छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के भेजरीपदर गांव में दो गुटों के बीच हुई हिंसक झड़प के तीन दिन बाद भी गांव में तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है। जब दैनिक भास्कर की टीम गांव पहुंची तो देखा सड़कें वीरान थी। कई घर खाली थे। चारों तरफ सिर्फ जवान ही तैनात थे।
गांव को पूरी तरह से छावनी के रूप में तब्दील कर दिया गया है। 6 DSP, 10 TI और करीब 400 से ज्यादा जवान तैनात किए गए हैं। करीब 3 किमी के दायरे को घेरकर रखा है। हालांकि, SDM, तहसीलदार से लेकर प्रशासन की पूरी टीम सिचुएशन को कंट्रोल करने में लगी हुई है ।
पढ़िए पूरी ग्राउंड रिपोर्ट….
जगदलपुर से करीब 30 किमी दूर स्थित है भेजरीपदर। गांव के अंदर प्रवेश करने से पहले ही कुछ पुलिस जवानों ने हमें रोक दिया। उन्होंने वजह बताई जब तक मामला शांत नहीं हो जाता तब तक किसी भी बाहरी व्यक्ति को गांव के अंदर प्रवेश न दिया जाए। हालांकि, हमने किसी तरह से अफसरों से बात कर अंदर प्रवेश किया। जब यहां पहुंचे तो देखा सड़कें वीरान थी। घर बंद थे। चारों तरफ पुलिस का सख्त पहरा था। स्कूल भवन के अंदर जवानों ने तंबू गाड़कर डेरा जमा रखा था। पास में ही एक दो महिलाएं हमें मिली, लेकिन उन्होंने बात करने से मना कर दिया।
कैमरे के सामने नहीं आया कोई
जब हम चर्च के नजदीक पहुंचे तो यहां पास में ही एक घर में करीब 20 से 25 ग्रामीण मौजूद थे। पूछने पर खुद को ईसाई समुदाय से बताया। बुजुर्ग महिला की मौत के बाद उसका क्रियाकर्म कर रहे थे। हमने ईसाई समाज के लोगों से बात करने की कोशिश की। लेकिन उन्होंने साफ शब्दों में कह दिया हमें कोई बात नहीं करनी है। साथ ही फोटो-वीडियो लेने से भी मना कर दिया।
वहीं हम ग्रामीणों से मुलाकात करने उनके घर गए। लेकिन हमें घर में कोई भी नहीं मिला। करीब 1 से 2 घंटे तक इंतजार करने के बाद एकाएक सैकड़ों ग्रामीणों की भीड़ जंगल की तरफ से आते हुए देवगुड़ी के पास पहुंची। भीड़ को देख पुलिस की टीम भी मुस्तैद हो गई।
ग्रामीणों का संदेश लेकर पहुंचे कोटवार
तनावपूर्ण माहौल को देख पुलिस ने आंसू गैस वाहन को भी मौके पर बुला रखा था। चर्च के पास अफसर बैठे थे। हमें भी ग्रामीणों की भीड़ के पास जाने से पुलिस अफसरों ने रोक दिया। हालांकि, न तो ग्रामीण आगे गांव की तरफ आ रहे थे और न ही पुलिस जवान भीड़ के नजदीक जाने की कोशिश कर रहे थे। इस बीच कोटवार पुलिस के पास ग्रामीणों का संदेश लेकर पहुंचे। उन्होंने का कहा कि, गांव वाले धर्मांतरित परिवार से बात करना चाहते हैं। लेकिन, वे मीडिया से बात नहीं करेंगे। इसलिए हमे भी वहां से जाने को कह दिया गया।
यह है ग्रामीणों की मांग
गांव के आदिवासियों की मांग है कि, जिस धर्मांतरित महिला के शव को गांव में दफनाया गया है उसे वापस निकाला जाए। या फिर महिला का पूरा परिवार मूल धर्म में लौट आए। अगर ऐसा होता है तो विरोध खत्म कर देंगे। हालांकि, दूसरे पक्ष के लोग बात मानने से इनकार कर रहे हैं। बुधवार की शाम तक यही स्थिति बनी हुई थी।
SDM बोले- शांत है माहौल
SDM ऋतु राज सिंह बिसेन ने कहा कि, गांव की आबादी करीब 1100 की है। दोनों समुदाय के लोगों की संख्या लगभग बराबर ही है। 20 मार्च से प्रशासन और पुलिस की टीम मौजूद हैं। जब तक माहौल पूरी तरह से शांत नहीं होता तब तक फोर्स यहीं रहेगी। एसडीएम ने कहा कि, दफनाए गए शव को वापस निकालने ग्रामीणों की तरफ से ज्ञापन मिला है। यह कोर्ट से संबंधित मामला है। इसलिए हमारी तरफ से इसपर कोई निर्णय नहीं लिया जा सकता है। इधर, एसडीओपी एश्वर्य चन्द्रा ने बताया कि, कुछ लोगों के खिलाफ मामला भी दर्ज किया गया है।
यह था पूरा मामला
बस्तर जिले के तोकापाल ब्लॉक के भेजरीपदर गांव में रहने वाले एक परिवार ने कुछ साल पहले अपने मूल धर्म को छोड़कर ईसाई धर्म अपना लिया था। अब जब इस परिवार की एक बुजुर्ग महिला की शनिवार को मौत हुई तो ग्रामीणों ने गांव में उसके शव को दफनाने नहीं दिया। इसे लेकर दोनों पक्षों के बीच विवाद बढ़ता गया। जिससे शव को परिजन घर पर ही रखे थे। इधर, अगले दिन इस मामले की जानकारी जिला प्रशासन के अफसरों और पुलिस को मिली। जिसके बाद सोमवार को कई अधिकारी और बस्तर जिले की ASP निवेदिता पॉल जवानों के साथ गांव पहुंची।
यहां दोनों पक्षों के बीच विवाद को शांत करवाया जा रहा था। लेकिन विवाद और बढ़ गया। गांव वालों ने प्रशासन की टीम को जाने के लिए कहा था । इधर मृत महिला के परिजनों ने शव को पुलिस को सौंप दिया था। जब पुलिस ने शव दफनाने की कोशिश की तो भीड़ उग्र हो गई। जवानों के साथ ही धक्का-मुक्की की। पथराव किए। इस तनातनी के माहौल में करीब 4 से 5 पुलिस जवानों को चोट आई है। जिसके बाद जिला मुख्यालय से अतिरिक्त बल को भी मौके के लिए बुलाया गया। देर शाम तक प्रशासन की टीम गांव वालों को समझाइश देने में लगी रही। फिर बाद में शव को दफनाने दिया गया।