रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक बार फिर कोयले को लेकर केंद्र की भाजपा सरकार को आड़े हाथों लिया है। देश सहित प्रदेश में हो रही कोयले की कमी को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि केंद्र सरकार की कोयला नीति असफल रही है। केंद्र सरकार के द्वारा पहले जो क्रिप्टी माइंस राज्य सरकार को अलाट किया गया था उसे निरस्त कर दिया गया है। उसके बाद नीलामी की गई उसमें भी किसी ने पार्टिसिपेट नहीं किया और अब स्थिति यह है कि उन्होंने ना तो राज्य सरकार को खदाने अलर्ट किया है और ना ही यूजर्स को खदानें दी हैं। आज की स्थिति में जिन पावर प्लांट सहित दूसरे प्लांटों को कोयले की आवश्यकता है इन सभी जगहों पर कटौती कर दी गई है या फिर बंद कर दिया गया है। जिससे औद्योगिक गतिविधियों में निश्चित रूप से इसका दुष्प्रभाव पड़ेगा।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि जितना कोयले की आवश्यकता है उतना उत्पादन नहीं हो रहा है इसलिए भारत सरकार अब विदेशों से कोयला बुलाने जा रही है। केंद्र सरकार राज्य सरकार पर इस कोयले को लेने के लिए दबाव बना रही है। 10 या 20 प्रतिशत विदेशी कोयले को देशी कोयले के साथ मिलाना होगा। आज की स्थिति में देश का कोयला 3000-4000 प्रति टन और विदेश से जो कोयला आने वाला है वह 15000 से 20000 प्रति टन है तो इतना भार राज्य सरकार पर जितने भी इलेक्टिसिटी बोर्ड है उस पर आएगा। तो इसका मतलब यह है कि उत्पादन महंगा होगा तो बिजली भी महंगा होगा। अब विदेशी कोयला को अलॉट करने और उसे खपाने के लिए राज्यों के ऊपर दबाव बनाया जा रहा है ऐसे में तो कोयले की स्थति ठीक नहीं है। पिछले समय जैसे तैसे करके संभल गया और अब जो स्थिति है वह भयावह होने वाली है। बहुत सारे राज्य की स्थिति यह है कि राहुल जी ने तो 8 दिन का कोयला बताया है लेकिन कुछ राज्यों में 3 से 4 दिन का है, तो कोयले की स्थिति बहुत खराब होने वाली है।