रायपुर : छत्तीसगढ़ में पीड़ित महिलाओं के रहवास और पुनर्वास के संबंध में भी त्वरित कार्यवाही की जा रही है। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग के द्वारा एक वर्ष में लगभग 1500 से अधिक प्रकरणों की सुनवाई तथा 500 से अधिक प्रकरणों के निराकरण किया गया है। इसके साथ आयोग द्वारा 100 प्रकरणों पर नियमित निगरानी की जा रही है। हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में आयोजित 2 दिवसीय राष्ट्रीय महिला आयोग के साथ राज्यों के महिला आयोग के मध्य पारस्परिक संवाद (इंटरेक्टिव) बैठक में छत्तीसगढ़ महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने यह जानकारी दी। बैठक में पीड़ित महिलाओं के पुनर्वास और सहायता विषय पर राज्यों में किये जा रहे प्रयास और आने वाली समस्याओं पर चर्चा की गई।
नायक ने बैठक में घरेलू हिंसा में महिलाओं की सहायता, कानून में संशोधन और पुनर्वास विषय पर छत्तीसगढ़ में किये जा रहे कार्यों की जानकारी देते हुए बताया कि छत्तीसगढ़ में निरन्तर जनसुनवाई किये जाने के साथ प्रताड़ित महिलाओं को राहत दिलाने के लिए त्वरित कार्यवाही की जा रही है। इस पर सभी राज्य महिला आयोगों ने छत्तीसगढ़ में किये जा रहे कार्यों की सराहना की। नायक ने बैठक के दूसरे दिन के सत्र का संचालन भी किया।
बैठक में ‘‘राजनीति में आने वाली महिलाओं के ऊपर समस्या और उसमें किये जा रहे कार्यों पर आयोग के क्या विचार है’’ विषय पर चर्चा की गई। बैठक में विस्तृत चर्चा के बाद यह निर्णय लिया गया कि महिलाओं को सशक्त करने के लिए विधानसभा और संसद में 33 प्रतिशत् आरक्षण अनिवार्य किये जाने हेतु केन्द्रीय स्तर पर प्रस्ताव बनाने का प्रयास किया जाना चाहिए। पैनल डिस्कशन में छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ नायक ने भी अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि सभी महिला आयोग की मांग पर राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष भारत मंे संसद और प्रत्येक राज्य के विधानसभा में 33 प्रतिशत् महिला आरक्षण के कई वर्षों से लंबित बिल को तत्काल पास कर लागू कराए जाने के लिए प्रधानमंत्री, लोकसभा तथा राज्यसभा के स्पीकर को पत्र भेजें।