रायपुर । श्री राम के अस्तित्व को नकारने वाला हलफनामा कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में कब दिया था यह सवाल कांग्रेस ने आज भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साहू से किया है । कांग्रेस विधि विभाग की ओर से भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव को इसे लेकर कानूनी नोटिस भी भेजा गया है । जिसमे पूछा गया है की कांग्रेस पार्टी ने कब किस तारीख को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया था,जिसमे श्रीराम के अस्तित्व को नकारा है?कांग्रेस विधि विभाग द्वारा दी गई इस नोटिस की जानकारी आज संचार विभाग के द्वारा आयोजित एक पत्रकार वार्ता के दौरान दी गई।
कांग्रेस के विधि विभाग ने बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव को विधिक नोटिस भेजा है। नोटिस में अरुण साव को कहा गया है कि, उन्होंने जो आरोप राम और कृष्ण का ज़िक्र करते हुए कांग्रेस पार्टी पर लगाए हैं उसे प्रमाणित करने वाले तथ्य प्रस्तुत करें या फिर लिखित में माफ़ी माँगे या फिर धारा 195, 499, 500 के तहत FIR कांग्रेस का विधि सेल दर्ज कराएगा। इस नोटिस को लेकर कांग्रेस संचार विभाग ने दावा किया है कि, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव को यह नोटिस मिल चुका है।
वाइट सुशील आनंद शुक्ला प्रदेश अध्यक्ष मीडिया विभाग छत्तीसगढ़
यह रहा मामला
कांग्रेस के नोटिस में उल्लेखित है कि बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव के हवाले से बीते 20 अगस्त को समाचार पत्रों में व्यक्तव्य प्रकाशित हुआ था। जिसमें अरुण साव के हवाले से लिखा गया था“श्रीराम और श्रीकृष्ण निस्संदेह सबके हैं,लेकिन कांग्रेस के वे कभी नहीं हो सकते। मुख्यमंत्री को यह याद रखना चाहिए कि, उनकी पार्टी ने ऊपरी अदालत में बक़ायदा हलफनामा देकर श्रीराम को काल्पनिक बताया था। ये वही लोग हैं जिन्होंने श्रीराम सेतु को तोड़ने का खाका तैयार कर लिया था। जिन्होंने श्रीराम जन्मभूमि पर मस्जिद बनाने का वादा कर दिया था।”
कांग्रेस के विधि सेल ने इसी बयान को आधार बनाकर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव को नोटिस भेजा है। नोटिस में इसी बयान पर आधारित तीन सवाल के जवाब मय अभिलेख माँगे गए हैं। ये तीन प्रश्न हैं
“कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में कब किस समय वह हलफ़नामा दिया जिसमें भगवान राम को काल्पनिक बताया गया,कांग्रेस ने श्रीराम सेतु तोड़ने का खाका तैयार कब तथा किस समय किया था, कांग्रेस ने श्रीराम जन्मभूमि पर मस्जिद बनाने का वादा कब और किस समय किया”