रायपुर । एनएमडीसी, बचेली अपनी सीएसआर गतिविधियों के लिए देश भर में प्रसिद्ध है। बस्तर के सुदूर क्षेत्रों में रहने वाली आदिवसी छात्राओं को स्वास्थ्य के क्षेत्र में शिक्षित करने के उद्देश्य से अनेक योजनाएं संचालित की हैं जिसमें बालिका शिक्षा योजना एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
एनएमडीसी, बचेली बालिका शिक्षा योजना एक ऐसी पहल है जिसके अंतर्गत बस्तर क्षेत्र की गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाली 40 आदिवासी छात्राओं को भारत वर्ष में प्रसिद्ध अपोलो कॉलेज ऑफ़ नर्सिंग, हैदराबाद में नर्सिग कोर्स हेतु भेजा जाता है। पिछले 10 वर्षों में बालिका शिक्षा योजना अंतर्गत 400 से भी अधिक छात्राओं को अपोलो कॉलेज ऑफ़ नर्सिंग में पढाई हेतु हैदराबाद भेजा गया है तथा हर साल 40 छात्राओं को भेजा जाता है। अब तक जितनी भी छात्राएं पढ़ाई पूरी करके इस संस्थान से निकली हैं उनमें से लगभग सभी को बहुत अच्छी नौकरी प्राप्त हो चुकी है।
इस वर्ष 12वें बैच को बालिका शिक्षा योजना अंतर्गत पढ़ने हेतु हैदराबाद भेजा जायेगा। जिसके लिए दिनांक 23 जून 2022 तक बस्तर, दंतेवाड़ा, नारायणपुर, सुकमा, कोंडागाँव, बीजापुर जिलों से आवेदन आमंत्रित किये गये थे जिसमें 760 से अधिक छात्राएं प्रवेश परीक्षा हेतु दिनांक 31.07.2022 को प्रकाश विद्यालय, बचेली में उपस्थित हुईं।
दूरस्थ जिलों से आने वाली छात्राओं के लिए रहने व खाने की सुविधा मंगल भवन में उपलब्ध कराई गयी थी तथा परीक्षा के दौरान कोविड-19 के सारे नियमों का पालन भी किया गया था तथा मास्क वितरित भी किए गए थे। इन छात्राओं व उनके अभिभावकों के लिए दोपहर के भोजन की व्यवस्था बचेली स्थित अंबेडकर भवन में की गयी थी। शीध्र ही अपोलो एवं एनएमडीसी, बचेली द्वारा चयनित छात्राओं को विभिन्न माध्यमों से आगामी प्रक्रिया हेतु सूचित किया जायेगा।
तत्पश्चात चयनित छात्राओं का स्वास्थ्य परीक्षण भी किया जायेगा जिसके परिणाम के आधार पर जो छात्राएं स्वास्थ्य परीक्षण में स्वस्थ पाई जाऐंगी उनको नर्सिंग की पढ़ाई हेतु अपोलो कॉलेज ऑफ़ नर्सिंग में भेजा जाऐगा। यहाँ पर यह उल्लेखनीय है कि इन छात्राओं का संपूर्ण खर्च जैसे पढ़ाई किताबें, प्रेक्टिकल, यूनिफार्म, हॉस्पिटल एवं भोजन इत्यादि सुविधाओं का प्रबंध एनएमडीसी द्वारा किया जायेगा।
इस योजना का उद्देश्य आदिवासी छात्राओं को स्वास्थ्य के क्षेत्र में शिक्षित कर रोजगार के लिए तैयार करना है। यह सभी आदिवासी छात्राएं कोर्स के उपरांत वापस बस्तर आकर विभिन्न सरकारी तथा गैर सरकारी अस्पतालों में चयनित होकर अपनी सेवाएँ देती हैं । चूँकि उन्हें स्थानीय भाषा का ज्ञान होता है जिसकी वजह से स्थानीय आबादी/समुदाओं का ये छात्राएँ बेहतर उपचार कर पाती हैं।