नानगुर में भेंट मुलाकात कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री द्वारा पूछे जाने पर सुमनी बघेल ने बताया कि उनके समूह के द्वारा वर्तमान समय में वन धन योजना के तहत लघु वनोपजों का संग्रहण कार्य किया जा रहा है । जिसके अंतर्गत हर्रा, बहेरा, गिलोय, महुआ, इमली आदि का संग्रहण किया जा रहा है । उन्होंने मुख्यमंत्री को बताया कि आज से 2 साल पूर्व हमारे पास कोई काम नहीं था लेकिन आज इस योजना से जुड़ कर हम लोग आर्थिक रूप से सशक्त हो रही हैं । पहले हमने कभी इतनी राशि देखी नहीं थी और आज हमारा समूह 12 लाख से 15 लाख रुपए तक की खरीदी कर पाने में सक्षम है । पहले व्यापारी लघु वनोपजों को ग्रामीणों से कम दामों में खरीदकर मोटा मुनाफा कमाया करते थे, परंतु जब से आप ने समर्थन मूल्य की दर निर्धारित की है गांव वालों को उचित मूल्य की जानकारी हुई और अब वे निर्धारित मूल्य में हमारे पास वनोपज विक्रय कर आर्थिक लाभ उठा रहे हैं ।
सुमनी ने मुख्यमंत्री को बताया कि पहले व्यापारी गांव वालों से इमली 25 रुपये की दर से खरीदते थे,अब वे लोग 33 रुपये किलो की दर से इमली हमें इस बेचकर आर्थिक लाभ कमाने लगे हैं । आपकी इस योजना से जुड़कर हम सभी आर्थिक रूप से सशक्त हुई हैं । पहले हम महिलाएं दैनिक जरूरतों की पूर्ति के लिए अपने पतियों पर निर्भर हुआ करती थी । मेरे पति सब्जी की खरीदी के लिए सिर्फ 500 रुपये देते थे, पर वह राशि सब्जी की खरीदी के लिये अपर्याप्त थी । आज हम सभी महिलाएं अपने पैरों पर खड़ी हुई और 500 की जगह 700 रुपये तक की खरीदी कर पाने में समर्थ हुईं । उन्होंने आगे बताया कि आर्थिक रूप से सशक्त होने के कारण आज हमारा आत्मविश्वास भी इतना प्रबल हुआ है, जिससे वे अपनी बात आपके समक्ष बिना किसी संकोच के रख पा रही हैं । मुख्यमंत्री श्री बघेल ने ताली बजाकर सुमनी के कार्यों की सराहना की साथ ही उन्हें बधाई एवँ शुभकामनाएं भी दी ।
चर्चा के दौरान सुमनी ने बताया कि हमारे समूह में 10 महिलाएं कार्य करती हैं और जब खेती किसानी के कार्यों से सभी महिलाएं मुक्त होती हैं, तब 2 से 3 महीने कार्य कर हम इस योजना से लाभ कमाते हैं । उन्होंने मुख्यमंत्री को बताया कि 2 साल पहले तेंदूपत्ता का मूल्य 250 रुपए हुआ करता था पर अब इसका मूल्य 400 रुपये है, जिससे हमें 150 रुपए की अतिरिक्त आय प्राप्त होने लगी है । उन्होंने मुख्यमंत्री को इस वन धन योजना संचालित करने के लिए अपने समूह की महिलाओं गांव की महिलाओं और प्रदेश की महिलाओं की ओर से धन्यवाद किया ।
मुख्यमंत्री द्वारा पूछे जाने पर सोनी ने बताया कि उनके घर में उनके पति उनकी सास और दो बच्चे हैं बच्चों की पढ़ाई वह निजी इंग्लिश मध्यम स्कूल में कराती थी परंतु कोरोनावायरस के समय लगे लॉकडाउन से अब वह अपने बच्चों को गांव के ही शासकीय स्कूल में पढ़ा रही हैं ग्रामीणों से 35 रूपए की दर पर समर्थन मूल्य पर महुआ खरीदी की जाती है उन्होंने बताया पहले दैनिक जरूरतों के लिए उन्हें अपने पतियों पर निर्भर रहना पड़ता था आज भी अपने पैरों पर खड़े हो पाए हैं बाजार से सामान खरीदने के लिए भी मैंने 500 रूपए ही दिए जाते थे पर अब वह 700 तक खर्च कर वस्तुओं की खरीदी करती हैं उनके समूह में 10 महिला सदस्य हैं।