राजधानी में मर्जी का डीजे और साउंड सिस्टम चलाया जा रहा है। बारात हो जुलूस निर्धारित मापदंड से दोगुने साउंड सिस्टम के साथ निकाले जा रहे हैं। प्रशासन ने 65 डेसिबल तक के साउंड सिस्टम की अनुमति दी है लेकिन 120 से ज्यादा डेसिबल तक का साउंड सिस्टम सड़कों में बजाया जा रहा है। परीक्षाएं करीब हैं, लेकिन बजाने वालों को न तो बच्चों की परीक्षा का ख्याल रहता है न अस्पताल के सामने से गुजरते हुए मरीजों की स्थिति का ध्यान।
जबकि 120 डेसिबल या इससे ज्यादा का साउंड सिस्टम हार्ट के मरीजों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इसके बावजूद किसी को फिक्र नहीं है। पुलिस के पास कार्रवाई के अधिकार के साथ ही साउंड सिस्टम के डेसिबल मापने की मशीन भी है लेकिन इसका सिस्टम नहीं बनाया गया है। इस वजह से कार्रवाई नहीं की जा रही और साउंड सिस्टम मापने की मशीनें थानों में धूल खाती पड़ी हैं।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने साउंड सिस्टम की आवाज को लेकर सख्त आदेश दिया है। कोर्ट के आदेशानुसार ही 65 डेसिबल से ज्यादा के साउंड सिस्टम का उपयोग बैन है। बहुत धीमी आवाज में इसे बजाना है, लेकिन कहीं भी आदेश का पालन नहीं हो रहा है। यही वजह है कि रायपुर की संस्था ने कोर्ट में आदेश की अवहेलना की याचिका लगाई है। इसमें प्रशासन को पार्टी बनाया गया है। हालांकि प्रशासन और पुलिस की जांच के लिए पांच टीम बनाई गई है, जिन्हें इसकी जांच करना हैं। अभी तक कहीं भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
94791-91234 पर करें कॉल
कलेक्टर ने आदेश जारी किया है कि प्रशासन की बिना अनुमति के लाउडस्पीकर का उपयोग करने पर सीधे एफआईआर कराई जाएगी। उन्होंने बिना अनुमति के लाउडस्पीकर के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है। जिन लोगों को अनुमति दी जा रही उन्हें सुप्रीम कोर्ट और पर्यावरण मंडल के शर्तों के आधार पर अनुमति दी जा रही है। लाउड स्पीकर का उपयोग होने पर डायल-112 और 94791-91234 पर शिकायत करें।
डीजे 120 और हार्न 60 डेसिबल
डीजे 110 से लेकर 120 डेसिबल तक का होता है। जबकि उसमें साउंड कंट्रोल लगाना होता है, लेकिन बॉक्स कम करना चाहिए। वहीं गाड़ियों का हॉर्न भी 60 डेसिबल से ज्यादा होता है, जो निर्धारित पैमाने से ज्यादा है। नई गाड़ियों में भी सायलेंसर की आवाज ज्यादा है। डीजे वाले क्षेत्र का पालन नहीं करते हैं। क्योंकि आवासी, औद्योगिक और शांत क्षेत्र (स्कूल, अस्पताल, आश्रम) के अनुसार पैमाना तय किया गया हैं।
आदेश की खुलेआम अवहेलना
छत्तीसगढ़ नागरिक संघर्ष समिति डॉ. राकेश गुप्ता ने बताया कि कोर्ट के आदेश का खुलेआम अवहेलना की जा रही है। कहीं भी पैमाने से कम साउंड सिस्टम का उपयोग नहीं किया जा रहा है। इसलिए कोर्ट में याचिका लगाई गई है। इसे लेकर बुधवार को कलेक्टर-एसएसपी से चर्चा भी की गई है। उन्हें सख्त कदम उठाने के लिए कहा गया हैं। डॉ. गुप्ता ने बताया कि उनकी समिति 5 फोन नंबर जारी करने वाली हैं।
दिल की बीमारी के लिए घातक
कार्डियोलॉजी एक्सपर्ट डा. स्मित श्रीवास्तव ने बताया कि हार्ट के मरीजों के लिए लगातार तेज आवाज खतरनाक हो सकती है। तेज ध्वनि से चिड़चिड़ापन आता है। ब्लडप्रेशर बढ़ने के साथ तनाव होने लगता है। सुनने की क्षमता में कमी आती है। नींद में गड़बड़ी और अन्य हानिकारक प्रभाव शरीर में पैदा होने लगते हैं। दिल की बीमारी से पीड़ित व्यक्ति के लिए तेज आवाज घातक है। धड़कन बढ़ जाती है। दिल का दौरा पड़ सकता है।
डीजे के साउंड से वाइब्रेशन
एनआईटी सिविल डिपार्टमेंट प्रोफेसर डॉ समीर बाजपाई के अनुसार बिल्डिंग में क्षति के लिए उसकी फ्रिक्वेंसी भी वैसी ही हाई होनी चाहिए। उदाहरण के तौर पर जवान जब कदम ताल करते हुए ब्रिज पर जाते है, तो एक साथ कदम ताल होने से रेजोनेंस पैदा कर सकता है। इससे ब्रिज टूट सकता है। वैसे ही बिल्डिंग की भी एक फ्रिक्वेंसी होती है और उसमें कोई बड़ा रेजोनेंस पैदा हो ताे बिल्डिंग भी क्षतिग्रस्त हो सकती है।
थाने में मशीनें खा रही धूल
रायपुर पुलिस को साउंड मापने के लिए 2017 में 11 ध्वनि मापक यंत्र दिया है। 2019 में 21 मशीन दी गई है। सभी थानों को एक-एक मशीन बांटी गई है। ट्रैफिक अमले को भी मशीन दी गई है, जो थानों में धूल खा रही है। कोई भी पुलिस वाला इसका उपयोग नहीं कर रहा है। कई थानों की मशीन खराब हो गई है। ज्यादातर थानों में अनुमान पर कार्रवाई की जा रही है। कहीं भी साउंड को मापा नहीं जा रहा है।
शहर में जांच के लिए पांच टीम
टीम-1 में एसडीएम देवेंद्र पटेल के साथ गोलबाजार टीआई। टीम-2 में एसडीएम निधि साहू के थाना प्रभारी मौदहापारा, गंज, राजेंद्र नगर, महिला थाना। टीम-3 में डॉ. दीप्ति वर्मा के साथ टीआई पुरानी बस्ती, टिकरापारा, डीडी नगर, तेलीबांधा, सरस्वती नगर, आजाद चौक, कबीर नगर, आमानाका। टीम-4 में रुचि शर्मा, टीआई कोतवाली, सिविल लाइन, पंडरी, देवेंद्र नगर, खम्हारडीह और टीम-5 में जगन्नाथ वर्मा, टीआई खमतराई, माना।