसमर्पित नक्सली ने बताया कि छात्रा का जन्म साल 2005 में हुआ था और बाद में उसके माता-पिता ने ही उसे कुतुल के रामकृष्ण मिशन स्कूल में भर्ती कराया। क्योंकि दोनों एक ही क्षेत्र में सक्रिय थे। उन्होंने सोचा कि उनकी बेटी वहां उनकी निगरानी में होगी।
यहां के अधिकारियों ने कहा कि घने जंगल और से घिरे अबूझमाड़ को नक्सली नेताओं का ठिकाना माना जाता है। इस इलाके में आत्मसमर्पित नक्सलियों के लिए प्रशिक्षण शिविर चलाया जाता है। यहां बीते कुछ सालों में बदलाव देखने को मिल रहा है।
कलेक्टर ने कहा छात्रा की मदद की जाएगी
नारायणपुर जिले के कलेक्टर अजीत वसंत ने बताया कि उन्हें छात्रा फूलबती के बारे में जानकारी मिली है। उन्होंने स्थानीय अधिकारियों को उसकी मदद करने का निर्देश दिया है। अबूझमाड़ क्षेत्र में कुछ दस्तावेजों की कमी के कारण, स्थानीय ग्राम सभा के प्रस्ताव के आधार पर लोगों को जाति और मूल निवास प्रमाण पत्र जारी किए जाते हैं। उन्होने SDM को छात्रा के मामले में ग्राम सभा से प्रस्ताव प्राप्त करने का निर्देश दिया है। जिससे उसे प्रमाण पत्र जारी किए जा सके।
छात्रा को सहायता देने के बारे में पूछे जाने पर वसंत ने कहा, छात्रा को विशेष रूप से संरक्षित जनजातियों के लोगों को दी जाने वाली शिक्षा से संबंधित सभी सरकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा। इसके साथ ही यदि उसे और मदद की जरूरत होगी तो उसे मुहैया कराई जाएगी।