विपक्ष ने सदन में उठाया, डीएमएफ अनियमितता का मामला, सीएम बोले- गलत हुआ तो होगी सख्त से सख्त कार्यवाही,छोड़ेंगे नही

विपक्ष ने सदन में उठाया, डीएमएफ अनियमितता का मामला, सीएम बोले- गलत हुआ तो होगी सख्त से सख्त कार्यवाही,छोड़ेंगे नही

रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा सत्र के दौरान बीजेपी विधायक सौरभ सिंह, विधायक नारायण चंदेल और विधायक शिवरतन शर्मा ने जांजगीर चाम्पा में डीएमएफ में हुए अनियमितता का मुद्दा उठाया. इस पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि कहीं भी ग़लत हुआ होगा तो अधिकारियों के ख़िलाफ़ सख़्त से सख़्त कार्रवाई की जाएगी, उन्हें छोड़ने का काम हम नहीं करेंगे.

सौरभ सिंह ने कहा कि आठ करोड़ की राशि का भुगतान सिंगल कोटेशन के आधार पर कर दिया गया. सप्लायर ने मशीनों की सप्लाई भी कर दी. केंद्र का नियम है कि जेम पोर्टल से ही ख़रीदी होगी, जबकि नियमों को दरकिनार कर दिया गया. नियम कहता है कि शासी समिति की सिफ़ारिश के बग़ैर ख़रीदी नहीं हो सकती. सौरभ सिंह ने कहा कि बग़ैर शासी परिषद की सिफ़ारिश के ख़रीदी की गई. 2018-19 के बाद अब तक आडिट भी नहीं किया गया है. तीन वित्तीय वर्ष में स्वीकृत कार्यों में अधिकांश पूर्ण नहीं हुए हैं. दो वित्तीय वर्ष में केवल प्रशिक्षण में ही 23 करोड़ रुपए खर्च किए गए. काग़ज़ों पर यह राशि खर्च कर दी गई है. रक़म की बंदरबाँट हुई है.

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि जांजगीर ज़िले में प्रतिवर्ष 100 करोड़ से अधिक राशि डीएमएफ से प्राप्त होती है. शासी परिषद के अनुमोदन से राशि खर्च की जाती है. 50 फ़ीसदी राशि खर्च करने की बात सही नहीं है. महज़ 28 फ़ीसदी राशि खर्च हुई है. कलेक्टर के तबादले के बाद 30 करोड़ रुपये की ख़रीदी किए जाने की बात सही नहीं है. केवल दस करोड़ रुपए की ख़रीदी के आदेश जारी किए गए.

बघेल ने कहा कि 21 करोड़ रुपए के काम को निरस्त किया गया है. शासी परिषद की बैठक में इन कामों का अनुमोदन किया जाएगा. 28 जून 2022 को बीज निगम को प्रदायगी आदेश जारी किया गया था. मिनी राइस मशीन समेत अन्य मशीन की उपलब्धता की वजह से मशीनों की सप्लाई हुई.

बघेल ने कहा कि पिछले वर्ष की ब्याज राशि से किसी भी तरह के काम का अनुमोदन नहीं किया गया है. पिछले तीन वित्तीय वर्ष में 1833 कार्यों की स्वीकृति हुई है जिसमें से 1200 से ज़्यादा कार्य हो चुके हैं. 600 से ज़्यादा कार्य प्रगति में हैं.

सौरभ सिंह ने कहा कि पुराने कलेक्टर के तबादले और नए कलेक्टर के आने के बीच 15 करोड़ रुपए के कार्यों की स्वीकृति की बात मुख्यमंत्री ने कही है. यह भी माना कि 21 करोड़ के काम निरस्त किए गए. क्या ये सही है कि कलेक्टर के तबादले के बाद इतनी राशि के काम स्वीकृत करके जाएगा? मुख्यमंत्री ने कहा जब तक कलेक्टर रिलिव नहीं हुआ है. वह पद पर है.

सौरभ सिंह ने कहा कि दस फ़ीसदी से ज़्यादा राशि कलेक्टर खर्च नहीं कर सकता. कलेक्टर ने बग़ैर शासी परिषद के तीस करोड़ की राशि स्वीकृत कर दी. क्या यह नियम विरुद्ध नहीं है?

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि 174 करोड़ रुपए में से 28 करोड़ रुपए के काम स्वीकृत हुए थे. यह दस फ़ीसदी से ज्यादा नहीं है. यदि दस फ़ीसदी से ज़्यादा है भी तो उसे कलेक्टर ने निरस्त कर दिया.

बीजेपी विधायक नारायण चंदेल ने पूछा कि डीएमएफ का ये मामला पूरे प्रदेश का है. कोरोना काल के वक़्त भी उस वक़्त के कलेक्टर ने डीएमएफ मद से वेंटिलेटर ख़रीद लिया था.

कांग्रेस विधायक देवेंद्र यादव और अरुण वोरा ने चंदेल के उठाए मुद्दों पर आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि पिछली सरकार में डीएमएफ की राशि से स्विमिंग पूल बनाए गए. लिफ़्ट भी लगवाए गए. नारायण चंदेल ने कहा कि डीएमएफ की वेबसाइट पर कामों के डिटेल्स नहीं डाले गए हैं.

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि मेरी जानकारी में वेबसाइट में जानकारी दी गई है. इसकी लिखित जानकारी मेरे पास है. यदि ये जानकारी ग़लत होगी तो ज़िम्मेदार अधिकारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाएगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि कहीं भी ग़लत हुआ होगा तो अधिकारियों के ख़िलाफ़ सख़्त से सख़्त कार्रवाई की जाएगी, उन्हें छोड़ने का काम हम नहीं करेंगे.

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