रायपुर। प्रदेश में रासायिक खाद की कालाबाजारी और ओवररेटिंग की शिकायतों पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नाराजगी जताई है। उन्होंने अधिकारियाें से निर्धारित दर से अधिक कीमत पर खाद बेचने वालों पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने कृषि उत्पादन आयुक्त को केंद्र सरकार से समन्वय कर मांग के अनुरूप रासायिक खाद की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए पत्र लिखने को भी कहा है।
मुख्यमंत्री बुधवार को निवास कार्यालय में वर्षा की स्थिति, खाद-बीज की उपलब्धता, सिंचाई जलाशयों में पानी की स्थिति, खरीफ फसलों की बुवाई, संक्रामक बीमारियों की रोकथाम के उपायों की समीक्षा कर रहे थे। बैठक में अधिकारियों ने बताया, चालू खरीफ सीजन के लिए में केन्द्र से यूरिया, डीएपी, एनपीके, पोटाश और सुपर फास्फेट को मिलाकर कुल 13 लाख 70 हजार मीट्रिक टन रासायनिक खाद मांगा गया था। केंद्र सरकार की ओर से अभी तक छत्तीसगढ़ को मात्र 6 लाख 30 हजार मीट्कि टन खाद ही मिल पाई है। बताया गया, मार्कफेड, सहकारी समिति और निजी क्षेत्रों में कुल 11 लाख तीन हजार मीट्रिक टन रासायनिक उर्वरक का भंडारण किया गया है जो खरीफ के लिए निर्धारित लक्ष्य का 81% है। किसानों को समितियों और निजी क्षेत्रों से मिलाकर 67% रासायनिक खाद का वितरण किया जा चुका है।
अधिकारियों ने बताया, इस साल किसानों को पिछले वर्ष की इसी अवधि में अधिक रासायनिक खाद दिया जा चुका है। इस साल 11 जुलाई तक वर्ष 7 लाख 35 हजार मीट्रिक टन रासायनिक खाद बांटी जा चुकी है। वहीे पिछले साल 11 जुलाई तक केवल 6 लाख 74 हजार मीट्रिक टन रासायनिक खाद बंटी थी। कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. कमलप्रीत सिंह ने कहा, प्रदेश में अभी डीएपी उर्वरक की कमी है। इसको दूर करने के लिए किसानों को यूरिया, एनपीके, सुपर फास्फेट और पोटाश के साथ वर्मी कम्पोस्ट निर्धारित मात्रा में उपयोग करने की सलाह दी जा रही है। बैठक में कृषि मंत्री रविंद्र चौबे, मुख्य सचिव अमिताभ जैन, अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, जल संसाधन विभाग के सचिव अन्बलगन पी., वित्त सचिव अलरमेलमंगई डी., राजस्व सचिव एन.एन. एक्का, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के सचिव प्रसन्ना आर. आदि मौजूद रहे।
मुख्यमंत्री ने कह, वन क्षेत्रों में पिछले दो-तीन वर्षाें में कराए गए नरवा विकास के कार्याें के अच्छे परिणाम मिल रहे हैं। तमोरपिंगला और अचानकमार में हाथियों का दल काफी समय से एक स्थान पर है, क्योंकि वहां उन्हें पानी और चारा उपलब्ध हो रहा है। इसी तरह हाथी प्रभावित अन्य क्षेत्रों में भी नरवा विकास के कार्याें को तेजी से करने की आवश्यकता है, इससे हाथी-मानव द्वंद्व कम होगा।
बैठक में गौठानों में चारागाह विकास की भी समीक्षा हुई। मुख्यमंत्री ने चारागाह को विकसित कर उन्हें आर्थिक रूप से उत्पादक बनाने पर जोर दिया। मुख्यमंत्री ने कहा, वहां चारे का उत्पादन करने वाले समूहों को खुले बाजार में चारा बेचने की अनुमति दी जाए। इससे उनकी आमदनी बढ़ेगी। वहां अतिरिक्त चारा का साईलेज बनाकर मवेशियों के लिए उपलब्ध कराया जाए।
अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को 27 तहसीलों में कम वर्षा की जानकारी दी है। बताया गया, कुछ जिलों में अब तक औसत की तुलना में कम वर्षा हुई है। मानसून सक्रिय होने के साथ ही स्थिति कुछ बेहतर है। बैठक में कम वर्षा वाले जिलों के संबंध में बताया गया कि बलरामपुर में औसत का 42 प्रतिशत, जशपुर में 44 प्रतिशत, सरगुजा में 55 प्रतिशत, सूरजपुर में 70 प्रतिशत, कोरिया में 77 प्रतिशत, कोरबा में 77 प्रतिशत, रायपुर में 69 प्रतिशत, बेमेतरा में 72 प्रतिशत और सुकमा में 63 प्रतिशत वर्षा हुई है। इसी तरह 27 तहसीलों में 60 प्रतिशत से कम वर्षा दर्ज की गई है।