बागेश्वर धाम के कथावाचक पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने नागपुर की समिति की चुनौती को स्वीकार कर लिया है। उन्होंने समिति के 30 लाख रुपए के ऑफर को भी ठुकरा दिया है। उन्होंने कहा कि वे फ्री में ही उनके सभी सवालों के जवाब देंगे। बस इसके लिए समिति के सदस्यों को रायपुर में 20 और 21 जनवरी को होने वाले दरबार में पहुंचना होगा। उनके आने-जाने का खर्च भी धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने देने को कहा है। हालांकि समिति के प्रो. श्याम मानव ने रायपुर आने से इनकार कर दिया है।
सबसे पहले जान लीजिए क्या है पूरा मामला
हाल ही में पंडित धीरेंद्र शास्त्री नागपुर गए थे, जहां उन्होंने अपना दिव्य दरबार लगाया था। इसे लेकर अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति के संस्थापक और नागपुर की जादू-टोना विरोधी नियम जनजागृति प्रचार-प्रसार समिति के सह-अध्यक्ष श्याम मानव ने पुलिस को शिकायत की थी। मीडिया से चर्चा में उन्होंने कहा- नागपुर में पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की कथा 5 से 13 जनवरी होनी थी। आमंत्रण पत्र और पोस्टर में भी 13 जनवरी तक कथा का जिक्र था। कथा पूरी करने के दो दिन पहले ही वे नागपुर से चले गए। श्याम मानव ने धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के दरबार को डर का दरबार बताया और कार्रवाई की मांग की। उन्होंने बताया कि दिव्य दरबार में धीरेंद्र शास्त्री भक्तों के नाम और नंबर से लेकर कई चीजें बताने का दावा करते हैं। हमने उनके ऐसे वीडियो देखे थे। हमने उन्हें ऐसे दावों को सिद्ध करने को कहा था।
अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति के संस्थापक और नागपुर की जादू-टोना विरोधी नियम जनजागृति प्रचार-प्रसार समिति के सह अध्यक्ष श्याम मानव ने बागेश्वर सरकार को चुनौती दी है।
समिति ने दी थी कौन सी चुनौती?
समिति अपने 10 लोगों को धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के सामने लेकर जाती। उन्हें अपने अंतर ज्ञान से उनके बारे में बताना था। इसमें उनका नाम, नंबर, उम्र और उनके पिता का नाम बताना था। इसके अलावा पास के कमरे में 10 चीजें रखते, उन 10 चीजों को उन्हें पहचानना था। इसे दो बार रिपीट करते। यदि वे 90 प्रतिशत रिजल्ट भी दे देते, तो समिति उन्हें 30 लाख रुपए का इनाम देती। हालांकि इसके लिए उन्हें 3 लाख रुपए डिपॉजिट करना होता। श्याम मानव के मुताबिक उन्होंने चुनौती नहीं स्वीकारी और पहले ही नागपुर से रवाना हो गए।
चैलेंज पर क्या बोले थे धीरेंद्र शास्त्री?
पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री की कथा रायपुर में चल रही है। यहां उन्होंने कहा कि आप दुनिया के चक्कर में मत पड़िए। भूत-पिशाच निकट नहीं आवे… क्या यह गलत है। क्या यह अंध श्रद्धा है। क्या यह अंध विश्वास है। हमने महाराष्ट्र में किसी भी प्रकार से कानून का उल्लंघन नहीं किया है। ना ही कभी करेंगे। यदि वे कहते भगवान होते हैं या नहीं, हमें अनुभव करना है… बागेश्वर बालाजी का दो दिन का दरबार लगा। आप नहीं आए। 7 दिन का दरबार लगा, आप नहीं आए। हमें टाइम रहेगा हम फिर आएंगे, लेकिन रायपुर में 20 और 21 तारीख को पुन: दरबार है। आने का किराया हम देंगे, आपकी चुनौती हमें स्वीकार है। वेलकम टू रायपुर।
रायपुर में धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर श्याम मानव की चुनौती स्वीकार करते हुए कहा कि हमने महाराष्ट्र में किसी कानून का उल्लंघन नहीं किया है।
उन्होंने कहा- जो हमें प्रेरणा लगेगी हम बताएंगे, हमें अपने इष्ट पर भरोसा है। यह न्यूज बंद कर दीजिए कि हम कथा छोड़कर भागे थे। हमारी कथा तो 7 दिन की थी। 3 तारीख काे हम पहले ही यह स्पष्ट कर चुके थे, हम 7 दिन की कथा करेंगे। सभी कथाओं में हमने दो दो दिन कम किए हैं। इसके बाद भी बच्चों ने 9 दिन का नोट करवा दिया। हमने आयोजक के घर खबर भेजी, कथा 7 दिन ही होगी। दो दिन कथा नहीं हुई तो वहां के कोई कथाकथित रावण के खानदान के… वे बोले- लो बागेश्वर सरकार कथा पंडाल छोड़कर भाग गए, जैसे हमने उनके बाप के मुडा छुड़ा लिया हो। पूछा क्यों भाग गए तो उन्होंने न्यूज में कहा- दरबार के लिए हमने 30 लाख रुपए बोले। हमारा बताएं तो हम 30 लाख देंगे। हम तो उन्हें फ्री में बता देंगे। रायपुर में दरबार है, यहां आ जाओ। किराया खर्चा हमसे ले लेना… तुम्हारी ठठरी हम बांध देंगे।
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा- श्याम मानव जी को अनुभव करना है तो रायपुर में आइए। आगे दरबार बागेश्वर धाम में लगेगा, वहां आइए। भारत देश में चादर चढ़ना श्रद्धा है, लेकिन बालाजी का नाम बताना या उनके नाम से जोड़ना अंध श्रद्धा है। यहां कैंडल जलाना श्रद्धा है, लेकिन कोई बीमार, परेशान व्यक्ति को हनुमान जी के नाम से जोड़ा जाए, वो अंध श्रद्धा। इतना खोखलापन आप लाते कहां से हैं। हमने यह तो नहीं कहा हम ईश्वर हैं, हमारे पास चमत्कार है, हम यह भी नहीं कहते हैं। हम तो सिर्फ साधक हैं। गुरु कृपा को ध्यान करके जो प्रेरणा मिलती है वह बता देते हैं।
हमारा खुला दरबार है। आपको आना चाहिए। दरबार में अनुभव करेंगे, देखेंगे आपको समझ आ जाएगा। इसके बाद आप किसी भी दरबार के लिए नहीं कहेंगे। यह साजिश बहुत चल रही हैं। एक बागेश्वर सरकार को गिराने के लिए कितने लोग लगे हैं। अब हम इस विषय में कोई बात नहीं करेंगे। लोग बोलते रहेंगे, हम अपना काम करते रहेंगे। हम एक मानव हैं, लेकिन सच्चे सनातनी हैं। अपने धर्म में मरना ठीक है। दूसरे धर्म के बारे में विचार करने से।