छत्तीसगढ़ में शिशु एवं मातृ मृत्यु दर में आई कमी

छत्तीसगढ़ में शिशु एवं मातृ मृत्यु दर में आई कमी

रायपुर । छत्तीसगढ़ शासन द्वारा वर्ष 2018 के उपरांत स्वास्थ्य के क्षेत्र में किए जा रहे विशेष प्रयासों के कारण छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य के क्षेत्र में उत्तरोत्तर प्रगति परिलक्षित हो रही हैं। शासन द्वारा स्वास्थ्य विभाग में आवश्यक विशेषज्ञ एवं चिकित्सा अधिकारियों की भर्ती के साथ-साथ राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के माध्यम से स्वास्थ्य के विभिन्न क्षेत्रों के प्रबंधक एवं सहायकों की भर्ती कर राज्य में स्वास्थ्य के स्तर को उच्च मापदण्ड स्थापित किया जा रहा है।

केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए आंकड़ो के अनुसार वर्ष 2015-16 की तुलना में वर्ष 2020-21 में छत्तीसगढ़ में नवजात मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर और पांच वर्ष तक के बच्चों की मृत्यु दर में बड़ी कमी आई है। भारत सरकार के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के अनुसार प्रदेश में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 की तुलना में नवजात और शिशु मृत्यु दर दोनों में 23 व 18 प्रतिशत की कमीं आई है जबकि बिहार में 6 व 3 प्रतिशत, गुजरात में 19 व 9 प्रतिशत ओड़िसा में 4 एवं 8 प्रतिशत की कमी पाई गई है। वहीं इस दौरान पांच वर्ष तक के बच्चों की मृत्यु दर में 22 प्रतिशत की बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 वर्ष 2020-21 में और राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 वर्ष 2015-16 में किया गया था।

मातृत्व स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रदेश पूर्व वर्षों की अपेक्षा बेहतर स्थिति में है। प्रदेश में मातृ मृत्यु अनुपात वर्ष 2004-06 में 335 प्रति 1 लाख जीवित जन्म थी जो 2018 में प्राप्त नवीनतम ैत्ै आंकड़ो के अनुसार 159 प्रति 1 लाख जीवित जन्म हो गई है। केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए आंकड़ो के अनुसार वर्ष 2015-16 की तुलना में वर्ष 2020-21 में छत्तीसगढ़ में संस्थागत प्रसव 70 प्रतिशत से बढ़कर 86 प्रतिशत हो गई है। इसमें विशेष तथ्य यह है कि सरकारी स्वास्थ्य संस्थाओं में प्रसव पूर्व की अपेक्षा 25 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसी तरह प्रसव उपरांत चिकित्सक या अन्य प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा दी जा रही सेवा की स्थिति भी पूर्व वर्षाें से 32 प्रतिशत बढ़ी है। स्वास्थ्य संस्थाओं द्वारा गर्भवती माताओं को दी गई आयरन एवं फॉलिक एसिड सेवन करने वाली माताओं की संख्या में पूर्व वर्षों की अपेक्षा 177 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

*राज्य सरकार द्वारा शिशुओं के बेहतर स्वास्थ्य हेतु किए जा रहे विशेष प्रयास*

राज्य सरकार द्वारा शिशुओं की मृत्यु दर को शीघ्रातिशीघ्र न्यूनतम करने हेतु भी वृहद् प्रयास किए जा रहे हैं। राज्य के 5 मेडिकल कालेज, 21 जिला अस्पतालों में सिक न्यू बॉर्न केयर यूनिट की स्थापना की गई है जिनकी नियमित मॉनिटरिंग स्वयं एम्स रायपुर के विषय विशेषज्ञों द्वारा की जाती है। इन एसएनसीयू में निरंतर माइक्रोबियल सर्विलेंस किया जा रहा है जिससे इन संस्थाओं को पूरी तरह से संक्रमण मुक्त रखा जा सके।

*राज्य में संस्थागत प्रसव में हुई बढ़ोतरी*

वर्तमान में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा प्रदेश में उच्च जोखिम वाली सभी गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष रणनीति भी बनाई गई है ताकि प्रदेश की हर माता और शिशु दोनों स्वस्थ रहें। इस हेतु संस्थागत प्रसव बढ़ाने की ओर किए जा रहे प्रयासों के साथ-साथ प्रत्येक उच्च जोखिम वाली सभी गर्भवती महिलाओं की व्यक्तिगत ट्रैकिंग की जा रही है तथा उनके प्रसव हेतु माइक्रोबर्थ प्लांनिंग भी की जा रही है। जिससे महिलाओं एवं होने वाले नवजात शिशु दोनों को उचित समय में उचित स्वास्थ्य सूविधा प्रदान की जा सकें। गुणवत्तापूर्ण मातृत्व स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने हेतु प्रदेश में 25 (एमसीएच विंग) मातृत्व एवं शिशु अस्पताल संचालित किए जा रहें है। राज्य में 58 एफआरयूएस क्रियाशिल हैं एवं स्वास्थ्य सुविधा को और सुदिृढ़ करने हेतु हमर अस्पताल, ब्लड बैंक जैसे जिला अस्पताल एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों का उन्नयन किया जा रहा है। राजनांदगांव में मेडिकल कॉलेज के साथ ही जिला अस्पताल का संचालन किया जा रहा है।

*मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लिनिक योजना से बेहतर कवरेज*

प्रदेश के सुदूर आदिवासी अंचलों में संचालित हाट बाजारों में स्थानीय ग्रामीणों को 356 मोबाईल मेडिकल यूनिट के माध्यम से आवश्यक स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है। इन हाट बाजारों में अब तक 21 लाख 62 हजार से अधिक व्यक्तियों के रक्तचाप, मधुमेह, सिकल सेल, एनिमिया, हिमोग्लोबिन, मलेरिया एवं टायफाईड जैसे बीमारियों के लिए जांच एवं उपचार की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है।

*आदिवासी अंचलो में मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान से घटा मलेरिया*

राज्य के आदिवासी अंचलों में मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान से बस्तर में मलेरिया के मामलों में 55 प्रतिशत की कमी पाई गई। मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान से पूरे राज्य में परजीवी सूचकांक 5.31 प्रतिशत से घटकर वर्ष 2021 में 0.75 प्रतिशत हो गई है।

*प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में समग्र स्वास्थ्य की आपूर्ति*

प्रदेश में विगत 3 वर्षों में ग्रामीण क्षेत्रों में समग्र स्वास्थ्य की आपूर्ति हेतु 3539 हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर प्राथमिक एवं उप स्वास्थ्य स्तर पर स्थापित किए गए है। जिनके द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में गर्भवती माताओं शिशुओं के स्वास्थ्य के साथ ही कुल 12 प्रकार की स्वास्थ्य सुविधाएं ग्रामीणों को प्रदाय की जा रही है एवं अन्य वरिष्ठ नागरिकों की घर पहूंच स्वास्थ्य सेवा प्रदान की जा रही है। इसके साथ ही इन संस्थाओं के माध्यम से दीर्घकालीन रोगों के मरीजों को उनके घर पर प्रतिमाह दवाई उपलब्ध कराई जा रही है।

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