माता-पिता के आयुष्मान कार्ड से अब बच्चों का भी हो सकेगा मुफ्त में इलाज

माता-पिता के आयुष्मान कार्ड से अब बच्चों का भी हो सकेगा मुफ्त में इलाज

बिलासपुर। “छत्तीसगढ़ में माता-पिता के आयुष्मान कार्ड से बच्चों को फ्री इलाज देने के निर्देश जारी कर दिए हैं। कोई भी अस्पताल ऐसा करने से मना नहीं कर सकता, इसके भी स्पष्ट आदेश हैं।” आइये जानते है कैसे होगा बच्चो का आयुष्मान कार्ड से इलाज।

छत्तीसगढ़ में आयुष्मान कार्ड से मुफ्त इलाज के लिए राज्य के उन 22 लाख बच्चों के लिए अब इलाज में कोई परेशानी नहीं आएगी, जिनका विभिन्न तकनीकी कारणों से आयुषमान नहीं बना या अपडेट नहीं हुआ। अगर उनके माता-पिता के पास आयुष्मान कार्ड है, तो इसी आधार पर बच्चों को राज्य के किसी भी अस्पताल में इलाज मिलेगा।

दरअसल एक आदेश जारी कर राज्य शासन ने आधार कार्ड में बच्चों के बायोमैट्रिक्स की बंदिशें खत्म कर दी हैं। स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने बताया कि आयुष्मान से इलाज के लिए बच्चों को परेशान न होना पड़े, इसलिए यह निर्देश जारी हुआ है। दैनिक भास्कर ने आयुष्मान से बच्चों को इलाज नहीं मिलने का मुद्दा उठाया था। खबर में यह भी बताया गया था कि राज्य में 61 प्रतिशत लोगों का आयुष्मान कार्ड बन चुका है, 39 प्रतिशत लोगों का बचा है। इनमें 20 प्रतिशत बच्चे हैं, जिनके पास बायोमैट्रिक्स या मोबाइल जैसी सुविधाएं नहीं है।

आयुष्मान कार्ड बनने के लिए यह होना अनिवार्य है, उसी आधार पर सरकारी और निजी अस्पतालों में मुफ्त इलाज की सुविधाएं मिलने की बात तय हुई है। राष्ट्रीय प्राधिकरण नई दिल्ली के निर्देशानुसार राज्य के वंचित शेष शत प्रतिशत लोगों को अतिशीघ्र पंजीयन किया जाना जरूरी है।

पोर्टल ही सबसे बड़ी समस्या :

आयुष्मान के पंजीयन और मरीजों को इसका लाभ नहीं मिलने का एकमात्र कारण आयुष्मान पोर्टल का ठीक तरह से नहीं चलना है। इसके चलते एक तरफ जहां पंजीकृत मरीजों को सर्जरी और बड़े इलाज में भटकाव का सामना करना पड़ रहा तो दूसरी ओर पंजीयन को लेकर भी समस्याएं जारी हैं। शासन ने 5 फरवरी को खुद यह माना है कि गड़बड़ी की मूल जड़ यही है। उन्होंने पूरे जिले में आयुमान कार्ड के पंजीयन का आंकड़ा भी शेयर किया है।

जिसमें बताया गया कि राज्य के 33 जिलों की स्थितियां क्या हैं। आयुष्मान की राज्य नोडल एजेंसी ने सारे जिलों के स्थानीय नोडल एजेंसी और जिला प्रशासन के सहयोग से शेष लोगों के आयुष्मान पंजीयन के लिए च्वाइस सेंटर और अन्य ऑपरेटर के जरिए आधार कार्ड अपडेट करने के लिए शिविरों का आयोजन करने की बात कही है।

दिल्ली के निर्देश से परेशानी
प्राधिकरण के निर्देशों के मुताबिक आयुष्मान कार्ड के लिए आधार सत्यापन, ओटीपी, फिंगरप्रिंट बायोमेट्री, आइरिस स्केन एवं फेस स्केन में से कोई विकल्प उपयोग करते हुए पंजीयन किया जाना है। अधिकतर बच्चों का बायोमेट्रिक अपडेट नहीं होने और मोबाइल नंबर और लिंक नहीं होने के कारण आयुष्मान कार्ड का पंजीयन करना संभव नहीं हो पा रहा था। राज्य नोडल एजेंसी ने केंद्र को इस बारे में सूचित किया था। इसके बाद शासन ने बच्चों के लिए यह बंदिशें खत्म कीं।

बड़ों के लिए भी लगेंगे शिविर
आयुष्मान की राज्य नोडल एजेंसी ने सारे जिलों के स्थानीय नोडल एजेंसी और जिला प्रशासन के सहयोग से शेष लोगों के आयुष्मान पंजीयन के लिए च्वाइस सेंटर और अन्य ऑपरेटर के जरिए आधार कार्ड अपडेट करने के लिए शिविरों का आयोजन करने की बात कही है। इसमें जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को कार्ययोजना तैयार करने और यथासंभव आधार पंजीयन केंद्र का संचालन कर बचे लोगों का नाम जोड़ने की बात कही है।

… लेकिन राज्य में 1.62 करोड़ लोगों के पास कार्ड ही नहीं

छत्तीसगढ़ में अभी भी एक करोड़ 62 लाख लोगों के पास आयुष्मान कार्ड नहीं है। रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग-भिलाई सहित दूसरे जिलों में कहीं भी 60 प्रतिशत से ज्यादा काम नहीं बढ़ सका है। कांकेर में 7 लाख में सिर्फ पांच लोगों का आयुष्मान कार्ड बना है। बालौद और धमतरी में आठ लाख में छह लाख, राजनांदगांव में नौ में छह लाख, महासंमुद में 11 लाख में सात लाख, जशपुर में आठ में पांच लाख, रायपुर में 20 लाख में 13 लाख, जांजगीर में 10 लाख में छह लाख, दुर्ग में 16 में 10 लाख, सरगुजा में आठ में पांच, सूरजपुर में सात में पांच, रायपुर में 10 में छह लाख, जीपीएम में तीन में एक, दंतेवाड़ा में दो में एक, मनेंद्रगढ़ में तीन में एक, कोरबा में 11 लाख में छह लाख, कर्वधा में आठ में चार लाख, सुकमा में दो एक और कोंडागांव में पांच में दिन लाख लोगों को इस योजना का लाभ मिल रहा है।

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