हौसला, हिम्मत और हुनर हो तो शारीरिक अक्षमता आगे बढ़ने में कहीं बाधक नहीं बनती। यह साबित किया है जशपुर जिले के दिव्यांग नौ-जवानों ने। अपने हुनर से इन दिव्यांगों ने न सिर्फ अपनी शारीरिक कमी को पीछे छोड़ा बल्कि समाज मंें अपना सम्मानजनक स्थान भी बनाया है। ये दिव्यांग एलईडी बल्ब बनाने के साथ आकर्षक बैग और सजावटी समान भी तैयार कर रहे हैं।
दिव्यांगों को आत्मनिर्भर बनाने और रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए राज्य सरकार द्वारा जिला कौशल विकास प्राधिकरण के माध्यम से उन्हें निःशुल्क प्रशिक्षण प्रदान कर उन्हें विभिन्न कलाओं में निपुण किया जा रहा है। जिससे वे विभिन्न उत्पादों का निर्माण कर आय अर्जित कर रहे हैं। दिव्यांग हितग्राहियों द्वारा मोतियों का आकर्षक बैग, ब्रेसलेट एवं घर के लिए आवश्यक साज-सज्जा के सामान तैयार किए जा रहे हैं। दिव्यांग समूह द्वारा पहले एलईडी बल्ब, इमरजेंसी लाइट, साउंड बॉक्स, टी बल्ब निर्माण का प्रशिक्षण लेकर निर्माण शुरू किया गया। जिसके विक्रय से उन्हें अच्छी आमदनी हुई। इस साल के शुरूआत तक उन्होंने डेढ़ लाख रूपए तक का लाभ इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की बिक्री से प्राप्त किया था। अब उनकी आमदनी को और अधिक बढ़ाने के उद्देश्य से इन्हें अन्य उत्पाद तैयार करने हेतु प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। डिसेबल्ड समूह में कुल 10 सदस्य है। इनके दो सदस्यों राजेश लकड़ा एवं कुलदीप मिंज को दुर्ग में आकर्षक बैग एवं घरेलू सजावटी उत्पाद का निःशुल्क प्रशिक्षण उपलब्ध कराया गया है।
कौशल विकास प्राधिकरण के अधिकारी ने बताया कि प्रशिक्षित दिव्यांग हितग्राहियों द्वारा डिसेबल्ड समूह के अन्य सदस्यों को प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। जिससे सभी निपुण होकर अधिक मात्रा में आकर्षक बैंग, ब्रेसलेट आदि का निर्माण कर सकेंगे। इसके विक्रय से दिव्यांगजन की आमदनी में वृद्धि होगी और उनकी स्थिति में निश्चित रूप से सुधार आएगा। उन्होंने बताया कि आगामी क्रिसमस एवं नव वर्ष के अवसर पर दिव्यांगों द्वारा तैयार किए गए आकर्षक उत्पाद विक्रय के लिए उपलब्ध होंगे।