मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश में अपराधों पर पुख्ता नियंत्रण के उद्देश्य से वर्ष 2008 से चिन्हित अपराध पर कार्रवाई की नियमित समीक्षा का कार्य शुरू हुआ है, जिसके अंतर्गत चिन्हित अपराधों की श्रेणी में शामिल अपराध में उल्लेखनीय कमी लाने के साथ ही इन अपराधों को अंजाम देने वाले अपराधियों को कठोरतम दंड देने का कार्य हो रहा है। चिन्हित अपराधों की श्रेणी इसलिए बनाई गई है, जिससे अपराधियों पर तुरंत कार्रवाई हो सके और उनमें भय का वातावरण व्याप्त हो।
मुख्यमंत्री चौहान ने चिन्हित अपराध योजना के संबंध में आज निवास सभा कक्ष में गृह विभाग का प्रेजेंटेशन देखा और समीक्षा के दौरान यह बात कही। मुख्यमंत्री चौहान को बैठक में चिन्हित अपराध योजना के अब तक के परिणाम, वर्तमान स्थिति, महत्वपूर्ण उपलब्धियों, विभिन्न जिलों की स्थिति और भविष्य की कार्य-योजना के संबंध में प्रेजेंटेशन से जानकारी प्रदान की गई।
समितियाँ करती हैं मासिक समीक्षा
प्रेजेंटेशन में बताया गया कि चिन्हित अपराधों की समीक्षा के लिए जिला, संभाग और राज्य स्तर पर समितियों का गठन किया गया है, जिसकी प्रत्येक माह समय-समय पर समीक्षा की जाती है। जिला स्तर पर कलेक्टर्स, पुलिस अधीक्षक, जिला अभियोजन अधिकारी/शासकीय अधिवक्ता, संभाग स्तर पर संभाग आयुक्त, पुलिस महानिरीक्षक और राज्य स्तर पर अपर मुख्य सचिव, गृह की अध्यक्षता में पुलिस महानिदेशक/अति. पुलिस महानिदेशक-अपराध अंवेषण और विवेचना एवं प्रमुख सचिव, अपर मुख्य सचिव/ विधि एवं विधायी कार्य विभाग और संचालक लोक अभियोजन की सदस्यता वाली समिति की बैठक की जाती है।
अव्वल पाँच जिले
मुख्यमंत्री चौहान को प्रेजेंटेशन के माध्यम से चिन्हित प्रकरणों और दोष सिद्ध प्रकरणों से भी अवगत कराया गया। बैठक में प्रेजेंटेशन से मुख्यमंत्री चौहान को वर्ष 2008 से वर्ष 2022 (30 सितंबर) तक प्रदेश में चिन्हित अपराधों के मामले में बेहतर प्रदर्शन करने वाले और सुधार की आवश्यकता वाले जिलों की स्थिति के बारे में भी अवगत कराया गया। बताया गया कि वर्ष 2020-22 में महिला संबंधित चिन्हित अपराधों में 2 मृत्यु दंड, 187 आजीवन कारावास, 137 अन्य कठोर कारावास से अपराधी दंडित किए गए है। चिन्हित पर कार्यवाही की दृष्टि से खरगोन, बालाघाट, खण्डवा, मण्डला और झाबुआ जिले अच्छे प्रदर्शन की श्रेणी में शामिल हैं।
इन्हें दिया गया है चिन्हित अपराध का दर्जा
हत्या के वीभत्स प्रकरण, सामूहिक हत्याकांड, हत्या के साथ डकैती, सामूहिक बलात्कार, आतंकवादी कृत्य, अपहरण के साथ हत्या, पुरातत्व महत्व की और धार्मिक मूर्तियों की चोरी, जिनसे जन-सामान्य की भावनाएँ जुड़ी हैं, बारह वर्ष से कम उम्र की बालिकाओं के साथ बलात्कार आदि की घटनाओं को चिन्हित अपराधों की श्रेणी में शामिल कर कठोरतम दंड देने की व्यवस्था की गई है। बैठक में अपर मुख्य सचिव गृह डॉ. राजेश राजौरा, पुलिस महानिदेशक सुधीर कुमार सक्सेना, ओएसडी, मुख्यमंत्री कार्यालय योगेश चौधरी और अन्य अधिकारी उपस्थित थे।